खुद को फैक्ट-चेकर बताने वाले प्रोपेगंडा पोर्टल AltNews का सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर फेक न्यूज़ फैलाने में एक्सपर्ट है। उसने अब तक हिन्दू धर्म और भाजपा को बदनाम करने के चक्कर में न जाने कितने ही फेक न्यूज़ फैलाए हैं। हाल ही में उसने ‘जय श्री राम’ को बदनाम करने के लिए ऐसा झूठ फैलाया कि उस पर FIR दर्ज हो गई। यहाँ हम उन मौकों की बात कर रहे हैं, जब-जब उसने फेक खबरों के सहारे प्रोपेगंडा रचा।
ऑल्टन्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा नाबालिग लड़की की तस्वीर सार्वजानिक करने के बाद संगठन ने लड़की के ऑनलाइन उत्पीड़न और धमकियों के खिलाफ कार्रवाई की माँग करते हुए आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उन्होंने जुबैर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट दर्ज करने के लिए आयोग से अनुरोध किया था, और उसके खिलाफ POCSO और अन्य संबंधित कानूनों के तहत मामला दर्ज करने को कहा था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने उसके खिलाफ कार्रवाई भी की।
- मोहम्मद जुबैर ने एक वीडियो शेयर कर के आरोप लगाया था कि लोनी में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग से जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया, जबकि आरोपितों में आरिफ, आदिल और मुशाहिद भी शामिल थे। पुलिस की जाँच में ये मामला सांप्रदायिक नहीं निकला।
- मोहम्मद जुबैर ने एक अखबार की कटिंग ट्वीट की। इस खबर का शीर्षक था- “गो सेवा के नाम पर 20 लाख का दान जूता फरार हुआ पुजारी।” जो तस्वीर मोहम्मद जुबैर ने ट्वीट की वो उस समय की खबर नहीं बल्कि चार साल पहले राजस्थान की एक घटना थी। मोहम्मद जुबैर का ये तस्वीर पोस्ट करने का असली उद्देश्य श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहे देशव्यापी समर्पण निधि अभियान से जुड़ा हुआ साबित करते हुए लोगों को गुमराह करने का था।
- प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘ऑल्टन्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने ‘दी लल्लनटॉप’ वेबसाइट के इंटरव्यू का एक हिस्सा शेयर किया। इस वीडियो में एक व्यक्ति मोदी सरकार की खामियों को गिनाता नजर आता है। साथ ही दावा किया गया कि यह शख्स मोदी समर्थक है। उसका फेसबुक प्रोफ़ाइल खँगालने पर पता चला कि उसने खुद को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भावी विधायक उम्मीदवार बताया था।
- मोहम्मद जुबैर ट्विटर पर तनिष्क विवाद का फायदा उठाते हुए यह साबित करने का प्रयास करते देखा गया कि लोग ‘जय श्री राम’ का नारा लगाकर तनिष्क के शोरूम पर हमला करने की प्लानिंग कर रहे हैं या फिर तनिष्क स्टोर में मौजूद लोगों को डराने का प्रयास कर रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद पता चला कि वहाँ कोई हिंसा या धमकी नहीं दी गई, बल्कि शांतिपूर्ण विरोध हुआ।
- हाथरस कांड के बाद सोशल मीडिया पर राहुल-प्रियंका के ठहाकों का वीडियो के वायरल हुआ, जो कार से वहाँ जा रहे थे। ऑल्टन्यूज़ ने ‘इंडिया टुडे’ से एक कदम आगे जाते हुए पूरी धूर्तता के साथ शीर्षक तो ‘हाथरस जाते हुए वीडियो’ का रखा लेकिन अपने आकाओं की जिस तस्वीर का फैक्टचेक किया है वह राहुल-प्रियंका के हाथरस जाते समय की नहीं बल्कि 2019 के आम चुनावों से पहले की है।
- जुबैर ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में गोंडा के विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कुछ सदस्यों ने पुलवामा आतंकी हमले के ख़िलाफ़ विरोध रैली में देश विरोधी नारे लगाए। गोंडा पुलिस ने साफ़ किया कि VHP के विरोध प्रदर्शन से जुड़े वीडियो का इस्तेमाल ‘भ्रष्ट’ उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और कहा कि इस तरह के नारे आयोजन के दौरान नहीं लगाए गए थे।
- जामिया की लाइब्रेरी में जब पुलिस पर पत्थरबाजी हुई तो प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘ऑल्टन्यूज़’ ने दावा किया कि वीडियो में दिख रहे छात्र के हाथ में पत्थर नहीं, वॉलेट है। मोहम्मद जुबैर ने उस खबर को आगे बढ़ाया, लेकिन पोल खुलने पर लोगों का जवाब देना ही बंद कर दिया।
- मोहम्मद जुबैर ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें दो जैन मुनि बैठे दिख रहे हैं और कुछ लोग हाथ जोड़ कर खड़े हैं। बस, फिर क्या था! इसी तस्वीर के सहारे उसने दावा कर दिया कि ये लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है। जबकि सच्चाई ये थी कि जैन मुनि कोरोना काल में जनसेवा कर रहे थे और लोगों व पशु-पक्षियों को भोजन दे रहे थे। उस फंक्शन की एक और तस्वीर थी, जिसे ज़ुबैर ने छिपा लिया। उस तस्वीर में भोजन सामग्रियों के पैकेट्स और फल-फूल रखे हुए थे, जिनका वितरण किया जा रहा था।
- ज़ुबैर के AltNews सहित मीडिया के कई प्रमुख स्रोतों ने इस खबर को स्पष्ट तौर पर यह साबित करने का प्रयास किया है कि अमरोहा में एक दलित को मंदिर में जाने के कारण गोली से मार दिया गया। जुबैर ने खुद इस फेक न्यूज़ को ट्वीट किया। अमरोहा पुलिस ने खुद छानबीन के बाद एक वीडियो जारी कर स्पष्ट करते हुए कहा कि इस घटना में युवक की जाति और मंदिर में प्रवेश का कोई प्रसंग था ही नहीं।
- एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अल्लामा कौकब नूरानी नाम का एक मौलवी, कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर बेहद भ्रामक जानकारी और अफवाह फैलाते हुए देखा जा सकता था। जुबैर ने उक्त मौलाना का बचाव करते हुए अपना पाकिस्तान प्रेम जाहिर किया और लिखा, “वो आदमी पाकिस्तान से है (Raukab Noorani Okarvl), भारत से नहीं। वैसे वीडियो देख के, नैनो चिप वाली नोट का वीडियो याद आ गया।”
- ज़ुबैर ने दावा किया कि जहाँ मेक्सिको में टीवी के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है, भारत में दूरदर्शन पीएम मोदी के ‘मन की बात’ के प्रसारण में लगा हुआ है। बाद में जब लोगों ने बताया कि भारत में 3 दर्जन से भी अधिक चैनल पठन-पाठन के काम में लगे हुए हैं, उसने अपनी ट्वीट्स डिलीट कर दी।
- उसने सोलापुर में आग लगने की खबर शेयर की। उसने अप्रैल में ये वीडियो शेयर किया जबकि ये फ़रवरी का निकला। बाद में उसने भी माना कि उसने जिस वीडियो को रीट्वीट किया था, वो 2 महीने पुराना है।
- इसके बाद उसने दावा किया कि पीएम मोदी के ‘मन की बात’ के वीडियो पर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के डर से कमेंट्स ऑफ कर दिया गया है। हालाँकि, पीएमओ इंडिया के पेज पर सारे वीडियोज पर कमेंट्स वर्षों से ऑफ हैं। जबकि नरेंद्र मोदी और भाजपा के यूट्यूब चैनल पर इसी वीडियो पर कमेंट किया जा सकता है।
