पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर किए गए किसानों के आंदोलन की आड़ में भारत को बदनाम करने वाले ‘टूलकिट’ गूगल दस्तावेज की जाँच कर रही दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने पुष्टि की है 26 जनवरी को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में सोशल मीडिया पर टूलकिट के जरिए अशांति फैलाने वाले आरोपितों ने एक और टूलकिट तैयार की थी जिसके जरिए वो 4 और 5 फरवरी को ट्विटर पर दिल्ली में फिर से अशांति फैलाना चाहते थे।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने कहा कि टूलकिट बनाने वाले एक्टिविस्टों’ ने सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों को उकसाने के लिए दूसरे टूलकिट में 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा को भड़काने के लिए हैशटैग की मदद से शांति भंग करने की कोशिश करते, लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हो पाए।
टूलिकट मामले की जाँच कर रहे पुलिसकर्मियों ने कहा कि दूसरा दस्तावेज़ निकता जैकब, शांतनु मुलुक द्वारा बनाया गया था – दो कार्यकर्ता जिन पर पहली टूलकिट बनाने और उसे साझा करने का आरोप लगाया गया है। इनमें एक यूके-आधारित कार्यकर्ता मरीना पैटरसन भी शामिल हैं, जो कथित तौर पर वैश्विक आंदोलन ‘एक्सटिंशन रेबेलियन’ के साथ जुड़ी हैं।
मामले से जुड़े एक दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “दूसरी टूलकिट में जिस योजना का जिक्र था उसे पूरा नहीं किया जा सका। हमें संदेह है कि इसका कारण था कि पहली ही टूलकिट गलती से स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा 3 फरवरी को ट्वीट कर दिया गया था। दिशा रवि ने इस टूलकिट को ग्रेटा के साथ साझा किया। चूँकि Google टूलकिट दस्तावेजों में आपत्तिजनक सामग्री थी, इसलिए दिशा रवि घबरा गई, उसने ग्रेटा से ट्वीट को हटाने के लिए कहा, एडमिन राइट लिया और टूलकिट से उसका नाम हटा दिया।”
अधिकारी के आगे बताया, जाँच दल ने पहले ही Google को लिख दिया है कि दोनों टूलकिट से जुड़ी जानकारी दें जैसे कि वे वास्तव में कहाँ बनाए गए थे, उन्हें किसने प्रारूपित और संपादित किया था और किसके साथ साझा किया गया था।
टूलकिट का मामला
गौरतलब है कि पॉप स्टार रिहाना और पोर्न स्टार मिया खलीफा जैसी अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के नक्शेकदम पर चलते हुए पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में चल रहे किसान विरोध के लिए अपना समर्थन दिखाने के लिए ट्विटर पर पोस्ट शेयर किया था।
इस दौरान ग्रेटा ने अनजाने में एक ‘टूलकिट‘ भी ट्वीट कर दिया जोकि भारत के खिलाफ एक कथित साजिश के तहत बनाया गया था। हालाँकि इस ट्वीट के बाद से ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। इस टूलकिट के जरिए यह पता चला कि कैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत विरोधी ताकतें अशांति पैदा करने की कोशिश कर रही हैं।
इस पूरे खेल का खुलासा करते हुए पुलिस साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने दिशा की गिरफ्तारी के बाद कहा था, “जैसा कि हम जानते हैं कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। 27 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा था। 4 फरवरी को हमें टूलकिट के बारे में जानकारी मिली, जो कि खालिस्तानी सगठनों की मदद से बनाई गई थी।”
दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिशा ने टूलकिट को एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर शेयर किया फिर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई। उन्होंने कहा कि टूलकिट को विश्वस्तर पर फैलाने की योजना थी और इसमें गलत जानकारियाँ दी गईं थीं।
दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि मीडिया हाउसों और ‘फैक्ट चेकर्स’ के नामों का भी टूलकिट में उल्लेख है। उन्होंने कहा कि आरोपित ही यह बता पाएँगे कि पैट्रिक फ्रेडरिक का नाम टूलकिट में क्यों है।
इस टूलकिट का संबंध खालिस्तानी संगठन Poetic Justice Foundation (पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन) से है और इस टूलकिट को चार फरवरी को बनाया गया था। टूलकिट में ‘भारत की पहचान योग और चाय’ की छवि को नुकसान पहुँचाने से लेकर दूतावासों को भी नुकसान पहुँचाने की बात है। इससे भारत की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की गई।