झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों का चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए पॉंच चरणों में मतदान होगा। नतीजे 23 दिसंबर को आएँगे।
5 जनवरी 2020 को झारखंड की वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पूरा होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने आज (शुक्रवार) बताया कि पहले चरण का मतदान 30 नवम्बर, दूसरे चरण का 7 दिसंबर, तीसरे चरणा का 12 दिसंबर, चौथे चरण का 16 दिसंबर और पाँचवे चरण का मतदान 20 दिसंबर को होगा।
Chief Election Commissioner, Sunil Arora: Phase-1: Polls on 30 November, phase 2: Polls on 7 December, phase 3: Polls on 12 December, phase 4: Polls on 16th December, phase 5: Polls on 20th December, and counting on 23rd December. https://t.co/ZI432DMXdo pic.twitter.com/AhZiX4TAw3
— ANI (@ANI) November 1, 2019
चुनाव पॉंच चरण में कराए जाने को लेकर कॉन्ग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा है कि पॉंच चरणो में चुनाव कराने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने आयोग से एक ही चरण में चुनाव कराने की अपील की थी। बता दें कि झारखंड के 19 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इनमें से 13 अति संवेदनशील हैं। इन जिलों में विधानसभा की 67 सीटें हैं। यही कारण है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम को ध्यान में रखते हुए चुनाव पॉंच चरणों में कराने का फैसला लिया गया है। आयोग की टीम ने 17-18 अक्टूबर को राज्य का दौरा भी किया था।
RPN Singh, In-charge Jharkhand Congress, on Jharkhand Legislative Assembly Elections: We welcome the elections in the state, but it is unfortunate that elections are to be held in five phases. Congress had asked EC that elections should be held in one phase in Jharkhand. pic.twitter.com/jPzXxhJPKj
— ANI (@ANI) November 1, 2019
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 31.3 फीसदी वोट के साथ 37 सीटें जीती थी। उसकी सहयोगी आजसू को 3.7 फीसदी वोट के साथ 5 सीटें मिली थीं। जेएमएम 20.4 फीसदी वोटो के साथ 19 सीटें, कॉन्ग्रेस 10.5 फीसदी वोट के साथ 7 और जेवीएम 10 फीसदी वोट के साथ साथ 8 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बार भी भाजपा राज्य की सत्ता में वापसी को लेकर पूरी तरह आशान्वित दिख रही है। जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए मुख्यमंत्री रघुवर दास पहले से ही राज्य के दौरे पर हैं। दूसरी ओर, झामुमो और झाविमो के साथ मिलकर कॉन्ग्रेस चुनौती देने की कोशिश कर रही है। हालॉंकि उसकी यह रणनीति लोकसभा चुनाव में बुरी तरह फेल रही थी।