- जब महंत गोपालदास के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई तो उसने एडिटेड फोटो शेयर कर के दावा किया कि सरसंघचालक मोहन भागवत उनके बगल में ही बैठे थे। जबकि ये तस्वीर फोटोशॉप्ड है।
- खबर आई थी कि अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर का बिलबोर्ड दिखाया जाएगा। जुबैर ने दावा किया कि इस कार्यक्रम को कैंसल कर दिया गया है। जबकि तय समय पर राम मंदिर के डिजिटल बिलबोर्ड का प्रदर्शन हुआ।
- उसने अपने पेज ‘अनऑफिसियल सुब्रमण्यन स्वामी’ से दावा किया कि भाजपा स्ट्रांग रूम से ईवीएम चुरा रही है। फैक्टहंट द्वारा फैक्ट चेक के बाद उसने पेज के एडमिन्स में से एक पर दोष डाल कर इतिश्री कर ली।
- उसने एक तस्वीर शेयर कर के दावा किया कि किसानों के साथ पुलिस आतंकियों की तरह व्यवहार कर रही है। बाद में खुलासा हुआ कि ये वीडियो 2013 है, जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। ये तस्वीर कविता कृष्णन ने ट्वीट की थी, जिसे जुबैर ने आगे बढ़ाया।
- श्रीलंका में हुए हमले के बाद वहाँ के एक मंत्री ने पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि ख़ुफ़िया अधिकारियों को पहले से इसकी भनक थी। जब अभिजीत मजूमदार और आनंद रंगनाथन जैसे लोगों ने इस पत्र को आगे बढ़ाया तो जुबैर ने आतंकियों के बचाव के लिए उसे फेक करार दिया। जबकि मंत्री ने खुद अपने हैंडल से उसे डाल रखा था।
- उसने एक विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर कर के लिखा कि दिल्ली में इतना बड़ा विरोध होने के बावजूद मीडिया इसे नहीं दिखा रहा। जबकि असलियत ये थी कि वो वीडियो मुंबई का था।
- जब देश भर में मॉब लिंचिंग को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ था और इसे लेकर नैरेटिव बनाया जा रहा था, तब मोहम्मद जुबैर ने कॉन्ग्रेस शासनकाल का एक विरोध प्रदर्शन का वीडियो शेयर किया, ताकि लोग मोदी सरकार पर हमला बोल सकें।
- उसने दावा किया कि विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं ने ‘हिंदुस्तान मुर्दाबाद’ का नारा लगाया। गोंडा पुलिस ने इन ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था।
- उसने अपने फेसबुक पेज से किया कि कश्मीरी छात्र रक्तदान कर रहे हैं। जबकि वो तस्वीर एक घायल व्यक्ति की थी, जो विरोध प्रदर्शन के दौरान जख्मी हो गया था। अस्पताल में उसका इलाज हो रहा था।
- मोहम्मद जुबैर ने अंजू घोष को बांग्लादेशी अभिनेत्री बताते हुए भाजपा की आलोचना की। लेकिन, दिलीप घोष ने उनका जन्म प्रमाण पत्र शेयर कर के उसके झूठ पर विराम लगाया।
- पीएम मोदी ने बताया था कि प्रधानमंत्री बनने से पहले वो अपने कपड़े खुद धोया करते थे। बाद में जुबैर ने एक खबर शेयर कर किया, जिसमें लिखा था कि वो पीएम मोदी का धोबी था। उसकी हार्ट अटैक से मृत्यु हुई। उसने ये साबित करने का प्रयास किया कि पीएम मोदी अपने कपड़े खुद नहीं धोते थे, वो झूठ बोल रहे। जबकि उसी खबर में लिखा था कि वो धोबी मोदी के कपड़े प्रेस करता था, धोता नहीं था।
- जम्मू कश्मीर के डिप्टी ग्रैंड मुफ़्ती ने दूसरे समुदाय के लिए अलग मुल्क की माँग की, जिस पर ऑपइंडिया ने खबर प्रकाशित की। जुबैर ने किसी अन्य क्लेम का फैक्ट-चेक शेयर कर के दावा कर दिया कि ये खबर गलत है।
