Thursday, April 25, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयनए IT कानून सोशल मीडिया यूजर्स को मजबूत करने के लिए: भारत के स्थाई...

नए IT कानून सोशल मीडिया यूजर्स को मजबूत करने के लिए: भारत के स्थाई मिशन ने UN में सभी सवालों के दिए जवाब

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने साफ किया है कि नए आईटी कानून सामान्य सोशल मीडिया यूजर्स को सशक्त करने के लिए बनाए गए हैं। इन्हें लंबे विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है।

भारत सरकार द्वारा अधिनियमित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों पर ह्यूमन राइट्स काउंसिल की स्पेशल प्रॉसीजर ब्रांच ने पिछले दिनों अपनी कुछ चिंता जाहिर करते हुए सवाल किए थे। इन्हीं सवालों का जवाब अब भारत के स्थाई मिशन ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सामने दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने साफ किया है कि नए आईटी कानून सामान्य सोशल मीडिया यूजर्स को सशक्त करने के लिए बनाए गए हैं। इन्हें लंबे विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है।

मालूम हो कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने इस बाबत जवाब दिया। भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि सोशल मीडिया पर पीड़ित व्यक्ति के पास शिकायत करने के लिए आधिकारिक फोरम होगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज में सरकार ने कहा, “भारत का स्थाई मिशन यह भी सूचित करना चाहता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2018 में कई व्यक्तियों, सिविल सोसाइटी, उद्योग संघ और संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया और तैयार करने के लिए सार्वजनिक टिप्पणियाँ आमंत्रित कीं ताकि नियम ड्राफ्ट किए जा सके। इसके बाद एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में प्राप्त टिप्पणियों पर विस्तार से चर्चा हुई और उसके बाद नियमों को अंतिम रूप दिया गया।”

बयान में आगे कहा गया है, “भारत का स्थाई मिशन यह भी बताना चाहेगा कि भारत की लोकतांत्रिक साख सर्वविदित है। भारतीय संविधान के तहत वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी दी गई है। स्वतंत्र न्यायपालिका और मजबूत मीडिया भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे का हिस्सा हैं।”

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार “नए आईटी रूल्स को लागू करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत उपयोग की घटनाएँ बढ़ रही थी। इसमें लालच देकर आतंकियों की भर्ती, अश्लील सामग्री का प्रचार-प्रसार, अशांति फैलाना, ऑनलाइन फ्रॉड, हिंसा उकसाना, व्यवस्था बिगाड़ना आदि शामिल है।”

विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और अन्य अनुप्रयोगों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और संबंधित सामग्री को खत्म करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तैयार करने को कहा था। न्यायालय ने निर्देश दिया था कि ऐसे सामग्री संदेशों को भेजने वाले व्यक्तियों, संस्थानों और निकायों का पता लगाने के लिए उचित व्यवस्था तैयार करना अनिवार्य हो। ऐसे में बिचौलियों से इस तरह की जानकारी लेना जरूरी हो गया।

इसके अलावा भारतीय संसद ने बार-बार भारत सरकार से कानूनी ढाँचे को मजबूत करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानूनों के तहत जवाबदेह बनाने के लिए कहा था। माँग के अनुरूप एक अंतर-मंत्रालयी बैठक में प्राप्त टिप्पणियों पर विस्तार से चर्चा की गई और उनके बाद ही नियमों को अंतिम रूप दिया गया।

मालूम हो कि नए आईटी नियमों को भारत सरकार ने 25 फरवरी को अधिसूचित किया था, और आवश्यक लोगों की नियुक्ति के लिए तीन महीने की अवधि दी गई थी। जिसके बाद ये नए आईटी नियम 26 मई 2021 से लागू हुए।

इन नियमों का जहाँ अधिकतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने बिना किसी सवाल के पालन किया। वहीं ट्विटर लगातार सरकार की नाफरमानी करता रहा जिसके चलते सरकार और ट्विटर के बीच अनबन हुई। ट्विटर ने भारत सरकार के सामने अकड़ दिखाते हुए ये तक कहा कि उनकी अपनी नीतियाँ भारत सरकार के कानून से ज्यादा जरूरी हैं। वहीं संसदीय कमेटी ने कहा कि देश का कानून सर्वोच्च हैं और कंपनी को इसे फॉलो करना ही होगा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कॉन्ग्रेस ही लेकर आई थी कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, BJP ने खत्म किया तो दोबारा ले आए: जानिए वो इतिहास, जिसे देवगौड़ा सरकार की...

कॉन्ग्रेस का प्रचार तंत्र फैला रहा है कि मुस्लिम आरक्षण देवगौड़ा सरकार लाई थी लेकिन सच यह है कि कॉन्ग्रेस ही इसे 30 साल पहले लेकर आई थी।

मुंबई के मशहूर सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल परवीन शेख को हिंदुओं से नफरत, PM मोदी की तुलना कुत्ते से… पसंद है हमास और इस्लामी...

परवीन शेख मुंबई के मशहूर स्कूल द सोमैया स्कूल की प्रिंसिपल हैं। ये स्कूल मुंबई के घाटकोपर-ईस्ट इलाके में आने वाले विद्या विहार में स्थित है। परवीन शेख 12 साल से स्कूल से जुड़ी हुई हैं, जिनमें से 7 साल वो बतौर प्रिंसिपल काम कर चुकी हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe