पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक मौलवी से बहस करने पर ईशनिंदा का मामला दर्ज कर लिया गया है। यहाँ एक मुस्लिम परिवार की महिला ने ईसाई समुदाय के एक व्यक्ति की मौत की घोषणा मस्जिद से करने के लिए मौलवी से कहा। महिला चाहती थी कि उसके मृत पड़ोसी को दफनाए जाने के कार्यक्रम की घोषणा मौलवी मस्जिद करें, लेकिन मौलवी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। शिकायत पर पुलिस ने महिला के परिवार के खिलाफ ईशनिंदा का कानून दर्ज कर लिया। घटना 18 नवम्बर 2021 की बताई जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला भारत की सीमा से सटे बुर्की क्षेत्र के खुशहाल सिंह गाँव का है। इस गाँव के एक ईसाई की मौत हो गई, जिसको लेकर पड़ोसी मुस्लिम परिवार की महिला ने गाँव के जामिया मस्जिद हशमतुल्ला मस्जिद के मौलवी से दफनाने के कार्यक्रम की घोषणा मस्जिद से करने के लिए कहा। इस पर मौलवी ने कहा कि इस्लाम में मस्जिद से सिर्फ मुस्लिमों के अंतिम संस्कार की घोषणा करने की इजाजत है। मृत ईसाई व्यक्ति के लिए मस्जिद से घोषणा करने की माँग करना इस्लामी कानूनों का अपमान है।
इसके बाद महिला घर जाकर मौलवी की बात अपने शौहर को बताई। महिला का शौहर अपने तीन बेटों के साथ मस्जिद में गया और गैर-मुसलमानों के अंतिम संस्कार की घोषणा मस्जिद से ना करने को लेकर सवाल उठाया। उसने कानून और मौलवी के खिलाफ बात की।
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मौलवी के तहरीर पर पाकिस्तान पुलिस ने महिला के शौहर उमर बक्श और उसके तीनों बेटों – मजहर, मुराद और साहिल के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मौलवी ने अपनी बातों के समर्थन में तीन लोगों को गवाह बनाया है। पाकिस्तान के पुलिस अधिकारी इमरान हनीफ ने बताया कि आरोपित फरार हैं और उनकी तलाश की जा रही है। इसके लिए एक पुलिस दल का गठन किया गया है।
ईशनिंदा की जानकारी मिलते ही आसपास की मुस्लिम बस्तियों में आक्रोश फ़ैल गया है। इसके चलते वहाँ रहने वाले ईसाई परिवार में भय व्याप्त हो गया है। मुस्लिमों के डर से ईसाई परिवारों ने पलायन करना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के दुरुपयोग की खबरें आती रहती हैं। इसका इस्तेमाल अक्सर अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के दमन के लिए जाता है।