जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद राहुल गाँधी के राज्य में हिंसा वाले बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को घाटी का दौरा कराने और जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वह विशेष विमान भेजेंगे। बता दें कि, शनिवार (अगस्त 10, 2019) की रात राहुल गाँधी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से हिंसा की कुछ खबरें आई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारदर्शी तरीके से इस मामले पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए।
राज्यपाल ने कश्मीर में हिंसा संबंधी कुछ नेताओं के बयान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, “मैंने राहुल गाँधी को यहाँ आने का न्योता दिया है। मैंने उनसे कहा है कि मैं आपके लिए विमान भेजूँगा ताकि आप स्थिति का जायजा लीजिए और तब बोलिए। आप एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं और आपको ऐसे बात नहीं करनी चाहिए।” साथ ही उन्होंने राहुल गाँधी से कहा कि उन्हें अपने पार्टी के उन नेताओं के व्यवहार को लेकर शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए, जो संसद में मूर्ख की तरह बात कर रहे थे।
सतपाल मलिक ने कॉन्ग्रेसी नेता पी चिदंबरम द्वारा दिए गए सांप्रदायिक बयान पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान सबके लिए समाप्त किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लेह, करगिल, जम्मू, रजौरी, पूँछ या फिर कश्मीर में भी इसे खत्म करने में किसी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।
मलिक ने कहा कि इस मुद्दे को मुठ्ठी भर लोग हवा दे रहे हैं लेकिन वह इसमें सफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, “कुछ विदेशी मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग करने का प्रयास किया, मगर हमने उन्हें भी चेतावनी दी है। सभी अस्पताल खुले हैं और एक व्यक्ति को भी गोली लगी हो, तो आप साबित कर दीजिए। जब कुछ युवक हिंसा कर रहे थे तो केवल चार लोगों को पैलेट से पैर में गोली लगी है,मगर इसमें कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है।”
कश्मीर को यातना शिविर में बदल देने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने कहा कि शिक्षित होने के बावजूद लोग यातना शिविर का अर्थ नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि यह क्या है। राज्यपाल मलिक ने कहा कि वो 30 बार जेल गए हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे यातना शिविर का नाम नहीं दिया था। आगे उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान कॉन्ग्रेस ने डेढ़ साल तक लोगों को जेल में बंद कर दिया था, लेकिन तब किसी ने उसे यातना शिविर नहीं कहा था। उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐहतियातन गिरफ्तारी यातना शिविर के बराबर है?