वुहान से निकला वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है। इस बीच ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ (CPC) 1 जुलाई को अपनी स्थापना के 100वें वर्ष का जश्न मना रही है। इसे सेलिब्रेट करने के लिए CPC ने काफी संसाधन खर्च किए हैं।
हालाँकि, चीन को वुहान लैब में कथित कोरोना वायरस के प्रयोगों और उसके बाद महामारी की उत्पत्ति एवं उसके प्रसार के बारे में गलत सूचना फैलाने तथा एलएसी एवं कई अन्य मुद्दों पर आक्रामकता के लिए वैश्विक निंदा का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, ‘द हिंदू’ ने कम्युनिस्ट चीन की प्रोपेगंडा मेटेरियल को बढ़ावा देकर अपने कॉमर्शियल और वैचारिक हितों को आगे बढ़ाने का विकल्प चुना।
1 जुलाई को ‘द हिंदू’ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी की वर्षगाँठ पर चीन द्वारा भुगतान किए गए पूरे पृष्ठ का विज्ञापन प्रकाशित किया। यह पेड कंटेंट समाचार पत्र के तीसरे पेज पर है। दिलचस्प बात यह है कि चीन द्वारा जो पेड कंटेंट प्रकाशित किया गया है, वह नियमित रिपोर्ट की तरह ही दिखाई देता है, लेकिन बारीकी से देखने पर पता चलता है कि यह चीन द्वारा पेड कंटेंट है।
विडंबना यह है कि विज्ञापन में भारत में चीनी राजदूत का एक संदेश है, जिसमें कहा गया कि कैसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने नए युग में खुद को विकसित किया है और वैश्विक उत्थान में योगदान दिया है। अगर विज्ञापन के दाहिने कोने को करीब से देखेंगे तो छोटे काले अक्षरों में ‘विज्ञापन’ लिखा हुआ देखा जा सकता है, जो कि आसानी से दिखाई नहीं देता है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह पर ‘द हिंदू’ का उत्साह केवल एक विज्ञापन तक ही सीमित नहीं है। हिंदू और इसकी संपादकीय टीम सीपीसी की स्थापना के 100 साल पूरे करने को लेकर बेहद उत्साहित भी दिख रही है और इस समारोह का महिमामंडन करने के लिए आक्रामक रूप से रिपोर्टिंग कर रही है।
दो दिनों से भी कम समय में ‘द हिंदू’ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग की प्रशंसा वाले दो संपादकीय प्रकाशित किए गए हैं। इसमें से एक आर्टिकल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीनी मामलों के विशेषज्ञ अलका आचार्य द्वारा लिखा गया है, जिसे 1 जुलाई को ‘द हिंदू’ ने प्रकाशित किया है।
नीचे दिए गए लेख में चीनी मामलों की ‘विशेषज्ञ’ अलका आचार्य ने शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को ‘कियांग कि लाई’ यानी एक मजबूत शक्ति होने के लिए बधाई दी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि शी ने नेतृत्व में कैसे सीपीसी ने बाहरी और आंतरिक दोनों संकटों से लड़ा है और हाल के दिनों में मजबूत हुआ है।
ऐसा लगता है कि ‘द हिंदू’ ने पिछले सप्ताह से ही शताब्दी समारोह से संबंधित लेख प्रकाशित करके वास्तविक उत्सव से एक सप्ताह पहले ही शताब्दी समारोह मनाना शुरू कर दिया था। 26 जून को एक लेख प्रकाशित किया गया था जिसमें दावा किया गया था कि कैसे चीन की सत्तारूढ़ पार्टी – कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना डेंग शियाओपिंग के सामूहिक नेतृत्व के युग से आगे बढ़ते हुए शी जिनपिंग के नेतृत्व में माओ-प्रेरित मजबूत राजनीति की ओर चली गई। यह लेख अनंत कृष्णन द्वारा लिखा गया है।
इतना ही नहीं, हिंदू ने सीपीसी के उदय और उसके भविष्य पर चर्चा करने के लिए वर्षगाँठ के अवसर पर एक पॉडकास्ट भी प्रकाशित किया है। हिंदू से जुड़े चीन के ‘विशेषज्ञ’ अनंत कृष्णन ने यूनाइटेड किंगडम के एक अन्य चीनी मामलों के ‘विशेषज्ञ’ से बात की, जिसने खुद को राणा मित्तर बताया।
हालाँकि, यह कोई नहीं बता सकता कि इस आयोजन को लेकर चीनी आबादी कितनी उत्साहित है। फिर भी, कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि वामपंथी मीडिया आउटलेट ‘द हिंदू’ निश्चित रूप से समारोहों को लेकर बहुत रोमांचित है, क्योंकि यह इसकी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।