Wednesday, May 14, 2025
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बांग्लादेश ने अवामी लीग के छात्र विंग पर लगाया प्रतिबंध, शेख हसीना की पार्टी पर भी संकट: जानिए अब राष्ट्रपति के खिलाफ क्यों हो रहा प्रदर्शन, क्यों माँग रहे इस्तीफा

अब शेख हसीना के त्याग पत्र दिए बिना अंतरिम सरकार के गठन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नासरीन ने भी इसको लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा, "शेख हसीना ने अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है और वह अभी भी जीवित हैं। इसलिए, यूनुस सरकार अवैध है।"

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलटने के बाद वहाँ के छात्रों ने राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। मंगलवार (22 अक्टूबर 2024) को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने बंगभवन पर कब्जा करने की कोशिश की। हालाँकि, पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। वहीं, छात्रों के दवाब में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना से जुड़ी ‘बांग्लादेश छात्र लीग’ पर प्रतिबंध लगा दिया है।

यह विरोध उस समय शुरू हुआ, जब इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि उनके पास शेख हसीना की इस्तीफा वाला पत्र नहीं है। 20 अक्टूबर 2024 को प्रकाशित एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सुना है कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन उनके पास इसका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।

साक्षात्कार में राष्ट्रपति ने कहा कि 5 अगस्त को सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया कि शेख हसीना राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन बंगभवन आएँगी, लेकिन एक घंटे बाद फिर फोन आया कि वह नहीं आएँगी। राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा कि वह प्रधानमंत्री का इंतजार कर रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि देश में क्या हो रहा है।

राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने कहा, “एक बार मैंने सुना कि वह देश छोड़कर चली गई हैं। उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। मैंने आपको वही बताया जो सच है। वैसे, जब सेना प्रमुख जनरल वकार बंगभवन आए तो मैंने जानना चाहा कि क्या प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मुझे वही जवाब दिया- मैंने सुना है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।”

‘जनतार चोख’ पत्रिका के मुख्य संपादक मतिउर रहमान चौधरी को साक्षात्कार देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने त्यागपत्र लेने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर पाए। उन्होंने आगे कहा, “शायद उन्हें समय नहीं मिला। जब चीजें नियंत्रण में आ गईं तो एक दिन कैबिनेट सचिव त्यागपत्र की प्रति लेने आए। मैंने उनसे कहा कि मैं भी इसकी प्रति ढूंढ रहा हूँ।”

हालाँकि, उस समय यह खबर आई थी कि शेख हसीना भारत रवाना होने से पहले राष्ट्रपति भवन गईं और अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनके जाने के बाद राष्ट्रपति ने घोषणा की थी कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, “आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।”

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कानूनी तौर पर सुनिश्चित होने के लिए उन्होंने मुख्य सलाहकार की नियुक्ति से पहले सुप्रीम कोर्ट की राय ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त को इस मामले पर अपनी राय देते हुए कहा था कि राष्ट्रपति अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और अन्य सलाहकारों की नियुक्ति कर सकते हैं, ताकि कार्यपालिका का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके।

अब शेख हसीना के त्याग पत्र दिए बिना अंतरिम सरकार के गठन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नासरीन ने भी इसको लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कहा, “शेख हसीना ने अपने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया है और वह अभी भी जीवित हैं। इसलिए, यूनुस सरकार अवैध है।”

कानून सलाहकार आसिफ नजरूल ने बुधवार (23 अक्टूबर 2024) को मीडिया के सामने अदालत की राय पेश की, जिसमें अदालत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है और राष्ट्रपति के पास मुख्य सलाहकार और अन्य सलाहकारों की नियुक्ति का अधिकार है। इसलिए, अब सवाल अंतरिम सरकार की वैधता के बारे में कम और इस्तीफे के पत्र को लेकर राष्ट्रपति के यू-टर्न के बारे में ज़्यादा है।

विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने राष्ट्रपति पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा, “यदि आप पूरे देश के सामने कही गई किसी बात का खंडन करते हैं तो यह कदाचार के समान है। फिर सवाल उठता है कि क्या आपमें राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने की मानसिक क्षमता है। ये सवाल उठ सकते हैं… आपने इसके लिए गुंजाइश बनाई है।” अब छात्र राष्ट्रपति से इस्तीफे की माँग कर रहे हैं।

छात्रों के दबाव के बीच मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी ‘बांग्लादेश अवामी लीग’ की छात्र शाखा ‘बांग्लादेश छात्र लीग’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने एक आधिकारिक आदेश में कहा कि सरकार ने ‘आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2009’ की धारा 18 की उपधारा (1) में प्रदत्त शक्तियों के तहत ‘बांग्लादेश छात्र लीग’ पर प्रतिबंध लगा दिया है।

आंदोलनकारी छात्रों ने 22 अक्टूबर को अंतरिम सरकार के सामने पाँच सूत्री माँग रखी थी, जिसमें बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन का इस्तीफा भी शामिल है। इन माँगों में अवामी लीग के छात्र संगठन ‘बांग्लादेश छात्र लीग’ पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल था। माना जा रहा है कि अंतरिम सरकार छात्रों के दबाव में राष्ट्रपति शहाबुद्दीन का इस्तीफा ले सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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