वुहान कोरोना वायरस दुनिया भर के लिए आज एक भयानक खतरे और महामारी के रूप में उपस्थित है। दुनिया भर के देश आज इस वायरस से बचने को भागे-भागे घूम रहे, इसके खिलाफ लड़ाई के लिए सारे संसाधन झोंकने को तैयार दिख रहे। कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन के हालात हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था औंधे मुँह गिरी पड़ी है।
COVID-19 या SARS-CoV-2, के नाम से जाना जा रहा यह वायरस अत्यंत संक्रामक है और एक बड़ी आबादी को बेहद कम समय में अपनी गिरफ्त में ले सकता है, उस स्थान के स्वास्थ्य ढाँचे को तबाह कर सकता है। इस नोबल वायरस से किस हद तक भयावह स्थिति पैदा हो सकती है, इसका ठीक-ठीक अनुमान हमें इटली जैसे देश के मौजूदा हालातों से लग सकता है, जहाँ इस घातक वायरस के कारण त्राहिमाम की स्थिति है।
वैज्ञानिक इस वायरस से भी ज्यादा खतरनाक वायरस से पैदा संक्रमण पर बहुत पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। ये zoonotic वायरस हैं, यानी जो गैर मानवों से मानवों में फैलता है। SARS-CoV-2 वायरस चमगादड़ कोरोना वायरस से निकटता रखता है। ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि यह मानवों में किसी मध्यस्थ पशु जैसे पैंगोलिन के जरिए ट्रांसमिट हुआ है। जिसका कारण इंसानों की फूड हैबिट यानी खाने की आदतें हैं।
वैज्ञानिकों ने एक साइंस पेपर के जरिए इस तरह के वायरसों के उद्भव के संबंध में कई साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। चेंग वीसी, लाऊ एसके, वू पीसी और युएन केवाई ने 2007 में एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था। उसमें इस बात का अंदेशा व्यक्त किया गया था कि दक्षिण चीन में लोगों की खाने की आदतें, जो विदेशज किस्म के स्तनपायी जीवों को खाने के लिए विख्यात हैं, असल में एक टाइम बम हैं। याद रहे कि कोरोना भी वुहान शहर के एनिमल मार्केट से ही फैलना शुरू हुआ।
उपरोक्त रिसर्च पेपर में यह चेतावनी भी दी गई थी कि इस तरह के वायरस जेनेटिक बदलावों के जरिए और संश्लेषण से नए वायरस संक्रमणों में बदल सकते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान दिलाया गया था कि SARS-CoV जैसे वायरसों के लिए हॉर्स शू चमगादड़ (चमगादड़ की ही एक प्रजाति) नैसर्गिक रूप से निवास स्थान का काम करते हैं। जिस कारण एनिमल मार्केट इस तरह के वायरस संक्रमण के फैलाव का केंद्र हो सकती है। इसे रोकने के लिए वहाँ बायो सेफ्टी का उचित ध्यान रखने की जरूरत है।
पेपर में आगे कहा गया है कि दक्षिण चीन में हुए रैपिड विकास के कारण वहाँ एनिमल प्रोटीन की माँग बहुत बढ़ चुकी है, जिसमें रात्रिचर स्तनपाई civet (छोटे-पतले आकार के स्तनपाई) जैसे विदेशज जानवर भी शामिल हैं। इन्हें पिंजड़ों में ठूँस-ठूँस कर भर दिया जाता है और बायो सेफ्टी के बावत कतई उदासीनता बरती जाती है। इस कारण ये एनिमल मार्केट पशुओं से मानवों तक वायरसों के आसान ट्रांसमिशन का जरिया हो जाते हैं। इस रिपोर्ट में इस बात की भी संभावना जताई गई है कि यदि सार्स के लिए अनुकूल स्थितियाँ पैदा हो गईं तो वह एक घातक संक्रामक महामारी के रूप में वापस लौट सकता है।
इस तरह यह लगभग निश्चित हो चुका है कि पशुओं को खाने की आदत का SARS-CoV-2 नामक इस महामारी के फैलने में बड़ा रोल है। फूड हैबिट की वजह से यह पशुओं से मानवों में ट्रांसमिट हुई। जाहिर है कि इस महामारी से मिले अनुभव भविष्य में दुनिया पर कई तरह के दीर्घकालिक और अल्पकालिक प्रभाव डालने वाले होंगे। यह शायद हमारी खाने-पीने की आदतों में भी आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले साबित हो सकते हैं, जिससे हम आगे इन वायरसों के संक्रमण से मानव सभ्यता को बचा सकें।