Wednesday, November 6, 2024
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प्रह्लाद के पास ‘लेजर गन’, पवित्र अग्नि ‘कूड़ा-करकट’ जलाने के लिए: ‘गुजरात समाचार’ ने हिन्दू कथा में छेड़छाड़ कर बना दिया हॉलीवुड साइंस फिक्शन

पौराणिक कहानी के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद एक विष्णु भक्त थे। प्रह्लाद ब्रह्मा के मानसपुत्र नारद के यहाँ जन्मे थे। नारद भगवान विष्णु के परम भक्त हैं उनके मुख पर हमेशा नारायण का नाम होता हैं।

होली के अवसर पर अख़बार ‘गुजरात समाचार’ के सप्लीमेंट ‘जगमग’ में बच्चों के लिए होली से जुड़ी कहानियाँ प्रकाशित की गईं। दोनों कहानियाँ होली मनाने से जुड़ी थी। होली की कहानी का सार भक्त प्रह्लाद और होलिका वाला ही था, जो हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं। कहानी कहने के तरीके में कल्पना और विज्ञान का ऐसा मिश्रण किया गया कि यह अपनी धार्मिक मूलभावना से भटकने लगा।

‘गुजरात समाचार’ के ‘जगमग’ में 4 मार्च, 2023 को होली पर दो अलग-अलग कहानियाँ लिखी गई थीं। पहली कहानी में होली को स्वच्छता के त्योहार के रूप में दिखाने की कोशिश की गई। इसके अनुसार, होलिका ने प्रह्लाद और उनके दोस्तों से बेकार चीजों (कूड़ा-कचरा) को जलाने के लिए होली जलाने की सलाह दी थी। प्रह्लाद के विरोध करने पर होलिका ने उन्हें आग में फेंक दिया। इसके लिए होलिका ने प्रह्लाद के पिता को भी अपने साथ योजना में शामिल कर लिया था।

ऐसा लगता है बच्चों को प्रभावित करने के लिए पौराणिक कहानी को किसी हॉलीवुड के साइंस फिक्शन कहानी की तरह लिखने की नाकाम कोशिश की गई है।
जगमग’ पर प्रकाशित होली की कहानी का स्क्रीनशॉट (साभार: गुजरात समाचार)

पौराणिक कहानी में अपनी कल्पना का विस्तार कर रहे हरिश नायक आगे लिखते हैं कि कूड़ा-कचरा के साथ होलिका ने सत्य को भी जलाने की बात कही थी। प्रह्लाद के मना करने पर होलिका ने उन्हें सबक सिखाने की योजना बनाई। वह प्रह्लाद को जलाकर मारने की मंशा के साथ आग में प्रवेश करती है। बुराई होने की वजह से होलिका जल जाती है जबकि प्रह्लाद किसी तरह खुद को बचाने में कामयाब हो जाते हैं। इसलिए, हर साल होलिका दहन कर होली का त्योहार मनाया जाता है।

कुल मिलाकर लेखक ने होलिका की पवित्र अग्नि को कूड़ा-कचरा जलाने वाले आग के रूप में परोस दिया। जबकि, सच्चाई यह है कि होलिका दहन वाली अग्नि की पूजा की जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में पूजा का तरीका भले अलग हो, लेकिन इसे पवित्र अग्नि माना जाता है। इसमें जल, नारियल कच्चे आम से लेकर अन्य चीजों के साथ खास पूजा की जाती है। कई स्थानों पर गेहूँ और चने की बालियों को भूनने की भी प्रथा है।

‘जगमग’ में बच्चों के लिए लिखी गई दूसरी कहानी है ‘विज्ञानवीर प्रह्लाद‘ की। यहाँ प्रह्लाद की रक्षा भगवान नहीं, बल्कि हॉलीवुड फिल्मों के उपकरण कर रहे हैं। भक्त प्रह्लाद भगवान के साथ सिर्फ बात कर पा रहे हैं। कहानी के अनुसार, जब हिरण्यकश्यप पर्वत से प्रह्लाद को फेंक देता है तो भगवान प्रह्लाद को उड़ने वाली छतरी प्रदान करते हैं। इसे भविष्य के पैराशूट से जोड़ने की कोशिश भी की गई है। जब प्रह्लाद को हाथी के पैरों के नीचे फेंक दिया जाता है तो भगवान उसे एक लेजर बंदूक देते हैं, ताकि वह अपनी रक्षा कर सकें।

