रूस और यूक्रेन यूद्ध (Russia-Ukrine War) के बीच पढ़ाई करने यूक्रेन गए भारतीय विद्यार्थियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। वहाँ सीमा पार करने के लिए न सिर्फ उनके रिश्वत की माँग की जा रही है, बल्कि बंदूक की नोक पर उन्हें डराया-धमकाया भी जा रहा है। वहाँ फँसे छात्र-छात्राओं ने वीडियो बनाकर भारत सरकार से तुरंत मदद की माँग की है।
कीव और तिरनोपिल जैसे शहरों में रह रहे भारतीय विद्यार्थियों को निकालने के प्रयास के तहत कीव में भारतीय दूतावास ने उन्हें पोलैंड और हंगरी के बॉर्डर तक पहुँचने की सलाह दी। भारी बमबारी के बीच फँसे विद्यार्थी निजी और सार्वजनिक वाहनों से नदीकी रेलवे स्टेशन तक पहुँचने की कोशिश करने लगे, ताकि वे बॉर्डर तक पहुँच सकें और वहाँ से भारत सरकार उन्हें रेस्क्यू कर सके।
बताया जा रहा है कि सीमा पर पहुँचे सैकड़ों छात्र-छात्राएँ बमबारी, कड़ाके की ठंड और भूख-प्यास से बेहाल हैं और यूक्रेन के बॉर्डर गार्ड्स उन्हें सीमा पार करने की इजाजत नहीं दे रहे हैं। भारतीय छात्र-छात्राओं का आरोप है कि सीमा पार करने की इजाजत सिर्फ रूस, पोलैंड और यूक्रेन के लोगों को दी जा रही है। वहीं, सीमा पार करने के बदले हर भारतीयों से 200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 15 हजार रुपए) रिश्वत की माँग की जा रही है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भोपाल के रहने वाले शुभम मेश्राम ने बताया कि पुलिस ने सभी लोगों को गनप्वॉइंट पर रखा है और हालात का वीडियो बनाने से मना किया है। शुभम का कहना है कि वे लोग एक फिर प्रयास करेंगे, नहीं तो वापस यूक्रेन के तिरनोपिल शहर वापस लौट जाएँगे। उनका कहना है कि उन लोगों के पास खाने-पीने की भी व्यवस्था नहीं है।
इधर बॉर्डर पहुँचने के लिए करीब 300 छात्र-छात्राएँ रेलवे स्टेशन पहुँचे। कुछ लोग ट्रेनों में बैठने में सफल रहे, लेकिन अधिकांश विद्यार्थियों को ट्रेनों में बैठने नहीं दिया गया। जब वे लोग वापस लौटने लगे तो यूक्रेन की आर्मी ने उ पर गन तान दिया और जबरन शेल्टर होम ले जाने लगे। बहुत मिन्नत करने के बाद उन लोगों ने भारतीय दूतावास जाने की अनुमति दी।
बता दें कि भारतीय दूतावास ने छात्रों को बंकरों में रहने के लिए कहा है, ताकि रूस द्वारा की जा रही बमबारी में कोई हताहत ना हो। भारत सरकार यूक्रेन के सटे देशों के माध्यम से इन छात्रों को निकालने का प्रयास कर रही है। भारतीय विद्यार्थियों का कुछ जत्था भारत पहुँच भी चुका है।