5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन होना है। इस मौके पर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर भारतवंशी उत्सव मनाएँगे। भारत विरोधी कट्टर वामपंथी समूह दक्षिण एशिया सॉलिडैरिटी इनिशिएटिव (SASI) ने इन आयोजकों को ‘फासिस्ट हिंदू’ बताते हुए इसके विरोध में जुटने की अपील की है।
SASI ने यह अपील प्रवासी भारतीयों की ओर से 5 अगस्त को न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित टाइम्स स्क्वायर पर भगवान श्रीराम की भव्य तीन आयामी तस्वीर (3D चित्र) प्रदर्शित करने की योजना को देखते हुए किया है।
SASI ने ट्विटर पर एक बयान में यह भी कहा कि वीएचपी एक ‘घृणा फ़ैलाने वाला समूह’, है जो ‘कई फासीवादी संगठनात्मक शाखाओं’ में से एक है। दावा किया गया है कि VHP को ‘गोरक्षा, धर्मांतरण, मंदिर के जीर्णोद्धार और लव जिहाद के नाम पर भीड़ की हिंसा के लिए जाना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को नकारात्मक दिखाने के प्रयास में SASI ने दावा किया कि वे ‘पीढ़ियों के नरसंहार’ के लिए जिम्मेदार हैं। SASI ने एक बयान में कहा है, “मोदी 1992 में मस्जिद के विध्वंस के प्रमुख आयोजकों में से एक थे। उन्होंने गुजरात में एक दशक बाद फिर से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने नरसंहार भड़काया। आज उन्हें न्यूयॉर्क शहर के फासीवादियों द्वारा सराहा जा रहा है।”
NYC FOLKS 🔊 Wednesday, August 5. 8 AM. Times Square. Hindu fascists will be celebrating the demolition of Babri Masjid. Join us to protest this vile spectacle of fascism!
— South Asia Solidarity Initiative (@SASIinNYC) July 31, 2020
*You most wear a mask and make sure to practice physical distancing as much as possible during the protest pic.twitter.com/XyHKFVFjMl
SASI ने एक ट्वीट में लिखा है कि VHP और मोदी ने हमेशा ही नरसंहार और दंगे भड़काए हैं और अब हिन्दू राष्ट्रवाद को ‘ना’ कहने का समय आ गया है।
यहाँ पर यहाँ बताना अनावश्यक है कि इस संगठन द्वारा लगाए गए ये सभी आरोप काल्पनिक और बेबुनियाद आरोप हैं और वास्तविकता से दूर-दूर तक इनका कोई वास्ता नहीं है। 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है और तब वे आज की तरह एक ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय चेहरा नहीं थे।
उस विशेष मामले के मुख्य आरोपित अन्य राजनेता हैं। इसके अलावा, भारतीय न्यायपालिका ने नरेंद्र मोदी पर 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। इस प्रकार, यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि SASI इस तरह के आरोपों को वर्तमान संदर्भ में सिर्फ और सिर्फ कुछ राजनीतिक नजरियों से प्रभावित होकर लगा रहा है।
SASI की गतिविधियाँ स्पष्ट रूप से उनके भारत विरोधी घृणा को काफी प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करती हैं। ‘कश्मीर लिबरेशन मूवमेंट’ पर SASI ने ही कहा था “SASI कश्मीरी मुक्ति आंदोलन के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़ा है। कश्मीर भारत के राज्य का एक अभिन्न अंग नहीं है, बल्कि यह एक देश है, जो कब्जे में है। कश्मीर की आवाज़ों को हमेशा अपने फैसले के अधिकार के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “भारतीय राज्य द्वारा कब्जे का विरोध करने वाले कश्मीरियों के साथ SASI हमेशा खड़ा है और हम आजादी और इसकी मुक्ति के लिए आह्वान करते हैं।”
पुलवामा आतंकी हमले पर SASI ने कहा था, “राष्ट्रवादी हिन्दू पुलवामा हमले को मजहब वालों के खिलाफ हिंसा और युद्ध भड़काने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलवामा हमले के फौरन बाद, जम्मू-कश्मीर और साथ ही, भारत के कई राज्यों में मजहब के कश्मीरियों के खिलाफ भयावह हिंसा भड़की। भले ही जम्मू में कर्फ्यू लगा दिया गया हो, हिंदुत्व की भीड़ को खुलेआम घूमने और समुदाय वालों की कॉलोनियों पर हमला करने, घरों को जलाने और उनके वाहनों को जलाने की अनुमति दी गई थी।”
इस बयान में आगे कहा गया था, “हम इस क्षेत्र में रहने वाले भारतीय और कश्मीरी मु###नों के लिए डरे हुए हैं और उनके साथ खड़े हैं। वे भयानक राजनीतिक माहौल का सामना कर रहे हैं। हमें कब्जे को समाप्त करने और कश्मीर के कब्जे वाले क्षेत्रों से सेना को जल्द से जल्द हटाने पर काम करना होगा।”
अपने बयान में SASI संगठन ने कहीं भी पुलवामा आतंकी हमले की निंदा नहीं की और ना ही इसे आतंकवादी कृत्य कहा।
यही संगठन ‘SASI स्टैंड विद कश्मीर’ (SWK), जो कि एक कश्मीरी अलगाववादी संगठन है, के साथ मिलकर काम करता है। ये SWK संगठन नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान भी सक्रिय था और कश्मीर पर पाकिस्तानी विचारों के समर्थन के लिए जाना जाता है। इस SWK पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में लिप्त होने का सहयोगी कहा जा सकता है।
SASI संस्था के नाम से ही यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के व्यक्ति SASI के साथ भी जुड़े हुए हैं। वे संयुक्त राज्य में चल रही सामाजिक उथल-पुथल के दौरान भी काफी मुखर रहे हैं।
एक ऑनलाइन पॉडकास्ट में, SASI के सामूहिक सदस्य छाया, नूफ़ेल, शीला और थेरेसा के बीच चर्चा चल रही थी, जिसमें वो कह रहे थे, “ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के दौरान, एक महामारी के समय न्यूयॉर्क शहर में विरोध प्रदर्शन के साथ हमारे अनुभव, कई एकजुटता समूहों पर इस विचार के लिए संगठनों के निर्माण किया कि ‘हिंदुत्व समूह किस तरह से ब्लैक लाइव्स मैटर आन्दोलन को अपने फ़ासिस्ट एजेंडा के लिए इस्तेमाल करते हैं।”
इस प्रकार, SASI के कारनामों से सब कुछ स्पष्ट है। इसी कारण से, यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है कि वे ऐसे अवसर पर भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं जो दुनिया भर में हिंदुओं के लिए शुभ है।