मलेशिया में एक व्यक्ति को वहाँ के फ़ेडरल कोर्ट में बड़ी जीत मिली है। इसे वहाँ का ऐतिहासिक न्यायिक निर्णय कहा जा रहा है। वहाँ ‘समलैंगिकों के बीच शारीरिक सम्बन्ध (Gay Sex)’ पर इस्लामी कानून के तहत प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसके खिलाफ उस व्यक्ति को अदालत में जीत मिली।
इस्लाम में इसे ‘प्रकृति की व्यवस्था के विपरीत’ बताया गया है। मलेशिया के समलैंगिक संगठनों (LGBTQ+) का कहना है कि इससे उनके अधिकारों को मजबूती मिलेगी।
मलेशिया की उच्चतम अदालत ने गुरुवार (फरवरी 25, 2021) को सर्वमत से लिए गए निर्णय में कहा कि वादी के खिलाफ जिन इस्लामी कानूनों के तहत कार्रवाई की गई थी, वो असंवैधानिक था और प्रशासन को उस कानून का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं था।
LGBTQ+ अधिकारों के लिए लड़ने वाली ‘पैलांगी कैम्पेन’ संस्था के संस्थापक ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक निर्णय है। वादी की उम्र 30-40 के बीच है, जिसका नाम उसकी सुरक्षा के कारण वकीलों ने छिपा लिया है।
2018 में उस व्यक्ति को सेंट्रल सेलंगोर में समलैंगिक सेक्स का प्रयास करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसने इन आरोपों को नकार दिया था। मलेशिया में समलैंगिक सम्बन्ध गैर-कानूनी है लेकिन इसे लेकर बहुत कम को ही सज़ा मिली है।
13 राज्यों वाले मलेशिया में दोहरा कानून चलता है। यहाँ सिविल कानूनों के साथ-साथ इस्लाम के हिसाब से पारिवारिक और आपराधिक नियम-कानून लागू होते हैं।
A Malaysian man has won a landmark court case against an Islamic gay sex ban.
— Openly 🏳️🌈 (@Openly) February 25, 2021
“This is historic. This is monumental for LGBT+ rights in Malaysia” – @NumanAfifi @pelangicampaign https://t.co/QxdUIuYsYH
LGBTQ+ समुदाय का कहना है कि इस्लामी कानून का इस्तेमाल कर के उन्हें प्रताड़ित किया जाता रहा है। गिरफ्तार कर के समलैंगिकों को जेल भी भेजा जाता है। संस्थानों ने कहा है कि मलेशिया के सभी राज्यों को LGBTQ+ विरोधी इस्लामी कानूनों को ख़त्म करना चाहिए।
मलेशिया में ब्रिटिश कानून के अनुच्छेद-377 के हिसाब से समलैंगिक सम्बन्ध बनाने पर 20 वर्ष की जेल मिलती है। मलेशिया में मुस्लिमों की संख्या 60% है। कोर्ट ने इस मामले में आदेश देते हुए कहा कि प्रशासन को संवैधानिक दायरे में रह कर ही इस मामले में इस्लामी कानून के इस्तेमाल की अनुमति है।
उक्त व्यक्ति सहित कुल 11 लोगों को एक प्राइवेट रेसिडेंस में समलैंगिक सेक्स के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पूर्वी समुद्री सीमा पर स्थित टेरेंगगनु राज्य में 2018 में महिलाओं को लेस्बियन सेक्स के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसी वर्ष एक ट्रांस महिला पर हमला भी हुआ था।
भारत की बात करें तो यहाँ गुज़रे कुछ सालों में वर्तमान सरकार ने ऐसे तमाम फैसले लिए हैं, जिनके चलते ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकार बड़े पैमाने पर सुनिश्चित होते हैं। अधिकार ही नहीं इस समुदाय के लोगों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसी अहम फायदे भी तय होते हैं। इनके रोजगार के लिए ही गृह मंत्रालय की ओर से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिए CAPF (Central Armed Police Force) में भर्ती की बात की गई।