ग्रेटा थनबर्ग ने पिछले दिनों गलती से खालिस्तानियों का ‘टूलकिट’ डॉक्यूमेंट लीक कर दिया था। इससे उस वैश्विक षड्यंत्र की पोल खुल गई, जिसका मकसद भारत विरोधी एजेंडे का प्रचार और किसान आंदोलन की आड़ में 26 जनवरी जैसी हिंसा को हवा देना था। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस ने भी ‘किसान आंदोलन’ के समर्थन में कई ट्वीट किए हैं।
मीना हैरिस के साथ-साथ पूर्व ‘पोर्नस्टार’ मिया खलीफा और जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता कही जाने वाली ग्रेटा थनबर्ग और गायिका रिहाना भी इस प्रपंच में शामिल थीं। जब से भारत सरकार ने साजिश के मूर्त रूप लेने से पहले ही हस्तक्षेप कर करारा जवाब दिया है, तब से मीना हैरिस बौखला सी गई हैं। मीना हैरिस इस बात से नाराज हैं कि भारत में उनके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन क्यों हो रहा है। उनके पोस्टर्स क्यों जलाए जा रहे हैं?
मीना हैरिस और उनके गुट के लोग अभी भी भारत में हिंसात्मक विद्रोह का समर्थन कर रहे हैं और देश को अस्थिर बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अपने दोहरे रवैये का प्रदर्शन करते हुए हैरिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को विचित्र और भारत के लोगों को कट्टर करार दिया। बनावटी डर जाहिर करते हुए हैरिस ने कहा कि जो लोग उनका पुतला जला सकते हैं, ऐसे ‘कट्टरपंथी’ उनके साथ भारत में क्या करेंगे ये सोचा जा सकता है।
मीना हैरिस को अपने खिलाफ किया जाने वाला शांतिपूर्ण विरोध ‘कट्टरपंथी’ लगता है। लेकिन यही मीना हैरिस 26 जनवरी को दिल्ली में खेले गए हिंसा के नंगे खेल का समर्थन करती हैं, जिसमें खालिस्तानियों ने 400 पुलिसकर्मियों पर हमला करके उन्हें घायल कर दिया था। इस दौरान दंगाइयों ने तलवार, चाक़ू, पत्थर और डंडों का इस्तेमाल भी किया था और लाल किले पर धार्मिक झंडा भी लहराया था।
इसके पहले मीना हैरिस सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाती हुई नज़र आई थीं, जिसमें दावा किया गया था कि 23 साल की लेबर राइट ‘एक्टिविस्ट’ नवदीप कौर को गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में उन पर अत्याचार किए गए और उनका ‘यौन शोषण’ हुआ।
मीना हैरिस ने नवदीप कौर की बहन द्वारा वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द क्विंट’ पर किए गए दावे को आगे बढ़ाया था। कौर की बहन ने ‘द क्विंट’ से बात करते हुए बताया था कि उसे पुलिसकर्मियों ने बुरी तरह पीटा और उसके गुप्तांगों पर भी चोट के निशान हैं। हालाँकि, हरियाणा पुलिस ने इन सभी दावों को निराधार बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।
नवदीप कौर मजदूर अधिकार संगठन यूनियन से जुड़ी हुई हैं जो कि किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ 12 जनवरी को हरियाणा पुलिस ने उन्हें सिंघु बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किया था। बाद में अदालत ने 2 फरवरी को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके तुरंत बाद मीना हैरिस ने भी क्विंट द्वारा फैलाया गया प्रोपेगेंडा आगे बढ़ाने में देरी नहीं की। उन्होंने पुलिस का पक्ष समझना भी ज़रूरी नहीं समझा।
दिलचस्प बात ये है कि कैपिटल हिल में हुई हिंसा के बाद मीना हैरिस और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने पूरी मज़बूती के साथ माँग उठाई थी कि हिंसा को अंजाम देने वालों को जेल भेज देना चाहिए। जब वैसी ही घटना भारत में हुई तब उन्होंने यह समझने का प्रयास नहीं किया कि पुलिस का घटना पर क्या कहना है। इस हरकत के ज़रिए मीना हैरिस ने भारत की न्याय व्यवस्था को नीचा दिखाने का प्रयास किया।
