मीडिया पोर्टल ‘द क्विंट’ ने नवरात्र के दौरान एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उपवास के गुण-दोष की व्याख्या की गई थी। हालाँकि, इस वीडियो में चीजों को बायोलॉजिकल ढंग से समझाने की कोशिश की गई थी, लेकिन इसके हेडिंग में कहा गया था कि जानिए उपवास आपके शरीर के लिए आरोग्यवर्धक है या नहीं? ठीक इसी तरह रमज़ान के लिए भी क्विंट ने एक ट्वीट डाला – शब्दों के साथ थोड़ा ‘सेकुलर’ होकर! इसमें साफ़-साफ़ हेडिंग में ही उपवास (यहाँ रोज़ा) के फायदे गिना दिए गए। इतना ही नहीं, इसमें कुछ सस्पेंस की बात नहीं रखी गई और कह दिया गया कि रोज़ा रखने से फलाना-फलाना वैज्ञानिक फ़ायदे होते हैं। सबसे पहले नवरात्रि के दौरान क्विंट द्वारा शेयर की गई वीडियो को देखिए।
This #Navratri, know how fasting affects your body and whether it’s healthy or not. | @sameekshakh
— The Quint (@TheQuint) September 27, 2017
Full story here: https://t.co/ZHZbCWHb9P pic.twitter.com/tQYotEFdpU
इस वीडियो में शुरुआत में तो सभी धर्मों और अन्ना हजारे तक को दिखाया गया है लेकिन क्लिप में उदाहरण के तौर पर सिर्फ और सिर्फ नवरात्रि को ही लिया गया है। अभी रमजान वाले पोस्ट के बाद जब किसी ने इस पर आवाज़ उठाई तो इस वीडियो में दिख रही पत्रकार ने शुरुआत में दिखाए गए चित्र को लेकर डिफेंड करते हुए लिखा कि ये सभी धर्मों के लिए था और उन्होंने नवरात्रि सिर्फ़ उदाहरण के तौर पर लिया। अब ज़रा रमजान के समय डाली गई पोस्ट को देखिए और समझिए कि कैसे नवरात्रि और रमजान के समय डाली गई चीजों से अलग-अलग नैरेटिव बन कर आते हैं। ये सब ‘Headline Framing’ का कमाल है, जो त्यौहार बदलते ही बदल जाता है। और ‘मीडिया समूह’ ऐसा करके ‘मीडिया गिरोह’ में तब्दील हो जाता है।
कुल मिलाकर बात यह कि नवरात्री के दौरान उपवास के फ़ायदे और नुकसान दोनों दिखाए जाते हैं। हेडलाइन ऐसे बनाए जाते हैं, जिसको पढ़-सुन कर ऐसा लगे कि उपवास करने से न जाने क्या-क्या नुकसान होते हैं। लेकिन जब रमजान के दौरान रोज़ा की बात आती है, तो वही मीडिया गिरोह उसके गुणगान पर उतर आता है। उपवास और रोज़ा भले ही दो धर्मों द्वारा पालन की जाने वाली एक ही पद्धति हो, लेकिन ‘The Quint’ जैसे मीडिया गिरोह इसे दो अलग-अलग चश्मे से देखते हैं।