कोरोना के कहर के बीच भी पाकिस्तान ने अपने मुल्क में अल्पसंख्यक समुदायों के साथ अत्याचार और भेदभाव करने वाले रवैये को बरकरार रखा है। खबर आई है कि वहाँ एक ओर प्रधानमंत्री इमरान खान कोरोना से लड़ने के लिए इस्लाम को बड़ी ताकत मान रहे हैं, तो दूसरी ओर राहत कार्य में जुटा उनका प्रशासन हिंदुओं और इसाइयों को दाने-दाने के लिए तरसा रहा है।
एएनआई न्यूज एजेंसी ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की हालत बयां करने वाली एक विडियो जारी की है। इस विडियो में एक व्यक्ति अपनी और अपने समुदाय के लोगों की पीड़ा बताते नजर आ रहा है। हम देख सकते हैं कि विडियो में व्यक्ति लाचार होकर बता रहा है कि सिंध प्रांत में प्रशासन ने हिंदू-ईसाई समुदाय के लोगों को राशन देने से मना कर दिया है। उनकी मदद नहीं की जा रही है। उन्हें खाना नहीं दिया जा रहा है।
#WATCH Pakistan: Members of Hindu&Christian communities say they are denied ration by authorities, in Sindh province. A Hindu local says,”Authorities are not helping us during lockdown, ration is also not being provided to us because we are part of a minority community.” #COVID19 pic.twitter.com/ASawThS9XI
— ANI (@ANI) April 1, 2020
व्यक्ति कहता है, ”हम भी यहीं के बाशिंदे हैं। हम भी पाकिस्तानी हैं। तो हमारा भी ख्याल करना चाहिए। जैसे सब लोगों के साथ कॉपरेट करते हैं। हमारे साथ भी करना चाहिए। हमारे पास भी छोटे-छोटे बच्चे हैं। हम भी गरीब लोग हैं। यहाँ के रहने वाले। मगर फिर हमारे साथ कोई कॉपरेट क्यों नहीं करता। दूसरे लोगों को दिया जाता है। हमें नहीं दिया जाता। ये गलत है न!”
पाकिस्तानी हिंदू-ईसाई समुदाय के इस सदस्य के मुताबिक, कोरोना इस समय सबके लिए तबाही बना हुआ है। ये किसी धर्म-मजहब को नहीं देखता। लेकिन फिर भी पाकिस्तानी प्रशासन उनके साथ कोई कॉपोरेट नहीं करता। बस बहुसंख्यक आबादी की मदद करता है।
गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण इमरान खान ने 30 मार्च को अपने देश की जनता को संबोधित किया था। मगर यहाँ उनकी बातों में गंभीरता बिलकुल नजर नहीं आई थी। उन्होंने इस बातचीत में अपने लोगों को न घर में रहने की गुहार लगाई थी, बल्कि लॉकडाउन के पूरे कॉन्सेप्ट को ही खारिज कर दिया था। इमरान खान ने इस दौरान देशवासियों को मजहब का हवाला दिया था और इमान का पाठ पढ़ाया था। इसके बाद वे अपने मुल्क के लोगों को उन इस्लामिक देशों के बारे में बताते नजर आए थे, जो सबसे ज्यादा खैरात देते हैं। फिर इस लड़ाई को लड़ने के लिए जनता को जागरूक करने से ज्यादा अपने देश के युवाओं पर विश्वास जताया था और कहा था कि अब इन दोनों ताकतों (इमान और युवा) का उन्हें इस्तेमाल करना है ताकि कोरोना से लड़ा जा सके।