Saturday, July 27, 2024
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हाथ काट लिया जाएगा, इस्लामी शरिया कानून से होगा सब कुछ: चोरी की सजा के लिए तालिबान ने मस्जिद से की घोषणा

काबुल की एक मस्जिद से घोषणा कर दी गई कि जो लोग चोरी करते हुए या चोरी में लिप्त पाए जाते हैं, उनके हाथ इस्लाम के शरिया कानून के अनुसार काट दिए जाएँगे।

तालिबान ने वही किया, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। वही किया, जिससे वो खुद भी इनकार नहीं कर रहे थे। काबुल की एक मस्जिद से घोषणा कर दी गई कि जो लोग चोरी करते हुए या चोरी में लिप्त पाए जाते हैं, उनके हाथ इस्लाम के शरिया कानून के अनुसार काट दिए जाएँगे।

पत्रकार आदित्य राज कौल ने काबुल मस्जिद के माध्यम से तालिबान द्वारा की गई घोषणा के बारे में जानकारी देने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। इसमें कहा गया कि जो लोग चोरी या चोरी के मामले में रंगे हाथ पकड़े जाते हैं, उनके हाथ इस्लामी शरीयत कानून में परिभाषित कानून के अनुसार काट दिए जाएँगे।

इस्लामी शरिया कानून मुस्लिमों को उस अपराधी के ‘हाथ काटने’ का आदेश देता है, जिसने चोरी की है। कुरान 5:38 कहता है कि चोरी और डकैती के अपराधियों का हाथ काट कर दंडित किया जाना चाहिए।

अमेरिका के सैनिक अब अफगानिस्तान से लौट गए हैं। वहाँ अब तालिबान का शासन हो गया है। अपने शासन के दौरान, तालिबान द्वारा दी गई सजा में हत्यारों को सार्वजनिक रूप से फाँसी देना, लुटेरों और चोरों के हाथ-पैर काटना और मिलावट करने वालों को पत्थर मारना एवं कोड़े मारना शामिल रहा है। 

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। तालिबान के इस्लामी आतंकी क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए निर्दोष लोगों को भी मार रहे हैं। पिछले दिनों तालिबान ने एक 21 वर्षीय लड़की की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि उसने टाइट कपड़े पहने थे और उसके साथ कोई पुरुष रिश्तेदार नहीं था।

यह भी रिपोर्ट है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से तालिबानी आतंकी बेगुनाह लोगों को जबरन घरों से बाहर निकालकर मार रहे हैं। उन्होंने जिन इलाकों पर कब्जा कर लिया है, वहाँ शरियत कानून लागू करते हुए महिलाओं के अकेले घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

मालूम हो कि तालिबान ने अपने 1996-2001 के क्रूर शासन के दौरान लड़कियों को स्कूल जाने के अधिकार से वंचित रखा था। साथ ही महिलाओं को घर से बाहर काम करने की अनुमति भी नहीं थी। उस समय महिलाओं को बुर्का पहनना पड़ता था और बाहर जाते समय उनके साथ पुरुष परिजन या किसी पुरुष रिश्तेदार का साथ होना जरूरी होता था। वहीं, उस समय व्यभिचार (adultery) के आरोपितों को सार्वजनिक रूप से पत्थर मार-मार कर मार डाला जाता था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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