लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अभी तक 286 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। शनिवार (मार्च 23, 2019) रात भाजपा महासचिव जे पी नड्डा ने पाँचवी सूची में 48 अन्य उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की। हालाँकि, इसमें भी अभी तक राजस्थान की बहुप्रतीक्षित राजसमन्द सीट की घोषणा नहीं की गई है। पूर्व में इस सीट पर गजेन्द्र सिंह शेखावत के नाम की चर्चा थी, जिन्हें पहले ही जोधपुर से टिकट दिया जा चुका है।
राजस्थान की राजसमंद लोकसभा सीट 4 जिलों के क्षेत्र को मिलाकर बनाई गई है- उदयपुर, अजमेर, नागौर और पाली। इसलिए 4 जिलों से सम्बंधित होने के कारण यह सीट खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। 2018 विधानसभा चुनावों में यहाँ की 8 में से 4-4 विधानसभाएँ भाजपा व कॉन्ग्रेस के कब्जे में हैं।
संगठन और क्षेत्रीय व्यक्ति को टिकट देने का दबाव
राजसमन्द से मौजूदा सांसद हरिओम सिंह राठौड़ खराब स्वास्थ्य के चलते पहले ही टिकट लेने से मना कर चुके हैं। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सीट पर संघ, संगठन के किसी व्यक्ति को टिकट देने की वकालत कर रहा है। इसमें किसान पृष्ठभूमि वाले 38 वर्ष के युवा दावेदार रमेंद्र सिंह राठौड़ का नाम आगे चल रहा है।
रमेंद्र सिंह लगातार 6 वर्ष तक जयपुर महानगर से ABVP के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष रह चुके हैं और विश्व हिन्दू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के साथ-साथ संघ के पाली जिले के धर्म जागरण प्रमुख भी रहे हैं। पेशे से कृषक रमेंद्र सिंह राठौड़ योग शिक्षक और देश के उन गिने चुने लोगों में हैं, जो योग में पीएचडी उपाधि प्राप्त हैं। किसानों, मजदूरों और युवाओं में इनकी गहरी पैठ मानी जाती है।
वर्ष 1942 से ही तीन पीढ़ियों से राठौड़ का परिवार संघ के राष्ट्रीय संगठन का हिस्सा रहा है। रमेंद्र सिंह राठौड़ के नाना भागीरथ सिंह शेखावत स्वतंत्र पार्टी से प्रत्याशी के साथ-साथ आपातकाल में 18 महीने जेल में रहे हैं, इसलिए क्षेत्र में इस परिवार का नाम माना जाता है। रमेंद्र सिंह के माता, पिता एवं भाई, जनसंघ के समय से संघ एवं भाजपा के अनुषांगिक संगठनों के विभिन्न पदों पर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रमेंद्र सिंह राठौड़ सभी अर्हताएँ पूरी करते दिखाई दे रहे हैं।
राजपूतों को साधना सबसे बड़ी चुनौती
3 लाख राजपूत वोट वाली राजसमंद सीट पिछले कई चुनाव से राजपूत सीट मानी जाती रही है। इस क्षेत्र से लगातार राजपूत उम्मीदवार को ही टिकट देने की माँग उठ रही थी। इसी वजह से राजसमन्द से विधायक किरण माहेश्वरी का नाम भी सूत्रों के अनुसार रेस से बाहर हो चुका है। कई मीडिया समूहों द्वारा दीया कुमारी और किरण महेश्वरी में मुकाबले की बात कही जा रही थी, लेकिन जयपुर की राजकुमारी दिया कुमारी का नाम भी रियासत काल के इतिहास और बाहरी उम्मीदवार होने के नाते दौड़ से बाहर माना जा रहा है। ऐसे में राजपूत समाज में गहरी पैठ होने कारण रमेंद्र सिंह राठौड़ का नाम लगभग तय माना जा रहा है।
मजदूर और किसानों के बीच पकड़ हैं मजबूत पक्ष
रमेंद्र सिंह राठौड़ की संसदीय क्षेत्र के मजदूरों और किसानों में गहरी पकड़ उनके पक्ष में जाती दिख रही है। गौरतलब है कि किसान व मजदूर संघर्ष समिति द्वारा जैतारण और ब्यावर की सीमेंट फैक्ट्रियों के खिलाफ आंदोलनों में राठौड़ खासे सक्रिय रहे हैं। इसलिए 50 हजार मजदूर और डेढ़ लाख किसानों, यानि 2 लाख मतदाताओं तक इनकी सीधी पहुँच से विरोधी राजनीतिक दल भी असमंजस में हैं।
गौरतलब है कि राठौड़ के बड़े भाई आरपी सिंह भारतीय मजदूर संघ के जिला उपाध्यक्ष रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त होने के कारण युवा वर्ग में भी राठौड़ अपनी सीधी पहुँच रखते हैं। इसलिए उम्मीदें लगाई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी राजसमन्द सीट पर प्रभावी समीकरण वाले नए चेहरे रमेंद्र सिंह राठौड़ को प्रत्याशी घोषित कर चौंका सकती है।