Saturday, July 27, 2024
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जिसके राज में 1 साल में 853 को मिली सजा-ए-मौत, जिसे कहते थे ‘तेहरान का कसाई’; उसके इंतकाल के बाद किस राह जाएगा ईरान?

इब्राहिम रईसी की मौत के बाद अब मोहम्मद मोखबर को ईरान का राष्ट्रपति बनाया जाएगा। वह वर्तमान में ईरान के पहली वरीयता के उपराष्ट्रपति हैं। मोखबर अगले 50 दिनों के लिए अंतरिम राष्ट्रपति का रोल निभाएँगे। मोखबर ईरान की सेताद नाम की संस्था के प्रमुख रहे हैं।

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की रविवार (19 मई, 2024) को हुई एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 8 अन्य लोगों समेत मौत हो गई। इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर एक दुर्गम इलाके में जाकर क्रैश हो गया। राहत बचाव टीमों ने उनकी तलाश में कई घंटे का अभियान चलाया, जिसके बाद उनके शव सोमवार को बरामद किए जा सके।

इब्राहिम रईसी के साथ ही इस दुर्घटना में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दोल्लाहियान की भी मौत हो गई। रईसी के साथ यह दुर्घटना ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत से लौटते समय हुई। यहाँ वह एक बाँध का उद्घाटन करने गए हुए थे। उनके साथ अन्य कई महत्वपूर्ण लोग मौजूद थे। रईसी की मौत के बाद ईरान में नए नेतृत्व के लिए कवायद चालू हो गई है।

कौन थे इब्राहिम रईसी

हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए इब्राहिम रईसी 63 वर्ष के थे। वह 2021 में चुनाव जीत कर ईरान के 13वें राष्ट्रपति बने थे। इससे पहले 2017 में वह राष्ट्रपति चुनाव हार चुके थे। कट्टरपंथी माने जाने वाले रईसी ईरान के मुख्य न्यायाधीश भी रहे थे। उन्हें 2019 में ईरान का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। रईसी ईरान के आयतुल्लाह खुमैनी और आयतुल्लाह खामनेई दोनों के करीबी माने जाते थे। इब्राहिम रईसी मूल रूप से ईरान के मश्दाद के रहने वाले थे और 1979 में ईरान में हुए तख्तापलट के प्रदर्शनों में शामिल रहे थे।

इब्राहिम रईसी ने सरकार में अन्य कई महत्वपूर्व जिम्मे भी सम्भाले थे। रईसी ने ईरान के सबसे बड़े दीनी तालीम के मदरसे, कोम से शिक्षा हासिल की थी। रईसी के दो बेटियाँ हैं। उन्होंने 1982 में निकाह किया था। रईसी को सेना, न्यायपालिका और IRGC का बेहद करीबी माना जाता था। ईरान के वर्तमान सुप्रीम लीडर आय्तोल्लाह खामनेई के उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें ही देखा जाता था, वह उनके काफी नजदीकी थे। उनकी मौत के बाद नया राष्ट्रपति बनाए की प्रकिया चालू हो गई है।

इब्राहिम रईसी को कहते थे ‘तेहरान का कसाई’

इब्राहिम रईसी एक धड़े ने ‘तेहरान का कसाई’ की संज्ञा दी है। यह संज्ञा उन्हने उन्हने 1988 में एक समिति में रहने कारण दी गई है। इस समिति ने 1988 में 500 लोगों को फांसी की सजाएँ दी थी। यह सजाएँ राजनीतिक कैदियों को दी गई थीं। रईसी को कट्टरपंथी माना जाता था, वह 2015 में ईरान-अमेरिका और यूरोपियन देशों के बीच JCPOA डील के विरुद्ध थे, इसके अंतर्गत ईरान पर से प्रतिबन्ध हटाए जाने थे। बदले में ईरान ने अपना परमाणु प्रोग्राम रोकने का वादा किया था।

अब कौन होगा ईरान का राष्ट्रपति

इब्राहिम रईसी की मौत के बाद अब मोहम्मद मोखबर को ईरान का राष्ट्रपति बनाया जाएगा। वह वर्तमान में ईरान के पहली वरीयता के उपराष्ट्रपति हैं। मोखबर अगले 50 दिनों के लिए अंतरिम राष्ट्रपति का रोल निभाएँगे। मोखबर ईरान की सेताद नाम की संस्था के प्रमुख रहे हैं। यह संस्था ईरान में भलाई के काम देखती है। इसे ईरान के पहले सुप्रीम लीडर खुमैनी के आदेश पर स्थापित किया गया था। मोखबर ईरान की एक बैंक के भी मुखिया रहे हैं।