- कठुआ मामले में विशाल जंगोत्रा निर्दोष है या नहीं, इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया ने जब खबर प्रकाशित की तो जुबैर ने इसकी आलोचना की। जबकि बाद में वो कोर्ट से भी निर्दोष साबित हुआ, तब जुबैर की बोलती बंद हो गई।
- उसने उस ट्वीट को आगे बढ़ाया, जिसमें ग्रेटर नोएडा हत्याकांड के आरोपित सोनू पाठक का भाजपा से जुड़ाव बताया गया था। बाद में पता चला कि वो कोई और सोनू पाठक है, हत्या आरोपित नहीं।
- कन्हैया कुमार ने दावा किया कि बेगूसराय में एक फेरीवाले को पाकिस्तान जाने की बात कह के गोली मार दी गई। जबकि बाद में खुलासा हुआ कि ये घटना सांप्रदायिक थी ही नहीं, किसी चीज की खरीद-बेच को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसके बाद ये घटना हुई।
- जब तबलीगी जमात वालों ने महामारी फैलाई और मौलाना साद के ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वो समुदाय के लोगों को कोरोना से न डरते हुए सारी इस्लामी गतिविधियाँ जारी रखने की सलाह दी, तो मोहम्मद जुबैर ने इस ऑडियो को फेक बताया। दिल्ली पुलिस ने इन दावों को ही फेक बता दिया और ऑडियो सही निकला।
- उसने दावा किया कि एक दलित लड़के को मंदिर में घुसने पर मार डाला गया। सच्चाई ये थी कि 5000 रुपए के लोन को लेकर ये वारदात हुई थी। उस मंदिर का इतिहास रहा है कि उसमे दशकों से दलित जाकर पूजा-पाठ करते आ रहे हैं।
- उसने दावा किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा कभी टीपू जयंती समारोह में हिस्सा लेते थे और अब इसका विरोध करते हैं। साथ ही उसने समारोह की तस्वीर भी शेयर की। जबकि वो फोटो ”कर्नाटक जनता पक्ष अल्पसंखज्यक समारोह’ का था, टीपू जयंती का नहीं।
- मोहम्मद जुबैर ने दावा किया कि नीतेश कुमार ने 263 करोड़ रुपए की लागत से जिस सत्तर घाट पुल का उद्घाटन किया था, वो बाढ़ से ढह गया है। जबकि सच्चाई ये है कि सत्तर घाट पुल से 2 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटी पुलिया का पहुँच पथ टूटा था, पुल नहीं।
- अर्बन नक्सलियों के पास से आपत्तिजनक पुस्तक ‘वॉर एंड पीस’ जब्त हुआ, जिसकी चर्चा बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई। बाद में पीएम मोदी का भी ‘वॉर एंड पीस’ पुस्तक पढ़ते हुए तस्वीर जुबैर ने वायरल की। उसे ये नहीं पता था कि किताब का नाम तो समान था लेकिन नक्सलियों वाली इसी नाम की पुस्तक विश्वजीत रॉय ने लिखी थी जबकि पीएम मोदी लिओ टॉलस्टॉय की किताब पढ़ रहे थे।
- उसने एक फेक न्यूज़ शेयर कर के दावा किया कि मेजर गोगोई को एक लड़की के साथ आपत्तिजनक अवस्था में गिरफ्तार किया गया है।
- उसने एक तस्वीर शेयर कर के दावा किया कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने विवेक तिवारी के परिवार से बातचीत के समय उन्हें अपने से दूर रखा जबकि एक अन्य तस्वीर में सीएम योगी परिवार के बच्चों को पास बुला कर उनकी पीठ थपथपाते हुए बात करते दिख रहे हैं। उसने इस तस्वीर को छिपा लिया।
बता दें कि पहले मोहम्मद जुबैर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के नाम से पैरोडी पेज ‘सुसु स्वामी’ चलाता था। जुबैर को हर चीज का राजनीतिकरण करने में भी मजा करता है। चाहे मामला रेप से जुड़ा क्यों न हो। कठुआ रेप मामले में जब पुलिस के कुछ दावों में नजर आई कमियों को लेकर ऑपइंडिया ने सवाल किए थे, तब ऑल्ट न्यूज का ये संस्थापक सामने आया और ऑपइंडिया को रेपिस्टों का हितैषी बताने लगा था।