उम्रकैद, संपत्ति कुर्की, ₹1 करोड़ जुर्माना… पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई योगी सरकार, गड़बड़ी करने वाली संस्थाएँ होंगी ब्लैकलिस्ट

योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार : X_MyYogiAdityanath)

नीट-यूजी और यूजीसी-नेट के पेपर लीक को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है, तो कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में भी सिपाही भर्ती परीक्षा और आरओ-एआरओ परीक्षा में गड़बड़ी के बाद परीक्षाएँ रद्द हुई थी। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने परीक्षाओं में धाँधली को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है और पेपर लीक के खिलाफ अध्यादेश का प्रस्ताव लेकर आई है। कैबिनेट बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। अब उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों को 2 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा मिलेगी और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यूपी सरकार के इस कदम की तारीफ हो रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि भी दंडनीय अपराध बनाए गए हैं। अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिये न्यूनतम दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा तथा एक करोड़ रुपए तक के दंड का भी प्रावधान किया गया है। बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनावों के दौरान ही नकल माफियाओं पर नकेल कसने के लिए सख्त कानून लाने की बात कही थी। इस कड़ी में अब सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

जानकारी के मुताबिक, पेपर लीक या अन्य कारणों से परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले खर्च की भरपाई सॉल्वर गैंग से वसूली कर की जाएगी। साथ ही परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को हमेशा के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। फरवरी में यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा और उससे पहले आरओ और एआरओ का पेपर लीक हुआ था। तभी से यह संकेत मिलने लगे थे कि सरकार जल्द ही पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून लेकर आ सकती है। अब अध्यादेश के जरिए सरकार पेपर लीक के खिलाफ नया कानून लेकर आ रही है।

परीक्षाओं को लेकर सरकार ने बनाई नई नीति

इसके साथ ही योगी सरकार ने पेपर लीक रोकने के लिए नई नीति का भी ऐलान कर दिया है। जिसके तहत हर पाली में 2 या अधिक पेपर सेट जरूर होने चाहिए। प्रत्येक सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से होगी। पेपर कोडिंग को भी और व्यवस्थित किया जाएगा। चयन परीक्षाओं के सेंटर के लिए राजकीय माध्यमिक, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज अथवा साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ख्याति प्राप्त सुविधा संपन्न वित्त पोषित शैक्षिक संस्थान ही सेंटर बनाए जाएँगे। सेंटर वहीं होंगे, जहाँ सीसीटीवी की व्यवस्था होगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया