Saturday, July 27, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयजानें क्या है 'RCEP': PM मोदी ने इसमें शामिल होने से क्यों किया इनकार

जानें क्या है ‘RCEP’: PM मोदी ने इसमें शामिल होने से क्यों किया इनकार

इस समझौते से भारत के बाज़ार को भारी क्षति पहुँचने की सम्भावना है, और हो सकता है कि भारतीय बाज़ारों में चीनी सामान की बाढ़ आ जाए। ऐसे में इसका सीधा नुकसान भारत के छोटे कारोबारियों पर पड़ेगा।

बैंकॉक में आरसीईपी यानी रीजनल कॉम्प्रेहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत इसमें शामिल नहीं होगा। इस समूह के ज़रिए चीन अन्य देशों के बाजार में अपने पैर पसारने और हित साधने के लिए जुटा था। पीएम मोदी ने बैठक में यह साफ़ कर दिया कि हिन्दुस्तानियों के हितों को ताक पर नहीं रखा जाएगा। दरअसल आरसीईपी समझौता 10 आसियान देशों (इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया, चीन, जापान, फिलिपीन्स, कम्बोडिया, लाओस, ब्रूनेई, म्यांमार और सिंगापुर) और 6 अन्य देशों (भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है।

इस समझौते के तहत प्रस्ताव था कि यह 16 देश एक दूसरे को व्यापार टैक्स से लेकर कई अन्य सुविधाएँ देंगे मगर जैसे ही इस मुद्दे पर समझौते की तारीख़ करीब आई तो भारत में कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। बता दें कि जहाँ एक तरफ इस समझौते को विश्व की सबसे बड़ी डील कहा जा रहा है वहीं दूसरी ओर अमेरिका के खिलाफ चले ट्रेड-वॉर में चीन का एक मोहरा है। दरअसल अमेरिका से व्यापार युद्ध में मात खा रहा चीन इस समझौते को जल्द से जल्द पारित कराने को उतावला है जबकि भारत सहित आरसीईपी के अन्य आसियान देशों का मत था कि इसपर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और 2020 तक इसे लंबित किया जा सकता है ताकि इसपर विस्तृत चर्चा हो सके।

एक मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस समझौते से भारत के बाज़ार को भारी क्षति पहुँचने की सम्भावना है, और हो सकता है कि भारतीय बाज़ारों में चीनी सामान की बाढ़ आ जाए। ऐसे में इसका सीधा नुकसान भारत के छोटे कारोबारियों पर पड़ेगा। साथ ही इसे अमेरिका के ट्रांस पैसेफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) का चीन की ओर से प्रति-उत्तर के रूप में देखा जा रहा है।

दरअसल, जब डोनाल्ड ट्रम्प ने इस टीपीपी से अमेरिका को अलग कर दिया तब एशियाई देशों के मुक्त व्यापार के लिए इस आरसीईपी का गठन किया गया। इस समझौते को लेकर कहा जा रहा है कि यह सिर्फ टैरिफ फ्री ट्रेड यानी कर मुक्त व्यापार के लिए है। वहीं इसमें शामिल देशों की आर्थिक समानता पर भी सवाल किए जा रहे है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा है कि आरसीईपी समझौते पर भारत ने अभी अपना मत स्पष्ट नहीं किया है।

दरअसल भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर से पूर्व कुछ शर्तें रखी थीं जिसके बाद इसके लंबित होने की आशंका थी मगर बाद में भारत ने उसे रद्द कर दिया। बता दें कि पीएम मोदी ने पहले ही साफ़ कर दिया था कि भारत समावेशी और संतुलित आरसीईपी के समझौते पर ही सहमत होकर इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ेगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -