Sunday, July 13, 2025
Homeराजनीतिदो वामपंथी पार्टियों ने बाँटी सारी लोकसभा सीटें, गठबंधन किंकर्तव्यविमूढ़

दो वामपंथी पार्टियों ने बाँटी सारी लोकसभा सीटें, गठबंधन किंकर्तव्यविमूढ़

इन सीटों पर भी मौजूदा सांसदों और विधायकों को ही मौका दिया गया है, यह कहकर कि इस बार जीतना ज़रूरी है। शायद मोदी फैक्टर का डर इतना हावी हो गया है कि गठबंधन की बाकी पार्टियों को पूर्णतया नज़रअंदाज कर दिया गया है।

सिद्धांत और व्यवहार का अंतर देखना हो तो किसी वामपंथी पार्टी को देख लीजिए। ध्यान देंगे तो वहाँ तानाशाही से लेकर पितृसत्ता सब नज़र आएगी। महिलाओं को अधिकार देने की बात केवल दूसरी पार्टियों को घेरने में इस्तेमाल की जाती है।

बात हो रही है वामपंथ के एकमात्र दुर्ग केरल की। जहाँ बाकी 8 पार्टियों के हक को दरकिनार कर 10 पार्टियों के गठबंधन की सारी सीटों को मात्र दो पार्टियों ने आपस में बाँट लिया और दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान भी कर दिया है।

बता दें कि, केरल में कुल 20 लोकसभा सीटें हैं। सभी 20 सीटों को गठबंधन की दो बड़ी पार्टियों ने साझा कर लिया है। LDF में शामिल सबसे बड़ी पार्टी सीपीआई (एम) ने राज्य की 16 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया, वहीं दूसरी बड़ी पार्टी सीपीआई 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है।

मजेदार बात यह है कि इन सीटों पर भी मौजूदा सांसदों और विधायकों को ही मौका दिया गया है, यह कहकर कि इस बार जीतना ज़रूरी है। शायद मोदी फैक्टर का डर इतना हावी हो गया है कि गठबंधन की बाकी पार्टियों को पूर्णतया नज़रअंदाज कर दिया गया है।

ख़ैर, अब शायद ही कोई गठबंधन से पूछे कि कहाँ गई समानता की बात? क्या केरल में पिछड़ों को आगे बढ़ाने की बात LDF भूल गई। यह सिद्धांत उसे केवल दूसरी पार्टियों के सन्दर्भ में ही नज़र आता है।

बता दें कि महिला अधिकारों की दलील देने वाली इस गठबंधन के व्यवहार में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा। कुल 20 सीटों में मात्र दो महिलाओं को मौका दिया गया है और वो भी उन्हें जो मौजूदा समय में सत्ता में हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

असम सरकार ने गोलपाड़ा में 1000 बीघा+ जमीन पर से हटाया अतिक्रमण, ज्यादातर ‘मुस्लिमों’ का था कब्जा: 4 साल में खाली करवाई 25 हजार...

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार का कहना है कि यह सिर्फ जंगल बचाने का मामला नहीं है, बल्कि यह असम की पहचान और जनसंख्या संतुलन को बचाने की लड़ाई है।

बिहार की वोटर लिस्ट में मिले घुसपैठियों के नाम, बांग्लादेश-नेपाल-म्यांमार से आकर बनाई फर्जी पहचान: EC सबको करेगा बाहर, राज्य में कुल 7.89 करोड़...

नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों के नाम 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम चुनावी सूची में शामिल नहीं किए जाएँगे।
- विज्ञापन -