Sunday, April 28, 2024
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‘पूछताछ के लिए हिरासत की जरूरत नहीं’: राज्य पुलिस से बोला कर्नाटक हाईकोर्ट- सुधीर चौधरी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ना करें

अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले के खिलाफ सुधीर चौधरी की याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र में प्रेस और मीडिया को तत्कालीन सरकार से सवाल करने का अधिकार है। मीडिया द्वारा सरकार के खिलाफ सवाल उठाने पर आपराधिक मामले दर्ज हो रहे हैं और प्रेस की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

स्वावलंबी सारथी योजना में कर्नाटक सरकार के झूठ को उजागर करने के बाद राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा टीवी एंकर सुधीर चौधरी दर्ज कराए गए मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (15 सितंबर 2023) की सुनवाई में एंकर के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए उन्हें बड़ी राहत दी है।

हाईकोर्ट के न्यायधीश हेमंत चंदनगौदर ने कहा कि इस मामले पर वह अगले बुधवार (20 सितंबर 2023) को याचिका पर फैसला करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस बीच पुलिस सुधीर चौधरी के खिलाफ कोई भी कठोर कदम न उठाया जाए। कोर्ट ने माना कि एंकर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी जानकारी पब्लिक डोमेन में है।

हालाँकि, न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि प्रथम दृष्ट्या सुधीर चौधरी के खिलाफ मामला बनता है, लेकिन वे इस पर बुधवार को निर्णय लेंगे। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि सुधीर चौधरी की न्यूज रिपोर्ट में किसी धर्म के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दिया गया है या नहीं, इसकी जाँच की जा सकती है।

दरअसल, कर्नाटक सरकार की स्वावलंबी सारथी योजना को लेकर पत्रकार सुधीर चौधरी ने 12 सितंबर 2023 को आजतक पर एक शो किया था। इसमें उन्होंने योजना के बारे में बताया था कि कैसे इसे हिंदुओं के लिए नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों के लिए लागू किया जा रहा है। चौधरी ने अंबेडकर विकास निगम के प्रमुख पी नागेश के हवाले से कहा था कि यह योजना अभी सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए लागू है।

हालाँकि, नागेश का हवाला देते हुए ही एंकर ने यह भी कहा था कि इसे SC-ST समुदायों के लिए शुरू करने पर चर्चा चल रही है। शो का वीडियो सामने आते ही कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने ट्वीट किया कि सुधीर चौधरी गलत सूचना फैला रहे हैं और वह एंकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसके बाद सुधीर चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया।

एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान) के तहत दर्ज की गई थी। इसे कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक विकास निगम लिमिटेड (KSMDC) के प्रशासनिक अधिकारी

हाईकोर्ट में सुधीर चौधरी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होल्ला ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने साथ होने वाले भेदभाव के बारे में बोलता है तो क्या इसे घृणास्पद भाषण कहा जा सकता है। इस पर न्यायाधीश ने पूछा कि क्या यह योजना सभी के लिए उपलब्ध है तो होल्ला ने बताया कि यह केवल अल्पसंख्यकों के लिए ही लागू है।

अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले के खिलाफ चौधरी की याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र में प्रेस और मीडिया को तत्कालीन सरकार से सवाल करने का अधिकार है। मीडिया द्वारा सरकार के खिलाफ सवाल उठाने पर आपराधिक मामले दर्ज हो रहे हैं और प्रेस की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

इस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा, “मीडिया की भूमिका जानकारी देने है, लेकिन यह जानकारी देने का ये तरीका नहीं है। आम आदमी के मन में अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत पैदा हो सकती है। वह कह सकता है कि उन्हें दिया गया है, मुझे नहीं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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