Saturday, April 20, 2024
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बिना शादी के साथ रहने, शराब पीने और समलैंगिकता… सऊदी अरब ने बदला इस्लामी कानून का स्वरूप

इस्लामी कानून में किए गए संशोधन के तहत 21 साल से अधिक आयु के लोगों द्वारा शराब के सेवन, बिक्री और रखने पर लगाया जाने वाला जुर्माना खत्म कर दिया गया। अविवाहित जोड़ों को साथ रहने की अनुमति के अलावा...

सऊदी अरब ने शनिवार (7 नवंबर 2020) को इस्लामी क़ानून से जुड़े तमाम पहलुओं में बुनियादी परिवर्तन किए। यह क़ानून अविवाहित जोड़ों को साथ रहने की अनुमति देने, शराब संबंधी नियमों में छूट और ऑनर किलिंग का अपराधिकरण करने की बात करता है।

निजी स्वतंत्रता के दायरे को बढ़ाना एक देश के प्रारूप में बदलाव दर्शाता है, जो पर्यटकों के बीच खुद को पाश्चात्य सोच, बेहतर व्यापार और अवसरों की तलाश करने वालों के लिए सही जगह के रूप में स्थापित करना चाहता है। इतना सब इस बात के बावजूद हो रहा है कि इस्लामी क़ानून के चलते विदेशी लोगों पर तमाम मामले दर्ज किए गए थे। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह कदम सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में सुधार, सामाजिक परिदृश्य में बदलाव और यहाँ की सहिष्णुता के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए उठाया जा रहा है। इस कदम को सऊदी अरब और इजरायल सरकार के बीच रिश्ते सामान्य करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसकी अगुवाई अमेरिका ने की थी। इसके चलते सऊदी अरब में इजरायली निवेश और इजरायली पर्यटक भी आएँगे। 

इसके अलावा सऊदी अरब गगनचुम्बी इमारतों के गढ़ दुबई में ‘वर्ल्ड एक्सपो’ की मेजबानी करने वाला है। इस बात का विशेष ध्यान रखते हुए भी इस्लामी क़ानून में नरमी का कदम उठाया गया है। इस आयोजन में काफी कुछ दाँव पर भी लगा है। इस आयोजन के तहत सऊदी में काफी बड़े पैमाने पर निवेश और पर्यटक आने की संभावना जताई गई है। शुरुआत में इसे अक्टूबर के दौरान कराने की योजना बनाई गई थी लेकिन महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया था। 

इस मुद्दे पर अमीराती फिल्म निर्माता अब्दल्लाह अल काबी ने कहा, “मेरे लिए इससे ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या ही होगी, जो यह नए क़ानून प्रगतिशील और सार्थक हैं।” अल काबी की तमाम कला कृतियों ने समलैंगिकता और लिंग के आधार पर समानता के मुद्दे पर सकारात्मक मिसाल पेश की है। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2020 सऊदी अरब के कठिन और बदलाव का साल था। 

इस्लामी क़ानून में किए गए संशोधन के तहत 21 साल से अधिक आयु के लोगों द्वारा शराब के सेवन, बिक्री और रखने पर लगाया जाने वाला जुर्माना ख़त्म कर दिया गया। हालांकि सऊदी अरब के बार, क्लब और विलासिता भरे तटीय शहरों में शराब सार्वजनिक तौर पर बेची जाती है। इसके बावजूद वहाँ के नागरिकों को शराब खरीदने, रखने या लेकर जाने के लिए सरकार से अनुमति (लाइसेंस) की ज़रूरत पड़ती थी। इसके पहले तक मुस्लिम समुदाय के लोगों को शराब के सेवन की अनुमति का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन नियमों में परिवर्तन के बाद वह भी आज़ादी के साथ ऐसा कर सकते हैं। 

एक और संशोधन के अनुसार सऊदी अरब में अविवाहित जोड़ों को साथ रहने की अनुमति नहीं थी, इसके पहले तक आपराधिक कृत्य माना जाता था। अधिकारी विदेश से आने वाले लोगों पर इस संबंध में विशेष रूप से निगरानी रखते थे, जिसकी वजह से विदेशी पर्यटकों के बीच काफी भय रहता था। आत्महत्या का प्रयास भी इस्लामी क़ानून के अनुसार कार्रवाई के दायरे में आता था, इसे भी अब से अपराध की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा। 

इसके अलावा महिला अधिकारों को बढ़ावा और महिलाओं को समानता देने के लिए सऊदी अरब की सरकार ने ऑनर किलिंग का बचाव करने वालों कानूनों को ख़त्म करने का निर्णय लिया है। ऐसा देश जहाँ पर विदेशियों की संख्या वहाँ के नागरिकों से ज़्यादा होती है, संशोधन के बाद विदेशियों को शादी और तलाक जैसे मुद्दों पर इस्लामी शरिया क़ानून को नज़रअंदाज़ करने का मौक़ा देता है। 

इस घोषणा में उस तरह के व्यवहारों पर कुछ नहीं कहा गया है, जो स्थानीय रीति रिवाजों के लिए अपमानजनक साबित होते थे और इनकी वजह से काफी विदेशी जेल भी जा चुके थे। इसमें समलैंगिकता, क्रॉस ड्रेसिंग और सार्वजनिक रूप से प्यार जाहिर करने जैसी प्रक्रियाएँ शामिल थीं।

दरअसल सऊदी अरब में परम्परागत इस्लामी रिवाज़ काफी ज़्यादा प्रभावी थे। इस पर क्विंसी इंस्टीट्यूट फॉर रिस्पांसिबल स्टेट क्राफ्ट के रिसर्च फेलो एनेले शेलिन (Annelle Sheline) ने ट्विटर पर लिखा, “बड़े बदलाव बिना किसी प्रकार के घर्षण के भी संभव हैं। क्योंकि दुबई और आबू धाबी जैसे मुख्य शहरों में लोगों की जनसंख्या काफी कम है।”                 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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