कोरोना संक्रमण के बाद से सवालों में घिरे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को चीन अवॉर्ड दे सकता है। चीनी सरकार की मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में 20 जून को प्रकाशित एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है। इसमें कहा गया है कि ‘विज्ञान वुहान लैब का नाम कोविड-19 वायरस की ‘पहचान’ के लिए ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट उपलब्धि’ हेतु शॉटलिस्ट की गई सूची में है। यह सूची चीन की विज्ञान अकादमी (CAS) ने 18 जून को प्रकाशित की थी।
वुहान लैब के वैज्ञानिकों को बताया ‘उत्कृष्ट योगदानकर्ता’
सूची में ‘बैट वुमन’ के नाम से पहचाने जाने वाली प्रयोगशाला निदेशक शी झेंगली और लैब के उप निदेशक युआन झिमिंग को उत्कृष्ट योगदानकर्ता के रूप में स्थान दिया गया है। डॉ. शी की कोविड-19 महामारी की पहचान करने और कोरोना वायरस जीन अनुक्रमण, वायरस आइसोलेशन, रिसेप्टर वेरिफेकेशन, माउस मॉडल स्टेब्लिशमेंट और महामारी की पहचान पर अन्य अध्ययनों को पूरा करने की उपलब्धि के लिए प्रशंसा की गई थी। दूसरी ओर, डॉ’ युआन को ‘कोरोनावायरस गैर-मानव प्राइमेट संक्रमण मॉडल की स्थापना में ‘उत्कृष्ट योगदान’ के लिए चुना गया।
‘वुहान लैब के वैज्ञानिक नोबेल के पात्र’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने 17 जून को संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि वुहान लैब की टीम की आलोचना करने के बजाय कोविड-19 पर शोध में उनके ‘योगदान’ के लिए उन्हें मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
पिछले हफ्ते, डॉ. शी ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को एक इंटरव्यू दिया था और अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में बताया था। उसने दावा किया कि किसी ऐसी चीज के लिए सबूत देना संभव नहीं है, जिसका कोई सबूत नहीं है। उसने कहा, “मैं किसी ऐसी चीज़ के लिए सबूत कैसे पेश कर सकती हूँ जहाँ कोई सबूत नहीं है?”
CAS द्वारा वुहान लैब की प्रशंसा की गई
GT के अनुसार, CAS ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने प्रकोप के बाद महामारी की पहचान करने के लिए तुरंत काम करना शुरू कर दिया और कम समय में वायरस जीनोम सीक्वेंसिंग और वायरस आइसोलेशन को पूरा किया। CAS ने कहा, “इसने पुष्टि की कि कोविड-19 वायरस SARS वायरस के समान फंक्शनल रिसेप्टर शेयर करता है, व्यवस्थित रूप से वायरस की बुनियादी जैविक विशेषताओं का विश्लेषण करता है और पता चला है कि चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोनावायरस संभवत: कोविड-19 कोरोनवायरस के विकासवादी पूर्वज हो सकते हैं।”
लैब लीक की आशंका
कुछ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अनुसार, वायरस को चीनी वैज्ञानिकों ने ‘गेन ऑफ फंक्शन’ नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किया था, जो आनुवंशिक हेरफेर के माध्यम से महामारी को सुपरचार्ज करता है। हालाँकि, सिद्धांत को साजिश बताते हुए खारिज कर दिया गया है।
दिलचस्प बात यह है कि उन 18 वैज्ञानिकों में से एक, अलीना चान, जिन्होंने साइंस जर्नल में एक पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें वायरस की उत्पत्ति की गहन जाँच की माँग की गई थी, ने NBC से लैब लीक सिद्धांत पर बात की। उन्होंने कहा, “उस समय ट्रम्प के साथ जुड़ना और नस्लवादियों का एक उपकरण बनना डरावना था, इसलिए लोग प्रयोगशाला में उत्पत्ति की जाँच के लिए लोग सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना थे।”
लैब लीक थ्योरी से WHO का इनकार
फरवरी 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति की जाँच की थी। अपनी जाँच में उसने निष्कर्ष निकाला कि यह पूरी तरह असंभव सा है कि वायरस प्रयोगशाला से लीक हुआ हो। हालाँकि, बहुत से वैज्ञानिक इस सिद्धांत से सहमत नहीं हैं। लैब लीक थ्योरी की अटकलों को गहन जाँच के बिना खारिज किया जाना मुश्किल है।
नए सिरे से जाँच के आदेश
मई 2021 में संयुक्त राज्य सरकार ने अपनी खुफिया एजेंसियों को नई 90 दिवसीय जाँच करने करने का आदेश दिया था, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य विश्व नेताओं ने वायरस की उत्पत्ति की और जाँच करने का आग्रह किया था।