मालदीव के मंत्रियों के भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपमान को लेकर भारत में आए उबाल से कॉन्ग्रेस नेताओं को परेशानी है। मालदीवियन नेताओं द्वारा भारत के अपमान का जिम्मेदार कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भारतीयों को ही बता डाला है। हालाँकि, प्रियांक खड़गे ने यह सच्चाई छुपा दी कि मालदीव की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा लगभग 3 वर्षों से भारत विरोधी अभियान ‘इंडिया आउट’ में जुटा हुआ है।
India used to be the friendly big brother for our Asian and Indian Ocean neighbors. But strong arming smaller nations doesn’t help India in anyway. We are losing all the goodwill that has been built over decades.
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) January 10, 2024
This is what happens when Govt allows party IT cell trolls to run… pic.twitter.com/iKD3RPLRDZ
प्रियांक खड़गे का कहना है कि मालदीव जैसे छोटे देश के लोगों द्वारा प्रधानमंत्री और देश का अपमान किए जाने की आलोचना करना हमारी विदेश नीति के लिए सही नहीं है। प्रियांक खड़गे ने यह भी तथ्य नकार दिया कि भारतीयों ने मालदीव के किसी भी नेता की निजी तौर पर बुराई नहीं की थी और ना ही मालदीव के लोगों को लेकर कोई टिप्पणियाँ की थी। हालाँकि, मालदीवियन अकाउंट्स ने प्रधानमंत्री मोदी और भारतीयों के लिए अभद्र शब्दों का उपयोग किया।
प्रियांक खड़गे ने लिखा, “एशिया और हिन्द महासागर में स्थित देशों के लिए भारत मित्रतापूर्ण व्यवहार वाला एक बड़ा भाई हुआ करता था, लेकिन छोटे देशों को दबाना भारत को किसी भी रूप में मदद नहीं करने जा रहा है। हम दशकों से बनाई गई सद्भावना को खो रहे हैं। जब सरकार पार्टी के आईटी सेल को देश के विदेश मामले चलाने के लिए दे देती है तो ऐसा ही होता है।”
3 साल से चल रहा ‘इंडिया आउट’ अभियान
भले ही प्रियांक खड़गे का कहना हो कि भारत के सोशल मीडिया यूजर मालदीव का बिना किसी बात के विरोध कर रहे हैं लेकिन मालदीव में भारत विरोधी भावनाएँ आज से नहीं हैं। वर्ष 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव का रुख चीन की तरफ मोड़ा और इसे चीन की कठपुतली बना दिया।
यामीन ने सत्ता में आने के लिए भारत विरोधी भावनाओं को को खूब हवा दी थी। उन्होंने 2013 से पहले मालदीव के राष्ट्रपति रहे मोहम्मद नशीद को भारत के प्रति समर्पित बताया था। यामीन के शासन में चीन ने मालदीव में अपनी खूब घुसपैठ बढ़ाई और इसे उलटे-सीधे शर्तों पर कर्ज दिए। इसी दौरान चीन ने यहाँ भारत विरोधी भावनाओं को और भी भड़काया।
इसके बाद जब 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति बने और उन्होंने भारत की मोदी सरकार से रिश्ते सही करना चालू किए तो यामीन और उनके भारत विरोधी शागिर्दों ने फिर से दुष्प्रचार चालू कर दिया। अक्टूबर 2020 में यामीन और मालदीव की अन्य विपक्षी पार्टियों ने ‘भारत को बाहर करो’ (India Out) अभियान चलाया।
इसके आधार पर उनका कहना था कि मालदीव से भारतीय सैनिकों को, जो कि यहाँ राहत बचाव के कामों में लगे थे, उन्हें निकाला जाए। साथ ही में मालदीव में काम करने वाले भारतीयों तथा भारत के अन्य हितों के खिलाफ भी इन्होंने प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शन के जरिए यामीन 2023 में दोबारा मालदीव का राष्ट्रपति बनना चाहते थे।
यामीन के इस ‘इंडिया आउट’ अभियान के पीछे चीन का भी हाथ था। पहले मालदीव की मीडिया में भारत विरोधी इन स्वरों को इतना कवर नहीं किया जा रहा था लेकिन बाद में यामीन के कुछ करीबियों ने कुछ मीडिया पोर्टलों का इस्तेमाल कर भारत की आलोचना चालू कर दी। ये पोर्टल यामीन के करीबियों के हैं। यामीन के कई विश्वस्तों ने चीन के साथ बड़ी बिजनेस डील की हैं।
मुइज्जू की एंट्री
