भारत में कोरोना महामारी को रोकने के लिहाज़ से 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित हुआ है। केंद्र सरकार ने इस बंदी के कारण होने वाली परेशानियों पर खुलकर बात की है। सरकार ने बताया है कि वो मानती है कि गरीबों के लिए ये संकट की घड़ी है, लेकिन इसके अलावा देश को बचाने का कोई उपाय भी नहीं है। सरकार ने देश के गरीबों को इस स्थिति से लड़ने के लिए सिर्फ़ घर में बंद नहीं किया, बल्कि उनकी बुनियादी जरूरतों का भी ख्याल रखा है। इस कड़ी में गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज रिलीज करने का ऐलान किया ताकि इस परिस्थिति से लड़ा जा सके। मगर, जिन्हें सरकार का विरोध ही करना है, वो किसी सराहनीय काम पर भी चुप क्यों रहें… जैसे ही सरकार ने इस फंड की घोषणा की, इंडिया टुडे की पत्रकार गीता मोहन ने एक चार्ट शेयर किया। चार्ट में यह दर्शाया गया कि अन्य देशों के मुकाबले ये फंड कितना कम है।
A comparison of India’s $22.5 billion (Rs. 1.7 lakh crore) relief package to combat #COVID19 to stimulus packages per capita offered by few other countries.@IndiaToday #DIU puts out the data.#CoronavirusPandemic #coronavirus #lockdown #StayHome pic.twitter.com/v3ahrthuO2
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) March 26, 2020
मगर, ये चार्ट बनाया किसने? तो बता दें इस चार्ट को डाटा इंटेलिजेंस यूनिट ने बनाया। इसमें दर्शाया गया कि 1.70 लाख करोड़ रुपए का फंड या फिर $22.5 बिलियन का मतलब हर व्यक्ति के हिस्से केवल $19 आता है, जो अन्य देशों द्वारा जारी किए गए फंड से बेहद कम है। जैसे जर्मनी में $7.281, यूके में $ 6,246 और यूएसए में $6,042 आदि।
इस चार्ट में कई तरह से दूसरे देशों की भारत से तुलना की गई ताकि ये साबित किया जाए कि सरकार अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से लड़ने के लिए कम प्रयास कर रही है। लेकिन बता दें विभिन्न देशों द्वारा घोषित पैकेजों में और भारत द्वारा जारी पैकेज में कोई कम्पैटिबिलटी नहीं है, ये किसी भी रूप में तुलनीय नहीं हैं। अन्य देशों द्वारा घोषित अधिकांश पैकेज COVID-19 के प्रकोप के कारण होने वाले नुकसान से निपटने के लिए और अर्थव्यवस्था की मदद करने के लिए व्यापक उपाय के रूप में हैं। मगर भारत का पैकेज एक आर्थिक पैकेज नहीं है, ये एक कल्याणकारी पैकेज है जो केवल समाज के एक वर्ग को लक्षित करता है।
भारत के कल्याण पैकेज में रियायती खाद्यान्न, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि, पेंशन, मुफ्त खाना, रसोई की गैस आदि शामिल हैं। इसके अलावा इसमें महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बीमा के सिवा किसी वेतनभोगी वर्ग, या व्यापारियों के लिए कुछ भी नहीं है। दूसरी ओर, यूके द्वारा घोषित 424 बिलियन डॉलर का पैकेज व्यवसायों के लिए एक बचाव पैकेज है। इसमें व्यवसायों के लिए ऋण और अनुदान, एयरलाइनों, दुकानों और आतिथ्य उद्योग के लिए समर्थन शामिल हैं। इसके अलावा, आम नागरिकों के लिए मॉर्टेज पेमेंट सहायता भी इसी में शामिल है।
इसी तरह, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा घोषित $2 ट्रिलियन पैकेज भी एक बेहद व्यापक पैकेज है। इसमें व्यक्तियों को सीधे भुगतान, छात्र ऋण का निलंबन, बेरोजगारी, COVID-19 महामारी, अनुदान द्वारा प्रभावित व्यवसायों के लिए $ 500 बिलियन का कर्ज जैसे कार्यक्रम शामिल है। एयरलाइंस और हवाई अड्डों के लिए और अस्पतालों के लिए $ 117 बिलियन का अनुदान भी इसी पैकेज का भाग है।
इंडिया टुडे के चार्ट में सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि उसमें दावा किया गया है कि फ्रांस ने 335 बिलियन अमेरिकी डॉलर के पैकेज की घोषणा की है। मगर, फ़्राँसीसी मीडिया की रिपोर्ट है कि पैकेज वास्तव में $50 बिलियन (€ 45 बिलियन) का है और इस पैकेज का उद्देश्य व्यवसायों और कर्मचारियों की मदद करना है। रही बात 335 बिलियन डॉलर की तो वो बैंक गारंटी है।
इसी प्रकार, अन्य देश, जिनका उल्लेख इंडिया टुडे ने किया, उन सभी ने अपने देश की अर्थव्यवस्था बचाने के लिए इस तरह के पैकेजों की घोषणा की, जो अभी भारत को करना बाकी है। इसकी तुलना अन्य देशों से केवल अजेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है। इतना ही नहीं अन्य देशों के साथ भारत की सीधी तुलना में एक और समस्या है, जो है क्रय शक्ति समता यानी ppp (purchasing power parity)। विभिन्न देशों की मुद्राओं में अलग-अलग क्रय शक्तियाँ होती हैं।
इन सबसे अतिरिक्त विरोधियों को ये ध्यान देने की जरूरत है कि आज कोरोना से सबसे शक्तिशाली देश तक प्रभावित हैं और बड़ी तादाद में वहाँ इसे फैलने से रोकने में विफलता मिली है। लेकिन हमारे देश में अब तक इसके 700 मामले आए हैं। अब तक 13 लोगों की मौत हुई है। इसे सरकार की लापरवाही नहीं कही जा सकती, क्योंकि देश में पहला कोरोना का मामला आने के बाद से सरकार ने हर मुमकिन कदम उठाए। फिलहाल भारत की परिस्थिति अन्य देशों से अलग है।
फिर भी अगर इंडिया टुडे के डेटा की बात करें, तो गौर रखिए कि अन्य देशों ने व्यापक स्तर पर नुकसान देखने के बाद इन पैकेजों की घोषणा की, जबकि भारत ने स्थिति हाथ से निकलने से पहले एक कल्याणकारी पैकेज की घोषणा की। अब आगे भी मुमकिन है कि सरकार अर्थव्यवस्था को पहुँचे नुकसान के लिए किसी पैकेज की घोषणा करे। जब सरकार ऐसा करेगी तब जाकर कहीं उसकी तुलना अन्य देशों द्वारा रिलीज किए फंड से करना उचित होगा।
Government sources say a stimulus package is in the works. Meanwhile, @IndiaToday Data Intelligence Unit looks at how today’s economic relief compares with what’s been announced by other countries so far. pic.twitter.com/ZxWVeIM6cv
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) March 26, 2020
इंडिया टुडे के इस चार्ट पर सोशल मीडिया पर भी कई यूजर्स ने सवाल उठाए, जिसे देखते हुए राहुल कंवल ने इसे अपने हिसाब से सही करके फिर पोस्ट किया। मगर, अफसोस कि इस बार भी इसमें कई गलती रह गई और राहुल कंवल को भी फजीहत का सामना करना पड़ा। यूजर ने दोबारा उन्हें उनकी गलतियाँ इंगित की।