Friday, June 13, 2025
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होठों को ही नहीं सँवारती है लिपस्टिक, अर्थव्यवस्था का भी हाल है बताता: जानिए कॉस्मेटिक्स सेल और मंदी में क्या है रिश्ता

'लिपस्टिक इफेक्ट' पहली बार 2001 की मंदी के दौरान चर्चा में आया था। उस समय यह देखा गया था कि इकोनॉमी की खराब हालत के बावजूद लिपस्टिक की बिक्री बढ़ी है।

एक तरफ जहाँ ब्रिटेन मंदी के दौर से गुजर रहा है, वहीं अमेरिका के भी हालात अच्छे नहीं हैं। ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि मंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में सिकुड़न आ सकती है। इन सब के बीच ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ की काफी चर्चा है। आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ के बारे में। साथ ही आपको यह भी बताते हैं कि इसका मंदी से क्या संबंध है।

फ़ोर्ब्स की रिपोर्ट की मुताबिक, अमेरिका में बीते 1 साल की तुलना में इस साल फेस केयर आइटम की बिक्री में 2.1% की गिरावट आई है। भले ही डॉलर मजबूत है, अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्र लड़खड़ा रहे हैं। मेकअप के सामग्रियों की बिक्री और लिपस्टिक आमतौर पर मुद्रास्फीति के दबावों से प्रभावित नहीं होते हैं, बल्कि इसकी खरीदारी में बढ़ोतरी होती है। हालाँकि, अमेरिका में ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ संकेत दे रहे हैं कि इसमें अब बदलाव हो रहा है।

क्या होता है ‘लिपस्टिक इंडेक्स’

मंदी के समय में लिपस्टिक इंडेक्स एक लंबे समय से आर्थिक संकेतक रहा है। आर्थिक मंदी के बावजूद लिपस्टिक की बिक्री बढ़ती है। इसके पीछे वजह यह है की उपभोक्ता, खासकर महिलाएँ तंगी की वजह से महँगी वस्तुओं पर खर्च कम कर देती हैं और खुद को अच्छा महसूस कराने के लिए कम महँगी चीजों को खरीदना पसंद करती हैं। दूसरी ओर कोरोना की वजह से मास्क की अनिवार्यता भी समाप्त हो गई है और लिपस्टिक की बिक्री बढ़ने लगी है।

ग्लोबल मार्केट ट्रैकिंग फर्म एनपीडी ग्रुप के डेटा में पाया गया कि लिपस्टिक और अन्य लिप मेकअप की बिक्री पिछले साल की तुलना में पहली तिमाही में 48% बढ़ी है। इसका मतलब है पिछले साल की तुलना में लिप मेकअप की बिक्री में 222 मिलियन डॉलर से अधिक की बिक्री हुई है।

कैसे आया चर्चा में

‘लिपस्टिक इफेक्ट’ पहली बार 2001 की मंदी के दौरान चर्चा में आया था। उस समय यह देखा गया था कि इकोनॉमी की खराब हालत के बावजूद लिपस्टिक की बिक्री बढ़ी है। 1929 और 1993 की महामंदी के दौरान भी ऐसा देखने को मिला था। इसे ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ नाम दिया गया। इस थ्योरी के मुताबिक, इकोनॉमी की सेहत और कॉस्मेटिक्स की बिक्री के बीच विपरीत संबंध है।

वहीं 2008-09 की आर्थिक मंदी के दौरान ‘फाउंडेशन इंडेक्‍स’ का टर्म सामने आया था। जब महिलाओं ने ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट पर ज्‍यादा पैसे खर्च करने के बजाए फाउंडेशन के जरिये अपनी त्‍वचा को चमकाने का राज खोजा। इस दौरान देखा गया कि मंदी के बावजूद बाजार में फाउंडेशन की बिक्री जबरदस्‍त रही और यह निष्‍कर्ष निकाला गया कि महिलाएं जब अन्‍य शौक की चीजों पर ज्‍यादा पैसे नहीं खर्च कर पा रहीं थी, तो फाउंडेशन के इस्‍तेमाल से खुद को खूबसूरत दिखाने की कोशिश की।

एनपीडी में ब्यूटी इंडस्ट्री एडवाइजर की सलाहकार लारिसा जेन्सेन ने बताया, “उपभोक्ता अर्थव्यवस्था के बारे में बुरा महसूस करते हैं तो वे अच्छा दिखना चाहते हैं। चूंकि वसंत और गर्मियों की शुरुआत में कंज्यूमर सेंटीमेंट गिर गया था, लिपस्टिक की बिक्री बढ़ गई। ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ जीवित और अच्छी तरह से हमारे बीच है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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