इस पूरे भारत विरोधी अभियान को यामीन ने अपने फायदे के लिए चलाया था लेकिन जनवरी 2023 में उन्हें कोर्ट ने भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया कर जेल भेज दिया। ऐसे में वह रेस से बाहर हो गए। इसके साथ ही राष्ट्रपति पद की दौड़ में मोहम्मद मुइज्जू का नाम भी आ गया। मुइज्जू यामीन के शागिर्द हैं और राष्ट्रपति बनने से पहले मालदीव की राजधानी के मेयर थे।
मुइज्जू ने विकास, टूरिज्म को बढ़ावा या अन्य कोई मुद्दा ना उठाकर इंडिया आउट को ही अपना चुनावी अभियान बना लिया। वह इसमें पहले से ही शामिल थे। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए उन्होंने भारत की आलोचना चालू कर दी और भारत के विरोध में रैलियाँ निकाली।
उनकी कुछ तस्वीरें ऐसी भी सामने आई हैं जिनमें वह ‘इंडिया आउट’ लिखी हुई टीशर्ट पहनी हुई हैं। मुइज्जू के पूरे चुनाव अभियान का आधार यही था कि वह राष्ट्रपति बने तो मालदीव से भारतीय सैनिकों को निकाल देंगे और भारत का समर्थन नहीं करेंगे। हालाँकि, उनके इस भारत विरोधी रवैये पर भी भारत एकदम शांत रहा।
लेकिन उनकी सरकार के मंत्रियों द्वारा भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपमान के बाद भारत के लोगों को का गुस्सा फूट गया और उन्होंने मालदीव का बहिष्कार करने की अपील की। ऐसे में यहाँ पर इस पूरे विवाद की जड़ मालदीव में है ना कि भारत में और सबसे पहले भड़काने का काम मालदीव के लोगों ने ही किया।
अब तक क्या हुआ?
गौरतलब है कि हाल ही में मालदीव की मुइज़्ज़ू सरकार में मंत्री मरियम शिनुआ, मालशा शरीफ और अब्दुल्ला मह्जूम समेत सत्ताधारी पार्टी के अन्य सदस्यों ने भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ काफी अपमानजनक टिप्पणियाँ की थीं। मुइज्जू की सरकार में मंत्री मरियम शिनुआ ने प्रधानमंत्री मोदी को इजरायल की कठपुतली कहा था। इनकी यह अभद्रता प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरें डालने के बाद सामने आई थी।
भारत के नाराज होने के बाद मालदीव की सरकार ने इन मंत्रियों को निलंबित कर दिया था और साथ ही एक बयान जारी करके कहा था कि मालदीव की सरकार ऐसे बयानों का समर्थन नहीं करती है और यह इन व्यक्तियों के निजी मत हैं। मालदीव के दो पूर्व राष्ट्रपति और मालदीव की राजनीतिक पार्टियों ने भी मुइज्जू सरकार के मंत्रियों की आलोचना की थी।
इनकी अपमानजनक टिप्पणियों के कारण भारत में मालदीव के प्रति उबाल आ गया और लोगों ने मालदीव के इस रवैये की आलोचना की। एक्स (पहले ट्विटर) पर भी इसको लेकर लगातार अभियान चलाया गया। भारत ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति की गई टिप्पणियों को राजनयिक स्तर पर भी मालदीव के साथ उठाया।
प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर अपमानजनक टिप्पणियाँ करने के कारण कई बॉलीवुड सितारों और हस्तियों ने मालदीव के रवैये की निंंदा की थी। साथ ही लक्षद्वीप को बढ़ावा देने वाले ट्वीट किए थे। इन ट्विट्स में उन्होंने कहा था कि वह लोग भी लक्षद्वीप जाएँगे। वहीं ऑनलाइन ट्रैवल कम्पनी EaseMyTrip ने भी कहा था कि वह मालदीव की फ्लाइट टिकट बुक करना बंद कर देंगे।
भारत द्वारा मामले को राजनयिक स्तर पर उठाने के बाद मालदीव के हाई कमिश्नर इब्राहीम शहीब को विदेश मंत्रालय ने तलब किया था। मालदीव के हाई कमिश्नर 8 जनवरी, 2024 को सुबह नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्रालय पहुँचे। उन्हें यहाँ कुछ ही मिनटों के लिए बुलाया गया था।
मालदीव एसोसिएशन ऑफ़ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने मालदीव के मंत्रियों के भारत और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दिए गए बयानों की आलोचना की थी। इसने एक बयान इस सम्बन्ध में जारी किया था। संस्था ने कहा था, “MATI मालदीव के कुछ उपमंत्रियों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत के लोगों के खिलाफ की गई अपमानजनक बातों की आलोचना करती है। भारत मुश्किलों में सबसे पहले हमारी सहायता करने वाला देश रहा है और हम भारत के लोगों और साथ ही इसके सरकार के प्रति आभार जताते हैं।”