जहाँ ईरान में अधिकांश नेता मजहबी पृष्ठभूमि से आते हैं, मोखबर की छवि एक एक्सक्युटिव वाली है। मोखबर ने 2017 में ईरान के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पर्चा भरा था, लेकिन बाद में उन्होंने रईसी के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया था। अब राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले अगले चुनावों में मोखबर के भी प्रत्याशी बनने की संभावना है।

मोखबर को क्यों बनाया जा रहा राष्ट्रपति

दरअसल, मोखबर को राष्ट्रपति बनाए जाने के पीछे ईरान का एक कानून है। इसके अंतर्गत यदि राष्ट्रपति की आकस्मिक मौत हो जाती है, या फिर वह लम्बी बीमारी के कारण अपना काम करने में सक्षम नहीं रहता, तो उसकी जगह सबसे वरिष्ठ उपराष्ट्रपति को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जाता है और 50 दिनों के भीतर पूर्णकालिक राष्ट्रपति के लिए चुनाव करवाए जाते हैं। ईरान में एक से अधिक उपराष्ट्रपति होते हैं, इनको राष्ट्रपति स्वयं नियुक्त करता है। जो पहली वरीयता का उपराष्ट्रपति होता है, वह राष्ट्रपति का रोल किसी समस्या के कारण निभाता है।

रईसी की मौत: ईरान के लिए संकट

इब्राहिम रईसी की मौत ऐसे समय में हुई जब ईरान कई समस्याओं से गुजर रहा है। रईसी की मौत के कारण ईरान में नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है। वर्तमान में ईरान, इजरायल से सीधा खतरा झेल रहा है। उसने हाल ही में इजरायल पर हमला भी किया था। हमास के आतंकियों के समर्थन में ईरान होर्मुज की खाड़ी में भी कई जहाजों को निशाना बना चुका है। रईसी के ही कार्यकाल में ऐसा पहली बार हुआ है कि ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया हो।

इसके अलावा ईरान पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध अभी भी जारी हैं। इस कारण से ईरान में जनजीवन प्रभावित हुआ है। ईरान को अपना कच्चा तेल बेचने में भी समस्या आ रही है। ईरान के साथ हुई सामान्यीकरण की डील JCPOA से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाथ खींच लिए थे। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भी ईरान पर लगे प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं दी गई है। ऐसे में रईसी की मौत इस समस्या को और गहरा कर रही है।

रईसी के कार्यकाल में ईरान को मात्र बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक समस्याओं से भी जूझना पड़ा है। 2022 में ईरान में एक महिला महशा अमीनी की हिजाब ना पहनने के कारण सुरक्षाबलों द्वारा हत्या किए जाने के बाद पूरा देश उबल पड़ा था। ईरान में तब बड़ी संख्या में प्रदर्शन हुए थे। महिलाओं ने इस दौरान हिजाब जला और बाल काट कर अपना रोष प्रकट किया था। इसके बाद सड़कों अपर सुरक्षाबलों को उतरना पड़ा था। एक रिपोर्ट बताती है कि ईरान ने प्रदर्शनों को रोकने के लिए 800 से अधिक लोगों को मौत की सजा दी थी।

रईसी की मौत से ईरान की जनता को मौका

रईसी की मौत से ईरान की जनता को एक बार फिर अपना नेतृत्व चुनने का मौक़ा मिलेगा। ईरान की जनता ने रईसी से पहले हसन रूहानी को चुना था जो कि उदारवादी माने जाते थे। उनके मुकाबले रईसी को कट्टर समझा जाता था। रूहानी के राष्ट्रपति रहते हुए ही ईरान और अमेरिका तथा पश्चिमी देशों के बीच JCPOA समझौता हुआ था जिसके कारण ईरान पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। अब ईरान की जनता को फिर से यह मौक़ा मिलेगा कि वह रईसी की तरह ही किसी कट्टरपंथी को दोबारा मौका देती है या फिर कोई उदारवादी नेता सत्ता में आता है।

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