राजधानी दिल्ली में अहान पेनकर नाम के कथित पत्रकार ने दिल्ली पुलिस पर उनसे मारपीट करने का आरोप लगाया है। कथित पत्रकार का आरोप है कि उसके साथ तब मारपीट हुई जब वह एक 14 साल की लड़की के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग कर रहा था। अहान ने यह भी आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उसे बुरी तरह पीटा। अहान पेनकर वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘कारवाँ’ (Caravan) का कथित पत्रकार है।
इस घटना की जानकारी ‘कारवाँ’ ने खुद ट्वीट करते हुए दी। वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट Caravan ने अपने ट्वीट में लिखा, “आज दोपहर (16 अक्टूबर 2020) में दिल्ली पुलिस ने कारवाँ के कर्मचारी अहान पेनकर के साथ मारपीट की। एसीपी अजय कुमार ने मॉडल टाउन पुलिस थाने के भीतर पेनकर को कई थप्पड़ और लातें भी मारी। जबकि पेनकर ने कई बार बताया कि वह पत्रकार है और इसके बाद उसने अपना पहचान पत्र (आईडी) भी दिखाया।”
Today afternoon, Delhi Police assaulted @thecaravanindia’s staffer Ahan Penkar while he was reporting. ACP Ajay Kumar kicked & slapped Penkar inside the Model Town station premises. Penkar repeatedly told the police that he was a journalist and prominently displayed his press ID. pic.twitter.com/n26nCftN54
— The Caravan (@thecaravanindia) October 16, 2020
ट्वीट के अगले हिस्से में वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट कारवाँ ने लिखा, “पुलिस ने जबरन उसका मोबाइल छीना और रिपोर्टिंग के दौरान उसने जितने भी वीडियो बनाए थे सब डिलीट कर दिए। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के घंटों बाद छोड़ा और उसकी नाक, कंधे और एड़ी पर काफी चोटें आई हैं। दिल्ली में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के बाद हत्या हुई थी, जिसके विरोध में प्रदर्शन हो रहा था। पेनकर इस घटना पर रिपोर्टिंग कर रहा था। इस मामले में एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए तमाम छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता मॉडल टाउन पुलिस थाने पर इकट्ठा हुए थे।”
इस घटना पर अहान पेनकर का कहना था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान एक हाथ से वीडियो बना रहा था और दूसरे हाथ में पुलिस को दिखाने के लिए आईडी थी। फिर भी पुलिस उसे प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस थाने के भीतर ले गई। इसके बाद अहान ने कहा, “फिर एसीपी अजय कुमार थाने के भीतर दाखिल हुए और उन्होंने मुझे लोहे की रॉड से मारा। उन्होंने मेरे चेहरे पर पैरों से मारा जिससे मैं वहीं गिर गया और जब मैं ज़मीन पर गिरा हुआ था तब उन्होंने मेरी पीठ और कन्धों पर पैरों से मारा। इसके अलावा वहाँ कई और पुलिस अधिकारी मौजूद थे जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को खूब पीटा।”
गौरतलब है कि कारवाँ वही वेबसाइट है जो अपनी ख़बरों की वजह से कम बल्कि ख़बरों के चलते पैदा होने वाले विवादों की वजह से ज़्यादा चर्चा में रहती है। वही वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट जो देश के तथाकथित आलोचनाधर्मी पत्रकार रवीश कुमार की प्रिय है। चाहे रेल में 10 यात्रियों की भूख की वजह से हुई मौत की फ़र्ज़ी ख़बर हो या हिंदुओं के गौमाँस खाने का अज्ञानी दावा।
कालांतर में इस वेबसाइट ने हमेशा से ही संदिग्ध रही अपनी विश्वसनीयता को मतलब भर की हानि पहुँचाई ही है। यहाँ तक कि दंगे जैसे संवेदनशील मुद्दे से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे पर भी कारवाँ की पत्रकारिता का रवैया अत्यंत निराधार रहा है।