प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई को यह घोषणा की कि जिन बच्चों ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान अपने माता-पिता या अभिभावक को खो दिया है, उन्हें ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ पहल के तहत सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके बाद मंगलवार (01 जून) को सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (NCPCR) के द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे में बताया गया कि हाल ही में अस्तित्व में आए बाल स्वराज पोर्टल में महामारी से पीड़ित 9,346 बच्चों का डाटा अपलोड किया गया है। इनमें से 1,742 ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता अब जीवित नहीं हैं, 7,464 ऐसे बच्चे हैं जिनके एक ही अभिभावक बचे हैं और 140 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें मार्च 2020 से 29 मई 2021 के बीच त्याग दिया गया है।
हालाँकि लल्लनटॉप डिजिटल न्यूज पोर्टल ने सरकार पर आक्षेप लगाने के प्रयास में आँकड़ों में हेरफेर कर दिया। लल्लनटॉप ने केन्द्रीय मंत्री द्वारा 25 मई को किए गए ट्वीट को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया जिसमें कहा गया था, “भारत सरकार Covid-19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले प्रत्येक बच्चे की सुरक्षा और सहायता के लिए प्रतिबद्ध है। 01 अप्रैल 2021 से लेकर आज (25 मई) दोपहर 2:00 बजे तक राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार ऐसे 577 बच्चे हैं जिनके अभिभावकों की मृत्यु Covid-19 के चलते हुई है।“
GOI is committed to support and protect every vulnerable child due to loss of both parents to Covid-19. From 1st April 2021 till 2:00 PM today, the State Governments & UTs across the country have reported 577 children whose parents succumbed to Covid-19.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) May 25, 2021
हालाँकि स्मृति ईरानी ने अपने ट्वीट में ‘01 अप्रैल 2021 से’ लिखा था लेकिन लल्लनटॉप ने इसे ’01 अप्रैल 2021 तक’ में बदल दिया और दावा किया कि आँकड़े सही नहीं हैं। लल्लनटॉप की इस रिपोर्ट से यह साबित होता है कि केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अनाथ हुए बच्चों का आँकड़ा 577 दिया है जबकि NCPCR ने ऐसे बच्चों की संख्या 1700 बताई है।
अपनी रिपोर्ट को सत्य सिद्ध करने के लिए लल्लनटॉप ने दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट को आधार बनाया जिसमें दैनिक भास्कर ने राजस्थान में Covid-19 के आँकड़ों में हो रही गड़बड़ी का खुलासा किया लेकिन इसका पूरा दोष केंद्र सरकार पर डालने का प्रयास किया।
NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी लल्लनटॉप की रिपोर्ट को भ्रामक बताया और उस पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप लगाया। कानूनगो ने बताया कि आयोग ने जो डाटा दिया है वह मार्च 2020 से 29 मई 2021 के बीच का है। हालाँकि, लल्लनटॉप ने अभी तक रिपोर्ट में कोई सुधार नहीं किया है।
Don’t spread fake news on the basis of toolkits,Commission has specifically informed that data has been submitted by states from March 2020 to 29 may 2021. https://t.co/x8Xdbp0YYI
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) June 1, 2021
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मई 2021 को पीएम केयर फंड से बच्चों की मुफ़्त शिक्षा के अलावा कई योजनाओं का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के मुताबिक, कोरोना महामारी में माता-पिता गँवाने वाले बच्चों की ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत मदद की जाएगी। इसके तहत अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी और उनका स्वास्थ्य बीमा भी किया जाएगा।
ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र से मासिक भत्ता (स्टाइपेंड) और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपए का फंड मिलेगा। सरकार ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा सुनिश्चित करेगी। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन प्राप्त करने में सहायता की जाएगी और PM CARES लोन पर ब्याज का भुगतान सरकार करेगी। आयुष्मान भारत के तहत बच्चों को 18 साल तक 5 लाख रुपए का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा।