पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अनाज मंडी में 44 वर्षीय हिंदू व्यवसायी सुनील कुमार की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। न्यूज एजेंसी ANI ने इसकी जानकारी दी है। पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस नृशंस हत्या के तुरंत बाद 2 जनवरी को हिंदू एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के बाहर धरना देने के लिए जमा हुए। विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंदू व्यापारी के हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की माँग की गई। इस घटना के कारण शहर में शटडाउन कर दिया गया है।
हाल के वर्षों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसा में काफी वृद्धि देखी गई है। इस तरह की कई घटनाएँ नियमित तौर पर देखने को मिली है, जैसे- महिलाओं के साथ बलात्कार और अपहरण के लिए हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ करना। ऐसा खासकर हिंदू, ईसाई और सिख समुदाय से संबंध रखने वाली महिलाओं के साथ होता है। इसके अलावा मंदिर में तोड़-फोड़ करना, उसे हानि पहुँचाना पाकिस्तान की आम घटना बन चुकी है। कई ऐसे मौके आए, जब अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहने की वजह से पाक को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का शिकार होना पड़ा है, लेकिन इसके बावजूद इमरान खान सरकार ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
बता दें कि पिछले महीने एक पाकिस्तानी पत्रकार ने खुलासा किया था कि किस तरह देश के शिक्षण संस्थानों में हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाई जाती है। उन्होंने यह टिप्पणी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में ईशनिंदा के आरोप में श्रीलंकाई मैनेजर की नृशंस हत्या के बाद की थी।
‘इमरान शफ़क़त के साथ बातें’ (‘Tellings with Imran Shafqat’) पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान, एक पैनलिस्ट ने पाकिस्तान में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले असहिष्णुता और कट्टरता को उजागर किया था। उन्होंने बताया था, “हमारे बच्चों को स्कूलों में क्या पढ़ाया जा रहा है? जब मेरे बच्चे स्कूल से लौटते हैं तो मुझसे अजीबोगरीब सवाल पूछते हैं। एक दिन मेरे बेटे ने पूछा कि क्या पाकिस्तान में हिंदू हैं। मैंने उसे अपने हिंदू दोस्त के बारे में बताया। फिर उसने मुझे बताया कि कैसे उनके शिक्षक ने उन्हें सिंध में हिंदुओं को मारने के लिए प्रोत्साहित किया।” पाकिस्तानी पत्रकार के बेटे को स्कूल में पढ़ाया जाता था, “अगर सिंध में हिंदू हैं तो आप लोग उन्हें मार क्यों नहीं देते।”