Thursday, April 25, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'हिंदू होना और जय श्रीराम कहना अपराध नहीं': ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष रश्मि...

‘हिंदू होना और जय श्रीराम कहना अपराध नहीं’: ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष रश्मि सामंत का इस्तीफा

“यह सच कि मैं हिंदू हूँ। यह मुझे ऑक्सफोर्ड एसयू का अध्यक्ष बनने के लिए असहिष्णु या अनफिट नहीं बनाता है। इसके विपरीत, मैं वास्तविक अर्थों में विविधता के मूल्य को समझती हूँ, हालाँकि विकसित दुनिया की पेचीदगियों के लिए मेरा संपर्क सीमित है।”

रश्मि सामंत ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक से आने वाली रश्मि ने हाल ही में स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनकर इतिहास रचा था। अपनी हिंदू पहचान और उपनिवेशवाद विरोधी विचारों को लेकर ऑनलाइन निशाना बनाए जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है।

कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सामंत को निशाना बनाते हुए इसे नस्ली और असंवेदनशील बताया गया। इन पोस्टों के जरिए उन्हें नस्लवादी, यहूदी विरोधी, इस्लामोफोबिक, ट्रांसफ़ोबिक बताने की कोशिश की गई। यहाँ तक कि उनके हिंदू होने को लेकर भी निशाना साधा गया। सामंत को 11 फरवरी को प्रतिष्ठित पद के लिए चुना गया था, लेकिन ऑनलाइन आलोचना और दुर्व्यवहार का सामना करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

दरअसल रश्मि सामंत ने 2017 में जर्मनी में बर्लिन होलोकास्ट मेमोरियल की यात्रा के दौरान एक पोस्ट में कुछ तस्‍वीरें पोस्‍ट की थीं, जिसमें वह मलेशिया के बुद्ध मंदिर के बाहर खड़ी हैं। इसके कैप्‍शन में उन्‍होंने लिखा था- चिंग चांग। ऑक्सफोर्ड द्वारा प्रकाशित होने वाले एक साप्ताहिक स्टूडेंट अखबार ‘चेरवेल’ द्वारा इस खबर को प्रकाशित करने के बाद विवाद गहरागया। एक अन्य कैप्शन में, रश्मि ने एक छात्र संघ अध्यक्षीय डिबेट में केप कॉलोनी के पूर्व प्रधानमंत्री (वर्तमान दक्षिण अफ्रीका) सेसिल रोड्स और एडॉल्फ हिटलर के बीच तुलना की।

इसके अलावा, ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन के अभियान ने नस्लीय जागरूकता और समानता (CRAE) के लिए और ऑक्सफोर्ड SU LGBTQ अभियान ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति-चुनाव के लिए सोशल मीडिया पोस्ट की आलोचना की।

उपरोक्त आरोपों के अलावा, रश्मि को एक समर्पित हिंदू होने के लिए भी निशाना बनाया गया था। ऑक्सफोर्ड के एक फैकल्टी मेंबर ने रश्मि के माता-पिता को विवाद में घसीटते हुए एक पोस्ट किया, जिसमें उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर भगवान श्री राम की तस्वीर दिखाने के लिए हमला करते हुए आरोप लगाया गया कि रश्मि के छात्र परिषद चुनावों को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

इस अपमानजनक पोस्ट में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सदस्य ने रश्मि पर इस्लामोफोबिक होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह तटीय कर्नाटक से आई है, जिसे फैकल्टी सदस्य ने ‘इस्लामोफोबिक सुदूर ताकतों का गढ़’ कहा। प्रोफेसर ने डिकोलोनाइजेशन पर विचारों के लिए भी सामंत पर हमला किया और ऐसा करने के लिए, कई पश्चिमी लोगों के बीच प्रचलित हिंदू संस्कृति और परंपराओं की विकृत समझ का प्रदर्शन किया।

रश्मि ने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कर्नाटक के उडुपी जिले में अपने घर लौट आईं। इससे पहले रश्मि सामंत ने ओपन लेटर लिखकर सोशल मीडिया पर अपने इस्‍तीफे की घोषणा की। अपने पत्र में, रश्मि ने ऑक्सफोर्ड में छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में चुने जाने को अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया।

उन्होंने अपने हिंदू होने और सोशल मीडिया पोस्टों के लिए परेशान किए जाने के बारे में भी बात की। रश्मि विशेष रूप से एक फैकल्टी सदस्य द्वारा अपने माता-पिता पर किए गए अनुचित हमले और सार्वजनिक तौर पर उनकी धार्मिक भावनाओं का अपमान करने से आहत थीं।

रश्मि ने कहा, “यह सच कि मैं हिंदू हूँ। यह मुझे ऑक्सफोर्ड एसयू का अध्यक्ष बनने के लिए असहिष्णु या अनफिट नहीं बनाता है। इसके विपरीत, मैं वास्तविक अर्थों में विविधता के मूल्य को समझती हूँ, हालाँकि विकसित दुनिया की पेचीदगियों के लिए मेरा संपर्क सीमित है।”

उन्होंने कहा, “मैंने अपने कदम पीछे खींचे, क्योंकि मेरे संस्कारों ने मुझे ‘संवेदनशील’ होना सिखाया। उन लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील, जिन्होंने मुझ पर अपना विश्वास दिखाया, मैं अपने उन विचारों के लिए संवेदनशील हूँ कि मुझे मनुष्यों का सम्मान करना है और और छात्र समुदाय के कल्याण के लिए संवेदनशील हूँ, जो एक कामकाजी एसयू के हकदार हैं और व्यक्तिगत स्तर पर, साइबरबुलिंग के उन प्रभावों के प्रति संवेदनशील हूँ जो ‘संवेदनशीलता’ के नाम पर मेरे खिलाफ टारगेट किया।”

इंडिया अहेड न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, सामंत ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट 5 साल पहले किए गए थे, जब वह किशोरी थी और मुद्दों के बारे में अपनी प्रतिबद्धता नहीं बनाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके द्वारा दिए गए कैप्शन दूसरों को चोट पहुँचाने के इरादे से नहीं दिए गए थे।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक फैकल्टी सदस्य द्वारा विवाद में घसीटे जाने के बारे में पूछे जाने पर सामंत ने कहा कि हिंदू होना और ‘जय श्रीराम’ कहना अपराध नहीं है और वह इस बात से हैरान थी कि पद से इस्तीफा देने के लिए उन पर दबाव बनाने के लिए उनके माता-पिता की धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्तियों का खुले तौर पर अपमान किया गया ।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe