पाकिस्तान के कराची में एक बलूच महिला ने चीनी नागरिकों को निशाना बनाते हुए जब खुद को बम से उड़ाया, तो ये देख सब हैरान रह गए कि आखिर एक औरत ने ऐसा कैसे कर दिया। घटना के बाद अचानक ये खबरें आने लगीं कि पढ़ी-लिखी एमएससी, एमफिल पास महिला दो बच्चों की माँ, डॉक्टर की बीवी, बलूच लिबरेशन आर्मी की सदस्य थी, जो संगठन से जुड़ी इसीलिए ताकि खुद को कुर्बान कर सके।
धमाके के बाद संगठन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि वह उनकी पहली महिला फिदायीन हमलावर थी। बलूचिस्तान के लिए जान गँवाने वाले उन पर ऐसे कई लोग हैं जो चीनी नागरिकों को अपनी जमीन से खदेड़ने के लिए और पाकिस्तानी सेना को भगाने के लिए कुछ भी करेंगे। शारी बलूच उन्हीं लोगों में से एक थी जिसे दो छोटे बच्चे देखते हुए रोका गया कि वो इस काम का मन न बनाए। हालाँकि शारी ने इस मामले में किसी की नहीं सुनी और खुद को हमले के लिए तैयार करती रहीं।
Shari Jan,your selfless act has left me speechless but I am also beaming with pride today.
— Habitan Bashir Baloch (@HabitanB) April 26, 2022
Mahroch and Meer Hassan will grow into very proud humans thinking what a great woman their mother https://t.co/xOmoIiBPEf will continue to remain an important part of our lives. pic.twitter.com/Gdh2vYXw7J
धमाके के बाद लोग ये देख हैरान हो ही रहे थे कि आखिर कैसे एक महिला इतने घातक हमले को अंजाम दे सकती है, कि तभी सोशल मीडिया पर शारी के शौहर के ट्वीट ने लोगों को चौंका दिया। अपने बीवी और बच्चों के साथ तस्वीर साझा करते हुए शारी के शौहर ने कहा कि उसे अपनी बीवी पर गर्व है और बच्चों को भी ये सोचकर फख्र होगा कि उनकी माँ कितनी महान थी।
इसके बाद फिदायीन हमलावर शारी की तारीफों का बलूचियों ने तांता लगा दिया। सोशल मीडिया पर ये लोग गर्व के साथ शारी की तस्वीर शेयर कर रहे हैं। पाकिस्तान जिसे आत्मघाती आतंकी हमला कह रहा है वो बलूच लोगों के लिए ‘कुर्बानी’ है। उनके अनुसार ये कुर्बानी शारी ने अपनी सरजमीं को पाकिस्तान और चीन के अत्याचारों से आजाद कराने के लिए दी है।
बलूचिस्तान के लोग शारी को आतंकी कहने वालों से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या कोई ये सोच रहा है कि दो बच्चों की माँ ने अपने बच्चे और परिवार छोड़कर जान क्यों दे दी। अगर नहीं! तो ये सोचने का समय कि वो कौन सी चीन की परियोजना है जिससे बलूचिस्तान के लोग आहत हैं और चीन को भगाना चाहते हैं। वो क्या वजह है पाकिस्तान के हिस्से आने के बाद भी बलूचिस्तान के लोगों को पाकिस्तानी सेना से इतनी नफरत है कि वह उन्हें जिंदा नहीं छोड़ते।
Why daughter of Baloch nation,mother of innocent children and Fidai (person who willingly give his/her life)Shari Baloch sacrificed her life leaving behind innocent children&family?For what purpose she sacrificed her life? It’s time to think for all conscious&compassionate people pic.twitter.com/UIB3n2N4Kh
— Altaf Hussain (@AltafHussain_90) April 27, 2022
बलूचिस्तान
बलूचिस्तानियों के इन सवालों के जवाब के लिए आजादी के बाद से झेला गया उनका संघर्ष याद करने की जरूरत है जब पाकिस्तान ने जबरदस्ती इस क्षेत्र पर अपना कब्जा किया था। बलूच के लोग तभी से अपनी आजादी माँग रहे थे। हालाँकि पाकिस्तानी सेना उन्हें अपने अत्याचारों से चुप करवा देती थी। बाद में लिबरेशन आर्मी जैसे विद्रोही संगठन सामने आए और वह खुद पाकिस्तानी सेना-चीनियों पर हमला करने लगे। क्षेत्रफल के नजरिए से देखें तो बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा क्षेत्र है। ऐसा भी कह सकते हैं कि ये कुल पाकिस्तान का 44 फीसद क्षेत्र है। चूँकि यह इलाका रेगिस्तानी और पहाड़ी है इसलिए यहाँ पाकिस्तानी आबादी का केवल पाँच प्रतिशत रहता है। इलाके की आबादी 1.3 करोड़ है।
बलूचिस्तान पर पाकिस्तान का अत्याचार
बलूचिस्तानियों की सबसे बड़ी शिकायत हमेशा से पाकिस्तान से यही रही कि उन्होंने सिंध और पंजाब प्रांतों का खूब विकास किया लेकिन बलूचिस्तान पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। उलटा इस जगह स्थानियों पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार लगातार होते रहे।
साल 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने बलूच के नसीराबाद इलाके में अंधाधुँध गोलीबारी की थी। उस दौरान हेलीकॉप्टर से बंदूकें चलाई गई थीं। लोगों के घरों को जलाया गया था। मवेशियों से लकर महिलाओं और बच्चों तक को पाकिस्तानी सेना ने अपनी हैवानियत का शिकार बनाया था। उसी दौरान बलूचिस्तान के लोगों ने क्षेत्र में हो रहे अपहरण और जनसंहार की जानकारी भी मीडिया को दी थी।
2019 में बलूच नेता नवाब अकबर बुगती ने हालातों को बयां करते हुए कहा था, “अगस्त 2006 में हत्या के बाद से सेना का अत्याचार चरम पर है। आतंकवादी समूहों के साथ साँठगाँठ करके पाकिस्तानी सेना और अन्य एजेंसियाँ हजारों बलूच राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, वकीलों, पत्रकारों, इंजीनियरों, डॉक्टरों और शिक्षकों को ग़ायब कर चुकी है।”
बुगती के बयान के मुताबिक बलूचिस्तान में लोगों को अगवा करके गायब करने का सिलसिला रुका नहीं है। पुराने बयान में उन्होंने 40,000 से अधिक बलूच नागरिकों के लापता और 10 हजार के हत्या की बात कही थी। उन्होंने बताया था कि ये लोग गोली से छलनी शव को बीहड़ क्षेत्रों में फेंक दिया गया। बाकी बलूच नागरिक अब भी सेना की अवैध हिरासत में हैं। इन मासूमों को न तो रिहा किया जा रहा है और न ही इन्हें कोर्ट में पेश किया जा रहा है।
इसी तरह मानवाधिकार एक्टिवि्ट फरजाना मजीद ने पाकिस्तानी फौजियों द्वारा बलूच महिलाओं पर किए जा रहे अत्याचार की तुलना 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में हुए अत्याचारों से की थी। एक महिला ने इसी तरह कपड़े उतार कर यह दावा किया था कि पाकिस्तान पुलिस वाले उसकी बहन से रेप करते हैं और शिकायत करने पर उन्हें कोई मदद नही दी जाती, इसलिए वह कपड़े उतारकर प्रदर्शन कर रही हैं।
बलूचिस्तान में चीन की CPEC योजना
पाकिस्तान सेना के बाद बात करें चीनी नागरिकों से बलूच लोगों की नफरत की… तो बता दें कि बलूचिस्तान के लोग चीन के मनसूबों से अच्छे से वाकिफ हैं और वह ये भी जानते हैं कि पाकिस्तान ने अपनी आर्थिक समस्या से निपटने के लिए चीन को बलूचिस्तान में एंट्री दे दी है। मगर चीन इस क्षेत्र को पूरी तरह कब्जाना चाहता है। बलूचिस्तानियों को ये आभास है कि उनके क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर चीनियों की उपस्थिति उन्हीं के लिए घातक है।
इस परियोजना के तहत ग्वादर क्षेत्र के तहत रास्ता बन रहा है जिसका बलूच लोग शुरू से विरोध कर रहे हैं। उनकी नाराजगी ये है कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले एक भी बार स्थानीयों का ख्याल नहीं किया गया और अब चीनी लोगक्षेत्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ करने में लगे हैं। खबरें आती हैं कि जिस समुंदर से मछलियाँ निकालकर बलूच अपना जीवनयापन करते थे वहाँ चीनी लोग अपने ट्रॉली भेज मछलियाँ निकलवा रहे हैं, इससे स्थानीयों के काम में फर्क पड़ रहा है और उन्हें भूखा रहने को मजबूर होना पड़ा रहा है। इसके अलावा जो परियोजना लागू हो रही है उनमें भी बलूच लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा
मालूम हो कि बलूचिस्तान का क्षेत्र एशिया में सोने, तांबे और गैस के सबसे बड़े भंडारों में से एक है। फिर भी पाकिस्तान को इस क्षेत्र की परवाह नहीं है। साल 2019 की खबर के अनुसार स्थानीयों का आरोप था कि पाकिस्तान ने सोने और तांबे की खदानों को चीन को दे दिया है। वहाँ से वह चीनी खनिज भरते हैं और अपने देश ले जाते हैं और ये काम आज से या 1-2 सालों से नहीं चल रहा बल्कि 2001 से ही इसकी शुरुआत हो गई थी।
बलूचिस्तान को भारत से उम्मीदें
बता दें कि एक ओर बलूचिस्तानी अपने देश की पाकिस्तानी सेना और चीन जैसी विदेशी ताकतों से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर उन्हें भारत से उम्मीदें हैं। वहाँ अक्सर पाकिस्तान के विरोध और हिंदुस्तान के समर्थन में नारेबाजी होती आई है। हाल में पाकिस्तान के राजनीतिक दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के नेता अल्ताफ हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय संसद और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से पाकिस्तान के कब्जे से सिंध और बलूचिस्तान को आजाद कराने की अपील की थी।