यूँ तो रोहिणी सिंह को पत्रकारिता का चोला ओढ़कर समाजवादी पार्टी (SP) के लिए बैटिंग करने में महारत हासिल है। लेकिन इस बार अतिउत्साह में उन्होंने खुद को कानूनी पचड़े में डाल लिया है। उन्होंने भाजपा विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी के पार्टी छोड़ने की फेक न्यूज को हवा दी थी।
इस ट्वीट के चंद घंटों बाद ही बीजेपी विधायक ने उनके ऊपर कार्रवाई की माँग कर डाली। हालाँकि ये पहली बार नहीं है कि बीजेपी के ख़िलाफ़ और सपा के पक्ष में रोहिणी सिंह ने अफवाह फैलाकर अपनी जगहँसाई करवाई हो। साल 2017 में विधानसभा चुनाव के समय इस काम को इस महिला पत्रकार ने धड़ल्ले से किया था।
समाजवादी पार्टी से रोहिणी का लगाव
पाँच साल पहले भी जब विधानसभा चुनाव थे तब भी रोहिणी बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थीं। उनके कुछ पुराने ट्वीट्स पर नजर डालिए।
2017 में चुनाव के नतीजे आने से पहले तक रोहिणी सिंह सिर्फ ये बताने में व्यस्त थीं कि बीजेपी यूपी में संघर्ष कर रही है, उनका सत्ता में आने का कोई चांस नहीं है। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा था, “यूपी में घूम रही हूँ और नोटबंदी के कारण गुस्सा हर जगह देखने को मिल रहा है। अचंभित हूँ कि दिल्ली के विश्लेषक कैसे इसे नजर अंदाज कर रहे हैं।”
एक ट्वीट में उन्होंने अपना चुनावी विश्लेषण कर बताया था, “सबसे बड़ी लूजर भाजपा होगी, आरएलडी को 2 फायदे होंगे। गठबंधन उम्मीद से भी ज्यादा फायदा देने वाला है।”
उस समय इकोनॉमिक टाइम्स में काम कर रही रोहिणी और उनके साथी पत्रकारों की ‘ताबड़तोड़ मेहनत’ के बावजूद 2017 में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई। इसके बाद जमीनी हकीकत को नजरंदाज कर एकतरफा रिपोर्टिंग के लिए ईटी को खासी ओलचना झेलनी पड़ी थी।
नीरा राडिया टेप में रोहिणी सिंह का नाम
यहाँ मालूम हो कि रोहिणी सिंह का नाम सिर्फ यूपी चुनावों के कारण मीडिया में चर्चा में नहीं था। नीरा राडिया केस में भी रोहिणी का नाम सामने आया था। द वायर के संस्थापक एम के वेणु ने नीरा राडिया से बातचीत में उन्हें होनहार कहते हुए उनकी तारीफों के पुल बांधे थे।नीरा राडिया टेप का खुलासा होने पर जो बातचीत सामने आई थी उसमें वेणु कहते सुनाई पड़ रहे थे,
“आपको मालूम है क्या एक लड़की ने ज्वाइन किया था जिसने अब ईटी ज्वाइन कर लिया है। वह सीएनबीसी में भी थी तीन-चार साल थी और बेस्टर पर्फॉर्मर थी। फिर उसकी शादी हो गई। वो यूएस से अब लौटी है। उसका नाम रोहिणी सिंह है। अब मैं उसे ईटी नाऊ में ले आया हूँ…. उसके पास संपर्कों का नेटवर्क हैं और वह चाहती है कि उसे आपके सिस्टम से कुछ लोगों से मिलाया जाए।”
बातचीत से साफ पता चल रहा है कि कैसे एम के वेणुगोपाल रोहिणी सिंह में होनहार पत्रकार देखते थे और साथ ही साथ उनके लिए सिफारिश भी करते थे। शायद यही वजह है कि यूपी चुनावों के बाद ईटी से रिश्ता टूटते ही रोहिणी द वायर से जुड़ गईं। इसे भी कई लोग वेणु की ही ‘कृपा’ बताते हैं।
द वायर के रूप में रोहिणी को अपने विचार प्रचार-प्रसार करने के लिए एक सटीक माध्यम मिल गया था जो उनकी विचारधारा से मेल खाता था। उन्होंने बीते सालों में लगातार बीजेपी के प्रति घृणा फैलाने काम किया है। कोरोना काल में यही रोहिणी सिंह थीं जिन्होंने श्रमिक एक्सप्रेस चलने पर झूठ परोसा था कि मजदूरों से मोदी सरकार ज्यादा किराया वसूल रही है। इतना ही नहीं कुछ दिन पहले प्रोपगेंडा चलाने के कारण उन्हें रुबिका लियाकत ने भी लताड़ा था।
BJP नेताओं से रोहिणी की घृणा और कारनामे
कुछ दिन पहले प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द वायर’ पर इन्हीं के लेख के कारण अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा मानहानि का केस किया गया था। तब रोहिणी ने जय शाह के व्यापार को लेकर उन पर गंभीर आरोप लगाए थे और इसी बाबत जय शाह ने 100 करोड़ रुपए का मानहानि मुकदमा दायर था। रोहिणी सिंह ने पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल को लेकर भी घृणा दिखाई थी। पिछले साल रोहिणी सिंह समेत कई वामपंथियों ने पीयूष गोयल पर किसानों को धमकाने का आरोप मढ़ा था जबकि हकीकत में बात कुछ और थीं। उस समय गोयल की बातों को धमकी बताकर फैलाने का काम तेजी से हुआ था। इनके अलावा हालिया मामलों को छोड़ दें तो रोहिणी सिंह पर एक निश्चित सरकार के पक्ष में लिखने पर बीएचके अपार्टमेंट मिलने के आरोप भी लगते रहे हैं। उनसे जुड़े किसी भी विवाद में सामान्य यूजर भी इस टॉपिक को छेड़ देता है और फिर वाकया चर्चा में आ जाता है।