Tuesday, November 26, 2024
Homeरिपोर्टमीडिया'न्यूयॉर्क टाइम्स का फर्जीवाड़ा': श्रमिक ट्रेन को 'वायरस ट्रेन' साबित करने के लिए संजीव...

‘न्यूयॉर्क टाइम्स का फर्जीवाड़ा’: श्रमिक ट्रेन को ‘वायरस ट्रेन’ साबित करने के लिए संजीव सान्याल के 40 मिनट के इंटरव्यू को केवल 2 शब्दों में समेटा

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने खुलासा किया है कि वामपंथी प्रकाशन ने किस तरह से सिर्फ इस बात का चयन किया कि क्या प्रकाशित करना है और क्या नहीं। उन्होंने सिर्फ वही प्रकाशित किया जिसके लिए उन्होंने पहले से ही सोच रखा था और जो उनके नैरेटिव के हिसाब से सही बैठता था।

पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और इससे जल्द से जल्द निपटने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस दौरान सभी देशों की निगाहें एक-दूसरे पर रहीं कि कौन इस अज्ञात महामारी से निपटने के लिए कितना तैयार था और उसे इसमें किस हद तक सफलता मिली। मगर इस दौर में भी फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा का बाजार गर्म रहा।

इस दौरान पश्चिमी मीडिया हाउस द्वारा कोविड-19 महामारी पर भारत की प्रतिक्रिया को काफी पक्षपाती तरीके से कवर किया गया। बता दें कि पश्चिमी मीडिया को अक्सर चीन से पैसे लेकर उसके लिए प्रोपेगेंडा फैलाते हुए देखा गया है।

इसी तरह का एक लेख हाल ही में सामने आया। यह लेख अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित हुआ था। लेख का शीर्षक था- The virus trains: How lockdown chaos spread COVID-19 across India। हिंदी में इसका अर्थ है- ‘वायरस रेलगाड़ियाँ: लॉकडाउन की अव्यवस्था ने कोविड-19 को देशभर में कैसे फैलाया’।

यह लेख पूर्ण रूप से मोदी सरकार के खिलाफ पूर्वग्रहों से भरा हुआ था। जिसमें देश में कोरोना वायरस के प्रसार के लिए मोदी सरकार को दोषी ठहराया गया।

न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में कहा गया कि मोदी सरकार की कोविड-19 टास्क फोर्स में ‘उच्च जाति के हिंदुओं’ का वर्चस्व है। यह लिखना मीडिया हाउस के पक्षपाती रवैये को उजागर करता है। इतना ही नहीं, लेख में यह भी दावा किया गया कि सरकार ने बिना सोचे ही लॉकडाउन लगा दिया और उन्होंने यह नहीं सोचा कि लॉकडाउन लगाने से लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए हताशा, घबराहट और अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।

NYT के लेख का अंश

कैसे प्रवासियों ने भारत के सरकार द्वारा व्यवस्थित विशेष रेलगाड़ियों की यात्रा करके देश के हर कोने में कोरोना वायरस को पहुँचाया- इस विषय पर लेख लिखने के लिए NYT के लेखकों ने लेखक एवं केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल समेत कई लोगों से बात की। लेकिन अब संजीव सान्याल ने खुलासा किया है कि वामपंथी प्रकाशन ने किस तरह से सिर्फ इस बात का चयन किया कि क्या प्रकाशित करना है और क्या नहीं। उन्होंने सिर्फ वही प्रकाशित किया जिसके लिए उन्होंने पहले से ही सोच रखा था और जो उनके नैरेटिव के हिसाब से सही बैठता था।

लेख में उल्लेख किया गया है कि संजीव सान्याल ने पुष्टि की थी कि प्रशासन को शहरी ‘हॉटस्पॉट क्षेत्र’ से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ले जाने से होने वाले जोखिमों के बारे में पता था। उन्होंने कहा कि स्थिति को ‘काफी अच्छी तरह से’ (‘quite well’) प्रबंधित किया गया था। केवल दो शब्द ‘quite well’ उस साक्षात्कार से उद्धृत किए गए थे, जो उन्होंने उसके साथ लिया था।