जगमग’ पर प्रकाशित होली की कहानी का स्क्रीनशॉट (साभार- गुजरात समाचार)

लेखक के अनुसार, जब हिरण्यकश्यप अपनी बहन होलिका को प्राप्त वरदान का फायदा उठाते हुए पुत्र प्रह्लाद को जलाने की योजना बनाता है तो प्रह्लाद अपनी रक्षा अग्नि-प्रतिरोधी कपड़े (Fire-resistant clothes) द्वारा करते हैं। ऐसा लगता है बच्चों को प्रभावित करने के लिए पौराणिक कहानी को किसी हॉलीवुड के साइंस फिक्शन कहानी की तरह लिखने की नाकाम कोशिश की गई है।

क्या है पौराणिक कहानी?

पौराणिक कहानी के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद एक विष्णु भक्त थे। प्रह्लाद ब्रह्मा के मानसपुत्र नारद के यहाँ जन्मे थे। नारद भगवान विष्णु के परम भक्त हैं उनके मुख पर हमेशा नारायण का नाम होता हैं। इसका प्रभाव प्रहलाद पर पड़ा। प्रह्लाद भी नारायण में आस्था रखने लगे जिससे उन्हें भक्त प्रह्लाद कहा जाने लगा।

प्रह्लाद के पिता भगवान विष्णु के बैरी थे। अतः पहले तो उन्होंने प्रह्लाद को समझाने की कोशिश की परन्तु न मानने पर उन्होंने प्रह्लाद के हत्या की ठान ली। प्रह्लाद की भक्ति की शक्ति से उसकी रक्षा होती रही। इसी बीच हिरण्यकश्यप ने अग्नि द्वारा न झुलसने का वरदान प्राप्त होलिका को याद किया। होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी। जो भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी। लेकिन भक्त प्रह्लाद नहीं जले। होलिका उसी अग्नि में जलकर समाप्त हो गई।

इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। भगवान के नरसिंह अवतार लेने के पिछे भी एक कहानी है। हिरण्यकश्यप ने भारी तप कर के ब्रह्मा जी से अनोखा वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके अनुसार, हिरण्कश्यप की मृत्यु न दिन में हो सकती थी न रात में, उसे न देव मार सकता था न मानव और असुर, हिरण्यकश्यप को न अस्त्र से मारा जा सकता था न शस्त्र से। न उसे घर के अंदर मारा जा सकता था न बाहर।

भगवान नरसिंह ने घर के दरवाजे पर संध्या काल में अपने नाखून से हिरण्यकश्यप का वध किया था। ‘गुजरात समाचार’ के ‘जगमग’ पर लिखी दोनों कहानियों में इन बातों को स्थान नहीं दिया गया है। जगमग पर लिखी गई कहानी बड़े हो रहे बच्चों में पौराणिक ज्ञान के स्थान पर काल्पिन बातों को सच मानने के लिए प्रेरित करती है। घटनाओं को विज्ञान के आधार पर सही साबित करने पर जोर दिया गया है जिससे कहानी अपने मूल भाव से अलग हो रही है।

इस तरह बच्चों को अपने पर्व-त्योहार या पौराणिक घटनाओं का वास्तविक परिचय नहीं हो सकेगा। उसके लिए आवश्यक है कि पौराणिक कहानियों को अपने मूल स्थिति में ही बच्चों के लिए परोसा जाए। मनोरंजन के लिए फिल्म उद्योग तो है ही।

(ऑपइंडिया गुजराती से मेघल सिंह परमार के इनपुट्स के साथ)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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