संसद के दोनों सदनों में सीएए का बिल पास होने के साथ ही पूरे भारत में योजनाबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन हुए, जो बाद में दंगों में बदल गए। पूरे देश में हिंसा का एक माहौल बना दिया गया। इसे लेकर सरकार के खिलाफ बड़े स्तर का प्रपंच रचा गया। भारत-विरोधी और हिन्दू-विरोधी भावनाएँ भड़काई गई, कभी नारों तो कभी पोस्टरों के जरिए। विदेशी विश्वविद्यालयों में भी विरोध प्रदर्शन कराए गए, ताकि भारत पर डिप्लोमेटिक दबाव बनाया जा सके। सीएए विरोध में ‘द वायर’ के एक गठजोड़ का मामला सामने आया है, जिस पर हम आगे बात करेंगे।
एक अभियान ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट हिंदुत्व (SAH)’ भी विदेशों में लांच किया गया, ताकि भारत में दंगे भड़काए जा सकें। इसका नाम बदल कर अब ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट हिंदुत्व आइडियोलॉजी (SAHI)’ कर दिया गया है। उन्हें संदिग्ध फंड मिलते हैं और साथ ही डेमोक्रैट पार्टी के साथ उनका सम्बन्ध है। इसने एक डेटाबेस तक तैयार कर रखा है, जिसके द्वारा पश्चिम बंगाल के लोगों को सीएए के खिलाफ भड़काया जाता है।
इनके पास कई ऐसी सूचनाओं के स्रोतों की सूची है, जो संदिग्ध हैं। साथ ही एक ऐसे क़ानून के विरोध के लिए प्रपंच रचा जा रहा है, जिसे भारत की संसद के दोनों सदनों ने क़ानूनी तरीके से पास किया है। विश्व भर के विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन के लिए उकसाया जा रहा है। उनके डेटाबेस में एक भारतीय पत्रकार का भी नाम है, जो इन प्रदर्शनों को जम कर प्रमोट कर रहा है, जो भारत सरकार के खिलाफ है।
ये हैं ‘द वायर’ के संस्थापक-संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, जो भारतीय नागरिक भी नहीं हैं लेकिन हिंदुत्व के खिलाफ प्रोपेगंडा चलाने में और फेक न्यूज़ फैलाने में इनका कोई सानी नहीं है। इसमें एक संगठन ‘आजाद इंडिया कलेक्टिव’ का नाम है, जो सीएए विरोधी संगठनों में से एक है। एआईसी ने ही SAHI के द्वारा सीएए विरोधी डेटाबेस मेन्टेन किया हुआ है। इसमें प्रदर्शन से जुड़े लेख और याचिकाओं को लिस्ट किया गया है।
यहीं से हमें उनका इंस्टाग्राम अकाउंट मिला, जहाँ लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए भड़काया जा रहा था। यहाँ पता चला कि उन्होंने ‘होली अगेंस्ट हिंदुत्व’ का भी अभियान चलाया था। एआईसी हर उस विदेशी संगठन के साथ साझेदारी बनाने में लगा हुआ था, जो भारत पर दबाव बना कर सीएए को वापस लेने को कहें। भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए ये सारे कुचक्र रचे जा रहे थे। इसे जैनाब फिरदौसी और स्पर्श अग्रवाल नामक दो लोगों द्वारा स्थापित किया गया था।
शिकागो के साप्ताहिक अख़बार ‘हाईड पार्क हेराल्ड’ के अनुसार, एआईसी के लिए किए गए उनके कार्यों को अमेरिकी कॉन्ग्रेस की लाइब्रेरी में भारत से जुड़े आर्काइव्स में रखा जाएगा। उन्होंने अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वामपंथी बर्नी सैंडर्स का समर्थन किया था। हालाँकि, सैंडर्स को जो बिडेन से मात मिली और बिडेन डेमोक्रेट्स के उम्मीदवार बने, इससे ये तो पता चलता ही है कि इस संगठन का फार-लेफ्ट ग्रुप से सम्बन्ध काफ़ी अच्छे हैं।
जैनाब और स्पर्श का हमें एक यूट्यूब इंटरव्यू मिला, जो उन्होंने ‘द मेश’ नामक चैनल को दिया था। इंटरव्यू में दोनों ने स्वीकार किया कि वो दोनों तो बस एआईसी का चेहरा हैं लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो इस अभियान में बढ़-चढ़ कर मदद कर रहे हैं। उन्होंने कबूल किया कि वो भारत में सीएए के विरोध में हुए कई आन्दोलनों का हिस्सा रह चुके हैं। इंटरव्यू में ये भी खुलासा हुआ कि उन्होंने सीएए विरोध को लेकर ‘द वायर’ के साथ गठजोड़ किया था।
उन दोनों ने बताया कि वो लोग इस बिल को लोकसभा में टेबल किए जाने से लेकर वर्तमान समय तक हुए प्रदर्शनों के बारे में पूरी टाइमलाइन तैयार करना चाह रहे थे। उन्होंने कई अन्य भारतीय संगठनों के साथ गठजोड़ की बात स्वीकार की और कहा कि उनके पास वेबसाइट पर लगाने के लिए कई ‘प्रबुद्ध’ लोग विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें भेजते थे। आप सोचिए, ‘द वायर’ जैसा मीडिया संस्थान एक संगठन के साथ गठजोड़ करता है और वो भी लोकतान्त्रिक रूप से पारित क़ानून के विरोध के लिए।
हमें तो ये भी नहीं पता कि अमेरिकी नागरिक वरदराजन ख़ुद ये सब कर रहे हैं या अमेरिका में बैठा राजनीतिक आकाओं से उन्हें इंस्ट्रक्शंस मिल रहे हैं। भारत के लिए विदेशी हस्तक्षेप चिंता का विषय है और वो भी आंतरिक मुद्दों में। नार्थ-ईस्ट को भारत से अलग करने की धमकी देने वाला और महात्मा गाँधी को फासिस्ट बताने वाला शरजील इमाम ‘द वायर’ में लेख लिखता था। दिल्ली दंगों को लेकर भी इसने फेक न्यूज़ फैलाई थी।