JNU हिंसा और इंडिया टुडे समूह का रिश्ता गहराता ही जा रहा है। एक ओर जहाँ दिल्ली पुलिस इस हिंसा के मामले में लेफ्टिस्ट गुंडों की पहचान भी जारी कर चुकी है वहीं दूसरी ओर इंडिया टुडे और आज तक लगातार ऐसी ‘मनोहर कहानियाँ’ सामने लेकर आ रहे हैं जिन्हें देखकर हर कोई संदेह में आ जाएगा। हालाँकि फैक्ट चेक के बाद इंडिया टुडे की ये सभी कहानियाँ बचकाना और बेबुनियाद ही पाई गई हैं।
क्रोनोलॉजी फर्जी स्टिंग की पोल खुलने के बाद रविवार (जनवरी 12, 2020) की सुबह ही इंडिया टुडे समूह की पत्रकार JNU सर्वर से सम्बंधित एक ‘सनसनीखेज खुलासा’ लेकर आईं लेकिन उस खुलासे की हक़ीक़त यह थी कि इंडिया टुडे के पत्रकारों के सामान्य ज्ञान की जानकारी ही संदेह के घेरे में आ खड़ी हुई।
इसके बाद सोशल मीडिया पर इंडिया टुडे के रिपोर्टर का एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें वो रिपोर्टर JNU कैम्पस में (जैसा कि वीडियो में विरोध प्रदर्शन के माहौल से प्रतीत हो रहा है) इंटरव्यू लेने से पहले उसके साथ कुछ कानाफूसी करते हुए देखी जा रही हैं।
हालाँकि इस वीडियो में आवाज एकदम स्पष्ट नहीं है फिर भी रिपोर्टर और युवक को JNU में सर्वर से सम्बंधित कुछ बात करते हुए सुना जा सकता है।
इस वीडियो को आप यहाँ देख सकते हैं –
इस वीडियो में कुछ बातें जो इंडिया टुडे की रिपोर्टर को कहते सुनी जा सकती हैं उनमें सर्वर और चेहरे पहचाने जाने के बारे में बातें करते सुना जा सकता है। युवक रिपोर्टर से कह रहा है कि सीसीटीवी चल नहीं रहा था तो चेहरा पहचान नहीं पाए लेकिन वीसी ने तो कहा सर्वर सेम है, और मेल जा रहे थे।
इस बातचीत से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि हो सकता है इंडिया टुडे की रिपोर्टर सर्वर सम्बधी मामले की जानकारी लेने गई हो। लेकिन इंटरव्यू लेने से पहले युवक (जिसका इंटरव्यू लेना है) के साथ इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल की रिपोर्टर द्वारा की जा रही गोपनीय कानाफूसी ने इस पूरी थीम पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इस कानाफूसी ने कुछ सवाल पैदा कर दिए हैं।
- क्या इंडिया टुडे सिर्फ अपनी बात सही साबित करने के लिए इस मामले को अनावश्यक तूल दे रहा है
- क्या सिर्फ अपने द्वारा लगाए गए आरोपों की सही साबित करने के लिए ही छात्रों के मुँह में अपने शब्द डालकर इंटरव्यू लेने की कोशिशें की जा रही हैं?
- क्या यूनिवर्सिटी एडमिन्स्ट्रेशन पर पूरा ब्लेम डालने की तैयारी चल रही है?
- लाल सलाम एक्टिविस्टों के साथ इस बातचीत की ज़रूरत क्या है?
- अगर आपको सच ही जानना है तो कैमरा लो, माइक लो और सवाल पूछो, ये कानाफूसी क्यों?
- क्या पत्रकार वामपंथी नेता को कोचिंग दे रही थी, या वामपंथी नेता पत्रकार को कोचिंग दे रहा था?
ये कुछ सवाल हैं जिनका उत्तर शायद राहुल कँवल ही दे पाएँगे।
यदि यह इंटरव्यू स्क्रिप्टेड नहीं है तो फिर इंटरव्यू से पहले इस तरह की कानाफूसी किस वजह से की जा रही है जैसे किसी परमाणु हथियार का कोड वर्ड लिया जा रहा हो?
सच्चाई जो भी हो, लेकिन JNU प्रकरण में आज तक और इंडिया टुडे समूह की दिलचस्पी हैरान कर देने वाली है।
हमारे कैमरे की सेटिंग ख़राब थी: इंडिया टुडे की JNU हिंसा के फर्जी स्टिंग पर सफाई