ऑपइंडिया ने अब संजीव सान्याल और न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार के बीच हुई बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग हासिल कर ली है। NYT के लेख के सह-लेखकों में से एक, सुहासिनी राज ने संजीव सान्याल से संपर्क किया उनसे कोविड -19 महामारी पर सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से बात की। बातचीत 40 मिनट से अधिक समय तक चली। और 40 मिनट के इंटरव्यू में से प्रकाशन हाउस ने केवल दो शब्द ‘quite well’ लिए। हालाँकि यह आश्चर्य की बात नहीं है। वाशिंगटन पोस्ट ने भी दिल्ली दंगों के दौरान इसी तरह के अपने नैरेटिव को फिट होने वाले शब्दों का चयन किया था।

संजीव सान्याल ने ट्वीट करते हुए बताया कि इंटरव्यू के दौरान 40 में से 30 मिनट भारत की नीति प्रतिक्रिया के पीछे की सोच के बारे में था। मगर अब यह स्पष्ट हो गया है कि पत्रकार की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनके पास अपनी स्टोरी और नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए पहले से ही एजेंडा तैयार था। उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने पत्रकार के मुताबिक बात नहीं की तो आखिरी 10 मिनट में उन्होंने उनके मुँह से अपने मुताबिक बातें निकलवाने की कोशिश की।

वो आगे लिखते हैं, “चूँकि मैंने उनके एजेंडे के लिए उपयोगी बयान (quote) नहीं दिया तो लेख में मेरे दो शब्दों के उल्लेख ये दिखाने के लिए किया गया कि NYT ने सभी पक्षों को मौका दिया। मैं रिकॉर्डिंग पोस्ट कर रहा हूँ, ताकि इसका उपयोग केस स्टडी के रूप में किया जा सके कि भारतीय अधिकारी पक्षपाती पश्चिमी मीडिया से कैसे निपट सकते हैं।”

न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार सुहासिनी राज और संजीव संजल के बीच की पूरी बातचीत नीचे YouTube पर सुनी जा सकती है। कृपया ध्यान दें कि ऑडियो की शुरुआत में लगभग 1.30 मिनट तक कोई आवाज़ नहीं है, इसलिए आप ऑडियो सुनने के लिए 1.30 मिनट तक स्किप कर सकते हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि हालाँकि ऑडियो रिकॉर्डिंग 40 मिनट से अधिक लंबी है, पहले आधे घंटे में श्रमिक विशेष ट्रेनों के बारे में कोई चर्चा नहीं है। वे पहले सामान्य रूप से लॉकडाउन के बारे में बात करते हैं, और फिर अंत में पत्रकार सान्याल से अपने एजेंडे के मुताबिक बातें निकलवाने की कोशिश करती है, मगर उनके जवाब से पत्रकार को निराशा ही हाथ लगी, इसलिए उन्होंने इस इंटरव्यू के मात्र ‘दो चुनिन्दा शब्द’ इस्तेमाल करने का निश्चय किया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सपा MLA के बेटे ने कहा- सांसद जियाउर्रहमान बर्क हमारे साथ, सुनते ही भीड़ ने शुरू कर दी पत्थरबाजी… तमंचे की गोलियाँ, अजीब हथियार...

संभल हिंसा में सपा सांसद और इसी पार्टी के विधायक के बेटे पर FIR हुई है। तमंचे से गोली चलने और अजीब चाकू मिलने की बात सामने आई है।

विकसित देशों ने की पर्यावरण की ऐसी-तैसी, पर क्लाइमेट चेंज से लड़ना गरीब देशों की जिम्मेदारी: दोगलई पर पश्चिम को भारत ने रगड़ा, 300...

भारत ने COP 29 समझौते पर प्रश्न खड़े किए हैं। भारत ने इस समझौते में स्वीकार की गई 300 बिलियन डॉलर को कम बताया है।
- विज्ञापन -