आयकर विभाग ने टैक्स चोरी के आरोपों में मीडिया समूह दैनिक भास्कर के विभिन्न शहरों में स्थित परिसरों में छापेमार कार्रवाई की। ये छापेमारी भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद और कुछ अन्य स्थानों पर की गई है। आयकर विभाग की इस कार्रवाई के बाद पूरा विपक्ष एकजुट हो गया और सरकार को घेरने का सिलसिला चालू हो गया।
विपक्षी दल के नेताओं ने कहा कि सरकार की नीतियों की आलोचनात्मक खबरें छापने वाले दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर आयकर विभाग की यह कार्रवाई मीडिया को डराने का प्रयास है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ देश भर के विपक्षी नेताओं ने आयकर विभाग की इस कार्रवाई पर सरकार पर जमकर निशाना साधा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पत्रकारों और मीडिया समूहों पर हमला लोकतंत्र को कुचलने का एक और क्रूर प्रयास है।
इस सबके बीच यह देखना काफी दिलचस्प है कि दैनिक भास्कर में काम कर रहे या काम कर चुके पत्रकार की इस पर क्या राय है, वो इस पर क्या सोचते हैं? उनका इस छापेमारी को लेकर क्या वक्तव्य है?
दैनिक भास्कर में काम कर चुके एलएन शीतल ने फेसबुक के जरिए इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मीडिया कोई पवित्र गाय नहीं, जिसे ‘रक्षाकवच’ हासिल है! देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस – ‘भास्कर समूह’ पर IT और ED की छापेमारी को मीडिया पर हमला बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार ने भास्कर ग्रुप के सत्ताविरोधी तेवरों से चिढ़कर उसे सबक सिखाने और अन्य अख़बारों/चैनलों को डराने के लिए यह कार्रवाई की है।”
वो आगे कहते हैं, “ऐसा कहने वालों को मालूम होना चाहिए कि कोई भी अखबार या न्यूज चैनल ऐसी कोई ‘पवित्र गइया’ बिल्कुल नहीं, जिसे रक्षा-कवच प्राप्त है। कौन नहीं जानता कि विभिन्न अख़बार और चैनल बैनर की आड़ में तमाम तरह के ग़लत-सलत धन्धे करते हैं और अपने उन धन्धों से जुड़ी अवैध गतिविधियों की अनदेखी करने के लिए सरकारों पर अड़ी-तड़ी डालने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। भास्कर सिरमौर है इनमें।”
इतना ही नहीं, उन्होंने मीडिया ग्रुप के कारनामों का काला चिट्ठा भी खोला। उन्होंने लिखा, “अख़बार के नाम पर सरकारों से औने-पौने दामों में ज़मीनें हथियाना और फिर उन ज़मीनों का मनमाना इस्तेमाल करना विशेषाधिकार है इनका। बिल्डरों के साथ मिलकर फ्लैट-डुप्लेक्स बनवाने-बिकवाने और व्यापारियों से मिलकर उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए अपने पाठकों को उकसाने का धत्कर्म करने में सबसे तेज गति वाला है यह समूह!”
शीतल आगे लिखते हैं, “मीडिया भी एक इंडस्ट्री है। तो फिर किसी अन्य इंडस्ट्री की तरह उस पर भी छापे क्यों नहीं पड़ सकते? लेकिन छापे पड़ते ही कुछ लोग चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं कि बदले की कार्रवाई हो रही है। कोई मीडिया हाउस, जो ’92 में 100 करोड़ का भी नहीं था, वह ’21 आते-आते हज़ारों करोड़ का कैसे हो गया, यह किसी से छिपा नहीं है। इसे समझने के लिए ज़्यादा ज्ञान की ज़रूरत नहीं है।”
उन्होंने लिखा, “भास्कर सबसे ताक़तवर, सबसे बड़ा, सबसे निर्भीक और सबसे तेज रफ्तार वाला मीडिया समूह है, जैसा कि वह दावा करता है! उसकी आवाज में बहुत ज़्यादा दम है, उसकी पहुँच बहुत दूर तलक है, सरकारें उससे थर्राती हैं, ऐसा वह परोक्ष/अपरोक्ष ढंग से ध्वनित करता है!! तो फिर डर किस बात का? अगर उसने कर-चोरी नहीं की है तो वह विपक्ष के दम (?) पर संसद को हिला सकता है, महँगे से महँगे वकीलों की फ़ौज के बूते सुप्रीम कोर्ट में दमदारी से अपनी बात रख सकता है, अपने विशालतम पाठक-परिवार की ताक़त पर चुनाव नतीजों को मनमाफ़िक कर सकता है! जब वह आकाश-पाताल एक कर सकता है तो IT/ED की औकात ही क्या!!”
दैनिक भास्कर मीडिया समूह के पूर्व पत्रकार की बातों को संदर्भ में देखा जाए और कल से लेकर आज तक जो ‘प्रेस की आजादी पर कायरतापूर्ण हमला’ और ‘आपातकाल’ का रोना शुरू हो गया है, उस पर ध्यान दिया जाए तो बचाव वाली लॉबी चालू तो हो गई है। कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सिंह सूरजेवाला और लिबरल मीडियाकर्मी रोहिणी सिंह ने आयकर विभाग की कार्रवाई को सरकार की कायरतापूर्ण कार्रवाई बताया।