पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है और इससे जल्द से जल्द निपटने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस दौरान सभी देशों की निगाहें एक-दूसरे पर रहीं कि कौन इस अज्ञात महामारी से निपटने के लिए कितना तैयार था और उसे इसमें किस हद तक सफलता मिली। मगर इस दौर में भी फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा का बाजार गर्म रहा।
इस दौरान पश्चिमी मीडिया हाउस द्वारा कोविड-19 महामारी पर भारत की प्रतिक्रिया को काफी पक्षपाती तरीके से कवर किया गया। बता दें कि पश्चिमी मीडिया को अक्सर चीन से पैसे लेकर उसके लिए प्रोपेगेंडा फैलाते हुए देखा गया है।
इसी तरह का एक लेख हाल ही में सामने आया। यह लेख अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में प्रकाशित हुआ था। लेख का शीर्षक था- The virus trains: How lockdown chaos spread COVID-19 across India। हिंदी में इसका अर्थ है- ‘वायरस रेलगाड़ियाँ: लॉकडाउन की अव्यवस्था ने कोविड-19 को देशभर में कैसे फैलाया’।
यह लेख पूर्ण रूप से मोदी सरकार के खिलाफ पूर्वग्रहों से भरा हुआ था। जिसमें देश में कोरोना वायरस के प्रसार के लिए मोदी सरकार को दोषी ठहराया गया।
न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में कहा गया कि मोदी सरकार की कोविड-19 टास्क फोर्स में ‘उच्च जाति के हिंदुओं’ का वर्चस्व है। यह लिखना मीडिया हाउस के पक्षपाती रवैये को उजागर करता है। इतना ही नहीं, लेख में यह भी दावा किया गया कि सरकार ने बिना सोचे ही लॉकडाउन लगा दिया और उन्होंने यह नहीं सोचा कि लॉकडाउन लगाने से लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए हताशा, घबराहट और अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।
कैसे प्रवासियों ने भारत के सरकार द्वारा व्यवस्थित विशेष रेलगाड़ियों की यात्रा करके देश के हर कोने में कोरोना वायरस को पहुँचाया- इस विषय पर लेख लिखने के लिए NYT के लेखकों ने लेखक एवं केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल समेत कई लोगों से बात की। लेकिन अब संजीव सान्याल ने खुलासा किया है कि वामपंथी प्रकाशन ने किस तरह से सिर्फ इस बात का चयन किया कि क्या प्रकाशित करना है और क्या नहीं। उन्होंने सिर्फ वही प्रकाशित किया जिसके लिए उन्होंने पहले से ही सोच रखा था और जो उनके नैरेटिव के हिसाब से सही बैठता था।
Yes, your journalist did speak to me but the article does not reflect the conversation and uses an arbitrary two word “quote”. Would you like to hear the conversation? I have the full audio recording. https://t.co/yWjIeSgYT2
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) December 16, 2020
लेख में उल्लेख किया गया है कि संजीव सान्याल ने पुष्टि की थी कि प्रशासन को शहरी ‘हॉटस्पॉट क्षेत्र’ से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ले जाने से होने वाले जोखिमों के बारे में पता था। उन्होंने कहा कि स्थिति को ‘काफी अच्छी तरह से’ (‘quite well’) प्रबंधित किया गया था। केवल दो शब्द ‘quite well’ उस साक्षात्कार से उद्धृत किए गए थे, जो उन्होंने उसके साथ लिया था।
ऑपइंडिया ने अब संजीव सान्याल और न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार के बीच हुई बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग हासिल कर ली है। NYT के लेख के सह-लेखकों में से एक, सुहासिनी राज ने संजीव सान्याल से संपर्क किया उनसे कोविड -19 महामारी पर सरकार की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से बात की। बातचीत 40 मिनट से अधिक समय तक चली। और 40 मिनट के इंटरव्यू में से प्रकाशन हाउस ने केवल दो शब्द ‘quite well’ लिए। हालाँकि यह आश्चर्य की बात नहीं है। वाशिंगटन पोस्ट ने भी दिल्ली दंगों के दौरान इसी तरह के अपने नैरेटिव को फिट होने वाले शब्दों का चयन किया था।
30 of 40mins was about the thinking behind India’s policy response. As will be obvious, the journalist was not interested. She already had an agenda to push a pre-decided story. When I did not play along, she tries in the last 10 mins to put words in my mouth 3/n
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) December 16, 2020
संजीव सान्याल ने ट्वीट करते हुए बताया कि इंटरव्यू के दौरान 40 में से 30 मिनट भारत की नीति प्रतिक्रिया के पीछे की सोच के बारे में था। मगर अब यह स्पष्ट हो गया है कि पत्रकार की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनके पास अपनी स्टोरी और नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए पहले से ही एजेंडा तैयार था। उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने पत्रकार के मुताबिक बात नहीं की तो आखिरी 10 मिनट में उन्होंने उनके मुँह से अपने मुताबिक बातें निकलवाने की कोशिश की।
Since I did not provide a quote useful to her agenda, I was just give a two word quote in the article just to show that NYT gave all sides a chance. I am posting the recording so that it can be used as a case study on how Indian officials can deal with biased Western media 4/n
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) December 16, 2020
वो आगे लिखते हैं, “चूँकि मैंने उनके एजेंडे के लिए उपयोगी बयान (quote) नहीं दिया तो लेख में मेरे दो शब्दों के उल्लेख ये दिखाने के लिए किया गया कि NYT ने सभी पक्षों को मौका दिया। मैं रिकॉर्डिंग पोस्ट कर रहा हूँ, ताकि इसका उपयोग केस स्टडी के रूप में किया जा सके कि भारतीय अधिकारी पक्षपाती पश्चिमी मीडिया से कैसे निपट सकते हैं।”
न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार सुहासिनी राज और संजीव संजल के बीच की पूरी बातचीत नीचे YouTube पर सुनी जा सकती है। कृपया ध्यान दें कि ऑडियो की शुरुआत में लगभग 1.30 मिनट तक कोई आवाज़ नहीं है, इसलिए आप ऑडियो सुनने के लिए 1.30 मिनट तक स्किप कर सकते हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि हालाँकि ऑडियो रिकॉर्डिंग 40 मिनट से अधिक लंबी है, पहले आधे घंटे में श्रमिक विशेष ट्रेनों के बारे में कोई चर्चा नहीं है। वे पहले सामान्य रूप से लॉकडाउन के बारे में बात करते हैं, और फिर अंत में पत्रकार सान्याल से अपने एजेंडे के मुताबिक बातें निकलवाने की कोशिश करती है, मगर उनके जवाब से पत्रकार को निराशा ही हाथ लगी, इसलिए उन्होंने इस इंटरव्यू के मात्र ‘दो चुनिन्दा शब्द’ इस्तेमाल करने का निश्चय किया।