मीना हैरिस यहीं रुकी नहीं! अपना मिथ्या प्रचार जारी रखते हुए कमला हैरिस की भतीजी ने एक और झूठी जानकारी साझा करते हुए लिखा कि भारतीय मीडिया ने उनके खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन का महिमामंडन किया है। हैरिस के मुताबिक़, मीडिया ने एक ‘किसान आंदोलन’ समर्थक महिला के पोस्टर जलाने वालों को बहादुर बना कर प्रदर्शित किया।
एक भी मीडिया समूह ने मीना हैरिस का विरोध करने वाले राष्ट्रवादियों के लिए इस तरह का शीर्षक प्रकाशित नहीं किया है, बल्कि वामपंथी मीडिया समूह उन राष्ट्रवादियों के दुष्प्रचार में खुल कर सामने आए जो देशहित के लिए खड़े हुए थे। वामपंथी मीडिया समूह विदेशी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने में ही व्यस्त हैं, जिससे भारतीयों की छवि को ही नुकसान हो रहा है।
मीना हैरिस ने ट्वीट में लिखा, “बात सिर्फ कृषि कानूनों की नहीं है। ये एक मुखर अल्पसंख्यक समुदाय की प्रताड़ना से जुड़ा मुद्दा है। ये पुलिस की हिंसा, कट्टर व हिंसक राष्ट्रवाद का मुद्दा है। ये मजदूरों के हितों पर हमला का मामला है। ये वैश्विक दादागिरी है। आप इन्हें आंतरिक मुद्दे बना कर मुझे दखल देने से न रोकें। ये हमारे मामले हैं।”
एक ऐसी अवसरवादी जिसे कृषि क़ानूनों के बारे में कुछ नहीं पता
मीना हैरिस को भले भारत सरकार के कृषि सुधार क़ानूनों के बारे में बुनियादी जानकारी या समझ नहीं हो, इसके बावजूद वह वैश्विक प्रोपेगेंडा प्रचार का हिस्सा बनीं।
अन्य अंतरराष्ट्रीय चेहरों की तरह मीना हैरिस ने भ्रम फैलाते हुए दावा किया कि दिल्ली में जिस तरह ‘किसानों के साथ अर्धसैनिक बलों ने हिंसा की’, उसकी वजह से उनमें बहुत ज़्यादा गुस्सा है। जबकि आंदोलन की आड़ लेकर हुई अराजकता में साफ़ देखा गया था कि आखिर कैसे दंगाई राजधानी की सड़कों पर उतरे और उन्होंने 400 पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया था।
कमला हैरिस के साथ अपने रिश्तों को लेकर अक्सर दिखावा करने वाली मीना हैरिस ने कट्टरपंथी इस्लामियों और भारत विरोधी तत्वों की मदद से भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने का प्रयास करने में लगी हुई हैं। मीना हैरिस की ट्विटर टाइमलाइन ‘किसान आंदोलन’ पर किए गए ट्वीट से भरी पड़ी है जिसके ज़रिए उन्होंने राजधानी दिल्ली में उपद्रव करने वालों का पक्ष लेने का भरपूर प्रयास किया है।
कमला हैरिस के सहारे अपने हित साधने वाली मीना हैरिस
36 वर्षीय मीना हैरिस ने स्टैनफ़ोर्ड और हार्वर्ड (Stanford and Harvard) से वकालत की पढ़ाई की है। इन्हें अमेरिका में पहचान तब मिली जब कमला हैरिस ने कुछ साल पहले उप राष्ट्रपति चुनाव का हिस्सा बनने का फैसला लिया। बीते कुछ सालों में मीना हैरिस पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल करके अपना हित साधने का प्रयास किया है।
इसके अलावा मीना हैरिस ने दो किताबें भी लिखी हैं, ‘एम्बिशीयस गर्ल (Ambitious Girl)’ और ‘कमला एंड मायाज़ बिग आइडिया (Kamala and Maya’s Big Idea)’। मीना ने अपनी किताबें बेचने के लिए भी कमला हैरिस के नाम का इस्तेमाल किया जो बाद में बेस्टसेलर भी बनी। नवंबर 2020 में हुए चुनाव के बाद हैरिस ने कपड़े की कंपनी और एक प्रोडक्शन कंपनी भी शुरू की।