Tuesday, April 29, 2025
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तिलक लगाकर अमेरिकी वायुसेना में ड्यूटी करेंगे दर्शन शाह, दो साल से माँग रहे थे अनु​मति: दुनियाभर से मिला था ऑनलाइन सपोर्ट

इसी तरह पिछले साल एक 26 वर्षीय सिख को अमेरिकी नौसेना में कुछ शर्तों के साथ पगड़ी पहनने की इजाजत दी गई थी। इस तरह की अनुमति हासिल करने वाले मरीन कोर के 246 साल के इतिहास में लेफ्टिनेंट सुखबीर तूर पहले व्यक्ति थे।

भारतीय मूल के दर्शन साह को अमेरिकी वायुसेना ने तिलक लगाकर ड्यूटी करने की अनुमति दे दी है। व्योमिंग में एफई वॉरेन एयर फोर्स बेस पर तैनात शाह पिछले दो साल से इसकी अनुमति माँग रहे थे। ऑनलाइन ग्रुप चैट के माध्यम से उनकी इस माँग को दुनिया भर के लोगों ने सपोर्ट किया था।

अमेरिकी वायुसेना ने 22 फरवरी 2022 को उन्हें पहली बार वर्दी के साथ तिलक चांदलो लगाने की अनुमति दी। वायुसेना के फैसले से खुश शाह ने कहा कि टेक्सास, कैलिफोर्निया, न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क के मेरे दोस्त मुझे और मेरे माता-पिता को संदेश भेज रहे हैं। वे भी इस बात से बहुत खुश हैं कि वायुसेना में कुछ अलग हुआ है। उन्होंने कहा कि हर दिन ड्यूटी के दौरान तिलक चांदलो लगाना बेहद खास है। मेरे आसपास के लोग बधाई दे रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मैंने इस धार्मिक आस्था की मंजूरी के लिए कितनी मेहनत की है। यह मेरा मार्गदर्शन करता है। इसके साथ ही इसने मुझे बहुत अच्छे दोस्त और इस दुनिया में मैं कौन हूँ, इसकी समझ दी है।

बता दें कि शाह का पालन-पोषण मिनेसोटा के एक गुजराती परिवार में हुआ है। यह परिवार बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तन स्वामीनारायण संस्थान से जुड़ा है। इस संसथान का प्रतीक चंदन तिलक है। शाह अमेरिकी एयरफोर्स के मेडिकल स्क्वाड्रन में बतौर टेक्निकल स्टाफ तैनात हैं। जून 2020 में सैन्य प्रशिक्षण शुरू होने के बाद उन्होंने वर्दी के साथ तिलक लगाने की अनुमति देने का आग्रह किया था।

गौरतलब है कि इसी तरह पिछले साल एक 26 वर्षीय सिख को अमेरिकी नौसेना में कुछ शर्तों के साथ पगड़ी पहनने की इजाजत दी गई थी। इस तरह की अनुमति हासिल करने वाले मरीन कोर के 246 साल के इतिहास में लेफ्टिनेंट सुखबीर तूर पहले व्यक्ति थे। इसके बाद तूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, “आखिरकार मुझे मेरी आस्था और देश में से किसी एक को चुनने की नौबत नहीं आई। मैं जैसा हूँ, वैसा ही रहते हुए दोनों का सम्मान करता हूँ।’ हालाँकि इस अनुमति को हासिल करने के लिए उन्हें काफी लंबा संघर्ष करना पड़ा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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