उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा (Kanpur Violence) के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। टाइम्स नाऊ नवभारत की रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर में हुई हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी की कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मिलीभगत थी। इन पुलिस अधिकारियों में एसीपी अकमल खान, बेकनगंज थाने के थाना प्रभारी नवाब अहमद और चौकी इंचार्ज शामिल हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर हिंसा की जाँच के लिए गठित एसआईटी इन पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ कर सकती है। दावा किया गया है कि हिंसा से ठीक पहले तक हयात जफर हाशमी इन पुलिस अधिकारियों के संपर्क में था। कुछ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से ही इतनी बड़ी हिंसा को अंजाम दिया जा सका। इसमें ये बताया गया है कि जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने पुलिसकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा था कि वो इस हिंसा को तीन की बजाय 5 जून को करेगा। हालाँकि, आश्वासन देने के बाद भी तीन जून को ही इस हिंसा को अंजाम दिया गया।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि शुक्रवार तीन जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर में सड़कों पर उतरी इस्लामिक दंगाइयों की भीड़ ने जमकर पत्थरबाजी की। इसमें कई लोग जख्मी भी हुए। खास बात ये कि उस दिन देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कानपुर में थे। इस घटना के बाद एक्शन में आई पुलिस ने हयात जफर हाशमी को गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। इतना ही नहीं कानपुर हिंसा में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का भी नाम सामने आया था।
पुलिस ने इसकी पुष्टि की थी कि हिंसा वाले दिन जफर हाशमी ने पीएफआई को फोन किया था। इस मामले सपा के नेता निजाम कुरैशी का भी नाम सामने आया है। कानपुर पुलिस ने जिन 36 दंगाइयों की 5 जून को लिस्ट जारी की थी उसमें टॉप-5 में निजाम कुरैशी का नाम था। बहरहाल इस मामले में अब तक पुलिस ने 50 आरोपितों को गिरफ्तार किया है और पत्थरबाजी और हिंसा में शामिल रहे दंगाइयों की 147 अवैध संपत्तियों को चिह्नित किया गया है।