Wednesday, April 24, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयशिनजियांग में कैद 20 लाख उइगरों के मानवाधिकारों के हनन पर पाकिस्तान की चुप्पी?

शिनजियांग में कैद 20 लाख उइगरों के मानवाधिकारों के हनन पर पाकिस्तान की चुप्पी?

उइगरों के विषय में कोई भी सवाल उठाना पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है और इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा। पाकिस्तान को यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि उइगर मसले पर कुछ भी बोलने से CPEC के कार्यान्वयन पर संभावित नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

चीन पर शिनजियांग में 10 लाख उइगरों को हिरासत में लेने व उइगरों पर अत्याचार करने का आरोप है, इस संदर्भ में हाल ही में 22 देशों के राजदूतों ने चीन की नीतियों की आलोचना करते हुए संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद को एक पत्र लिखा था। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान इस मामले में अपनी आँखें मूंदे बैठा है।

पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब जैसे कई इस्लामिक देश ऐसे देश हैं जिन्होंने समुदाय विशेष पर हो रहे इन कथित अत्याचारों पर चुप्पी साध रखी है। इसकी वजह शायद चीन का इन देशों में भारी निवेश है। चीनी निवेश इन देशों को आर्थिक संकट से उबारने में बहुत महत्वपूर्ण है। इसी के चलते ये इस्लामिक देश चीन की नीतियों का विरोध करने की बजाए उसके समर्थन में खड़े नज़र आते हैं।

चीन का करीबी सहयोगी, पाकिस्तान इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सबसे शक्तिशाली सदस्यों में से एक है। हालाँकि, इस संगठन ने बड़े पैमाने पर शिनजियांग में इस्लाम के ख़िलाफ़ मानव अधिकारों के मामलों को कवर किया है।

ब्रसेल्सबेड साउथ एशिया डेमोक्रेटिक फोरम (SADF) के अनुसंधान निदेशक, डॉ सिगफ्रीड ओ वुल्फ ने पाकिस्तान की इस चुप्पी के विषय में कहा कि इसकी मुख्य वजह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का कार्यान्वयन है। यह बात स्पष्ट है कि उइगरों के विषय में कोई भी सवाल उठाना पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है और इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ेगा। पाकिस्तान को यह बात अच्छी तरह से मालूम है कि उइगर मसले पर कुछ भी बोलने से CPEC के कार्यान्वयन पर संभावित नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

इसके आगे उन्होंने कहा, “इस संदर्भ में, हमें यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि पाकिस्तानी नेतृत्व देश में चीनी-विरोधी भावनाओं को आगे न बढ़ाने के लिए सवाल नहीं उठाना चाहता जो कि पहले से ही बढ़ रही हैं। इससे चीनी परियोजनाओं, श्रमिकों और कंपनियों की सुरक्षा स्थिति और भी ख़राब हो जाएगी।”

वुल्फ ने कहा कि एक और पहलू इस्लामाबाद है जो विशेष रूप से चीन में उइगरों के साथ दुर्व्यवहार को अनदेखा करके बीजिंग को खुश करना चाहती हैं। इससे सुरक्षा और सैन्य-संबंधित मामलों में पाकिस्तान-चीन द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाने में पाक को मदद मिलती है। जो चीनी हथियारों और सैन्य उपकरणों के वितरण में स्पष्ट नज़र आती है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को लिखे पत्र में चीन को उइगरों की हिरासत को रोकने का आग्रह किया गया था। अमेरिकी विदेश मंत्री, माइकल पोम्पेओ ने उइगरों को क़ैद रखने की चीन की नीति को ‘सदी का दाग’ भी कहा। विदेश विभाग का अनुमान है कि 8 लाख उइगरों समेत इसी मजहब जे 20 लाख तुर्कों को बीजिंग ने आंतरिक शिविरों में “re-education” के नाम पर क़ैद कर रखा है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि शिनजियांग में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन को कवर करने के लिए पाकिस्तान चीन के साथ हाथ मिला रहा है। यूरोपीय फ़ाउंडेशन फ़ॉर साउथ एशियन स्टडीज़ (EFSAS) के एक वरिष्ठ शोध विश्लेषक दुसन वेन्ज़ोविच ने कहा कि जिस तरह से चीन आतंकवाद का मुक़ाबला करने के लिए दोहरे मानकों को बनाए रखता है, मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी न घोषित करना इस बात को स्पष्ट करता है।” 

वुल्फ ने इस बात पर भी अंदेशा जताया कि पाकिस्तान, अमेरिका की यात्रा के दौरान दोहरा खेल खेलने की अपनी पुरानी रणनीति को जारी रखेगा। वुल्फ का मानना ​​है कि ईरान पर इस्लामाबाद का रुख, साथ ही ईरान-पाकिस्तान-चीन द्वारा साझा किए गए त्रिपक्षीय संबंधों को अमेरिका के साथ बातचीत में एक सौदेबाज़ी के तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला, लिबरल मीडिया ने उन्हें बदनाम किया’: JP मॉर्गन के CEO हुए PM मोदी के मुरीद, कहा...

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए जेमी डिमन ने कहा, "हम भारत को क्लाइमेट, लेबर और अन्य मुद्दों पर 'ज्ञान' देते रहते हैं और बताते हैं कि उन्हें देश कैसे चलाना चाहिए।

आपकी निजी संपत्ति पर ‘किसी समुदाय या संगठन का हक है या नहीं’, सुप्रीम कोर्ट कर रहा विचार: CJI की अध्यक्षता में 9 जजों...

सुप्रीम कोर्ट में निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ मानने को लेकर 32 साल पुरानी एक याचिका पर सुनवाई की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe