झारखण्ड के लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकली रैली पर मुस्लिम भीड़ ने लोहे की रॉड से हमले किए, गोली चलाई और पेट्रोल बम फेंके। मुस्लिम महिलाओं ने गर्म पानी और मिर्ची पाउडर से हमला किया। इस वारदात में ‘रघुनन्दन लेन’ के रहने वाले नीरज प्रजापति की मौत हो गई। नीरज का पार्थिव शरीर फ़िलहाल राँची के रिम्स में ही रखा हुआ है। पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तक राज्य सरकार का कोई भी नेता वहाँ पर नहीं आया है। किसी भी मंत्री ने पीड़ित परिजनों की सुध लेने की कोशिश नहीं की।
ऑपइंडिया ने इसी बीच नीरज की पत्नी और कुछ परिजनों से बातचीत की, जिसके बाद राज्य सरकार के नेताओं की पोल खुलती हुई नज़र आई। पीड़ित के परिजनों ने बताया कि राज्य सरकार मुआवजे को लेकर अभी तक कोई आश्वासन नहीं दे रही है। राँची में बैठे अधिकारियों का कहना है कि इस सम्बन्ध में लोहरदगा का प्रशासन ही कुछ कर सकता है। परिजन फ़िलहाल राँची में ही हैं। भाजपा विधायक सीपी सिंह पीड़ित परिजनों से मिलने पहुँचे और उन्होंने सरकार पर निशाना साधा।
मृतक की पत्नी की माँग है कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए। उनकी एक बेटी और एक बेटा है। दोनों ही छोटे हैं। पत्नी व परिजनों ने बतौर मुआवजा 50 लाख रुपए की भी माँग की है। हालाँकि, राँची प्रशासन बार-बार कह रहा है कि मुख्यमंत्री काफ़ी व्यस्त हैं और उनके पास समय नहीं है। परिजनों ने अधिकारियों को एक चिट्ठी सौंपी है, जिसे मुख्यमंत्री तक पहुँचाए जाने का आश्वासन दिया गया है। जब हमने छानबीन की तो पता चला कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त हैं।
जब हमें झारखण्ड की ख़बरों को खंगाला तो पता चला कि मुख्यमंत्री सोरेन सचमुच मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त हैं और उन्हें पीड़ित परिजनों की चिट्ठी पढ़ने तक का समय नहीं है। हेमंत कैबिनेट में पहली बार विस्तार हुआ है और 7 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनमें दो विधायक कॉन्ग्रेस के भी शामिल हैं, जिन्हें मंत्री बनाया गया है। हमने जब बजरंग दल के राज्य संयोजक दीपक ठाकुर से पूछा कि मुआवजा देने में प्रशासन इतनी आनाकानी क्यों कर रहा है तो उन्होंने पूरा दोष सीएम को दिया।
दीपक ठाकुर ने कहा कि सारा खेल ख़ुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इशारे पर हो रहा है। अगर वो मुआवजा का आश्वासन भी देते हैं तो वो बस एक वादा ही होगा, उसके लिए परिवार चक्कर काटते रह जाएगा लेकिन मुआवजा नहीं मिलेगा। हिंदूवादी संगठनों ने माँग की है कि उन्हें लिखित में भरोसा चाहिए। ठाकुर ने ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिस तरह से मृतक नीरज के मोहल्ले को पुलिस द्वारा घेर लिया गया है, इससे लगता है कि सरकार इस मामले को दबाने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि लोहरदगा के हिन्दुओं का गुस्सा उफान पर है क्योंकि यहाँ आपातकाल जैसे हालात हैं।
एक और मुद्दा है अंतिम संस्कार का। राँची रिम्स में कई हिंदूवादी नेता जमा हैं और वो नीरज राम प्रजापति के पार्थिव शरीर के साथ लोहरदगा जाना चाहते हैं। उनकी माँग है कि अंतिम यात्रा में वो सभी शामिल होंगे जबकि प्रशासन का कहना है कि इससे माहौल बिगड़ जाएगा, इसीलिए वो परिजनों के अलावा किसी को भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल नहीं होने देंगे। रिम्स में जमा हिंदूवादी नेताओं ने प्रशासन के इस फ़ैसले को लेकर आक्रोश जताया। ‘हिन्दू जागरण मंच’ ने कहा कि जल्द ही प्रदेश के हिन्दू हेमंत सरकार को जवाब देंगे।
ख़बर है कि प्रशासन ने सिर्फ 35 लोग को शव यात्रा में जाने की अनुमति दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बुरहान वाणी जैसे आतंकी के जनाजे में लाखों लोग शामिल होते हैं लेकिन एक निर्दोष व्यक्ति के अंतिम संस्कार में लोगों को शामिल होने से रोका जा रहा है। एक पड़ोसी ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए जो पारम्परिक शमशान है, जहाँ वर्षों से इस इलाके के लोग अपने मृत परिजनों का अंतिम संस्कार करते आ रहे थे, उसे भी बदला जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पारंपरिक शमशान की शवयात्रा का मार्ग बड़ी मस्जिद, शिव मंदिर, अमला टोली, छोटी मस्जिद, कॉन्ग्रेस कार्यालय और देवी मंदिर होकर जाती है। जहाँ पर CAA समर्थकों की रैली पर हमला किया गया, वो हमला अमला टोली और कॉन्ग्रेस कार्यलय से ही किया गया था। इस बात को लेकर स्थानीय लोग काफी नाराज हैं, और यही वजह है कि पारंपरिक शमशान की जगह को बदला जा रहा है।
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