प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घृणा में मीडिया और विपक्ष किसी भी स्तर तक गिर सकता है। इस बात को साबित करने के लिए कई उदाहरण पिछले कुछ सालों में देखने को मिलते रहे हैं। लेकिन इस घृणा में मीडिया इतना मशगूल हो गया कि उसे इतना ध्यान नहीं रहता है कि वो असल में ग़रीब और वंचितों का मज़ाक बना रहा होता है, जिन्हें सामाजिक पहचान दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयास करते आए हैं।
कभी चाय तो कभी पकौड़े बनाने वाले छोटे उद्ययमियों का उपहास करने वाला मीडिया तंत्र मोदी-घृणा में कल (फरवरी 09, 2019) को एक नए स्तर तक गिर गया जब मीडिया में अरुणाचल प्रदेश की ‘निशि जनजाति’ को ‘मोर’ घोषित कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश की जनता को ‘निशि जनजाति’ का पारम्परिक पहनावा पहनकर सम्बोधित किया। इस पर कॉन्ग्रेस का गुणगान करने वाले ‘नेशनल हेरॉल्ड’ समाचार पत्र की ‘ग्रुप एडिटर’ मृणाल पांडे ने किसी ‘ट्विटर ट्रॉल’ का सहारा लेकर इस जनजाति को ‘मोर’ कहा और नस्लीय टिप्पणी कर मज़ाक भी बनाया।
Once more !! pic.twitter.com/Nv3yHpXQ0q
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) February 9, 2019
ये दिल मांगे मोर ! https://t.co/dz6ZETy9Rl
— Mrinal Pande (@MrinalPande1) February 10, 2019
सस्ती लोकप्रियता के लिए नरेंद्र मोदी की आड़ में आशीष मिश्रा नाम के ट्विटर यूज़र ने अपने ट्वीट में पूर्वोत्तर की इस जनजाति के पहनावे और लोगों की तुलना ‘मोर’ से कर डाली, जिसे मीडिया गिरोहों द्वारा हाथों-हाथ रीट्वीट किया गया। आशीष मिश्रा नाम का यह युवक ‘कटाक्ष’ नाम से ट्विटर और फेसबुक पेज पर सक्रिय है। आशीष मिश्रा ने लोक-लाज के डर से यह ट्विट और फेसबुक पोस्ट तो डिलीट कर दिया, लेकिन वह अरुणाचल प्रदेश की जनजाति पर नस्लीय टिप्पणी कर लोगों को पहले ही बहुत ठेस पहुँचा चुके थे। आशीष मिश्रा के ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध जानकारी से पता चला है कि वो पत्रकारिता से जुड़े हैं। लेकिन जनजाति पर नस्लीय टिप्पणी कर के जिस तरह की पतित पत्रकारिता का उदाहरण आशीष मिश्रा ने पेश किया है, इसे ‘पत्रकारिता का समुदाय विशेष’ कहा जा सकता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल की रैली के दौरान आदिवासियों की एक पारम्परिक टोपी (हेडगेयर) पहन रखा था, जिसे ‘ब्योपा’ कहते हैं। ब्योपा, अरुणाचल प्रदेश की एक बड़ी जनजाति निशि (Nyishi) के पारम्परिक परिधान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अरुणाचल के सरकारी कार्यक्रमों में ब्योपा को मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों को उपहार स्वरूप भेंट करने का चलन है।
सोशल मीडिया पर इस जनजाति के अपमान पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी ट्वीट कर आपत्ति जताई। ट्विटर पर निशि जनजाति पर बन रहे इस मज़ाक से आहत अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, “ईटानगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण के दौरान पहना हुआ है, वह अरुणाचल प्रदेश की निशि जनजाति का ‘हेडगेयर’ है। घृणा या असहिष्णुता को अपने विवेक पर हावी न होने दें।”
This is a Nyishi tribal headgear of Arunachal Pradesh, which PM Modi is wearing during his visit yesterday at Itanagar. Don’t let hatred or intolerance overpower your sanity! https://t.co/TZInolGgai… pic.twitter.com/35LBqcGoOY
— Pema Khandu (@PemaKhanduBJP) February 10, 2019
जनजातियों का मज़ाक बनाने के लिए कॉन्ग्रेस और मीडिया गिरोह का यह अकेला क़िस्सा नहीं है। कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर पहले नागा जनजाति का भी मज़ाक बना चुके हैं। मोदी घृणा में मीडिया का किसी भी स्तर तक गिर जाना एक आम बात बनती जा रही है। लेकिन इस बार ‘मोर’ वाली नस्लीय टिप्पणी ने पूर्वोत्तर भारत की आस्था को गहरी चोट पहुँचाई है।