भारत का वामपंथी मीडिया अब उन मुस्लिम वोटरों की तरह हो गया है, जो अपने क्षेत्र में उसी उम्मीदवार को वोट देते हैं जो भाजपा को टक्कर दे रहा हो। वामपंथी मीडिया तो दूर, कविता कृष्णन जैसे वामपंथी नेता भी खुल कर लेफ्ट की बजाए अब ममता बनर्जी की TMC के लिए बैटिंग कर रहे हैं। इसी तरह ‘The Wire’ की आरफा खानम शेरवानी ने पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के कथित विश्लेषण को लेकर ‘खेला’ करने की कोशिश की, लेकिन उनके ही ग्राउंड रिपोर्टर ने हकीकत उगल दी।
‘The Wire’ ने इस वीडियो में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के संपन्न होने के बाद उसका विश्लेषण किया है। आरफा खानमम शेरवानी यूँ तो सोशल मीडिया पर फोटोशॉप्ड तस्वीरों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस्लामी कट्टरता को आगे बढ़ाने में भी उनका कोई सानी नहीं। वीडियो की शुरुआत में ही वो दावा कर देती हैं कि भाजपा ने अपनी विभाजनकारी नीतियों को आगे रखा है और वो ‘हिंदुत्व’ पर चुनाव लड़ रही है।
वो अलग बात है कि इस दौरान आरफा इस बात का जिक्र करना भूल गईं कि ममता बनर्जी ने चुनाव से पहले फुरफुरा शरीफ दरगाह के लिए 2.6 करोड़ रुपए राज्य के खजाने से दिए थे और उसी दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी की पार्टी को कॉन्ग्रेस-लेफ्ट गठबंधन ने 26 सीटें दे दी हैं। आरफा ने ये भी तर्क दिया कि सत्ता विरोधी लहर का सामना भाजपा को करना पड़ेगा। एक ऐसी पार्टी को, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा में मात्र 3 सीटें हैं।
इस वीडियो में आरफा ने बंगाल में ‘The Wire’ के दो पत्रकारों से भी बात की, जो कथित रूप से ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इनमें से एक अजोय आशीर्वाद ने दावा कर डाला कि यहाँ कोई एंटी-इंकम्बेंसी नहीं है और ममता बनर्जी से सब खुश हैं। उन्होंने दावा किया कि सभी लोग ममता बनर्जी की कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ कर रहे हैं। बड़ी चालाकी से अजोय ने ये भी कहा कि लोग तारीफ के साथ-साथ परिवर्तन की संभावना भी जता रहे हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए पहले चरण में लोगों का बड़ा झुकाव है। उन्होंने फिर ममता बनर्जी को क्लीनचिट देते हुए तृणमूल के अन्य नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि निचले स्तर के नेता-कार्यकर्ता कट मनी ले रहे हैं और टोलबाजी कर रहे हैं और जिस तरह से ममता ने भतीजे अभिषेक को पार्टी का कंट्रोल दिया है, उससे लोग नाराज़ हैं। बता दें कि भाजपा यही मुद्दे उठती रही हैं।
अजोय ने आरफा खानम शेरवानी से कहा कि पश्चिम बंगाल में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है और उत्तर भारतीय राज्यों के मुकाबले ये आगे है। साथ ही कहा कि ममता सरकार ने स्कूल और अस्पताल बनवाए। बकौल अजोय, लोगों का कहना है कि यहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी नहीं है। साथ ही लेफ्ट को भी इसका क्रेडिट दिया। लेकिन, उन्होंने कहा कि लोग आय और नौकरी के लिए ममता के काम के बावजूद लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देख रहे हैं।
प्रोपेगेंडा पोर्टल के ग्राउंड रिपोर्टर की बातें का लब्बोलुआब ये था कि भाजपा पश्चिम बंगाल में हावी हो रही है और लोगों को उसकी बातें पसंद आ रही है। लोगों को पार्टी और प्रधानमंत्री पर भरोसा है। लोग तृणमूल से नाराज़ हैं और सरकार बदलने की बातें कर रहे हैं। बस इस बात का ख्याल रखा गया कि इन सबका क्रेडिट भाजपा और मोदी-शाह को न दिया जाए। जब ‘The Wire’ जैसा संस्थान हार मान ले तो बंगाल की स्थिति का आकलन कर लीजिए।
इसके बाद आरफा ने अपने प्रोपेगेंडा का राग छेड़ना शुरू कर दिया और कहा, “हैरानी की बात ये है कि नौकरियाँ केंद्रीय स्तर लगातार घट रही हैं और भूखमरी की नौबत है। जिनके पास 7 साल पहले नौकरी थी, वो भी अब बेरोजगार हैं। कौन सा भाजपा का ऐसा आर्थिक रिकॉर्ड है?” इस दौरान ये भी खुलासा हुआ कि ‘The Wire’ के पत्रकार रिपोर्टिंग नहीं, भाजपा के खिलाफ नकारात्मक बातें भी कर रहे हैं।
एक तरह से आरफा खानम शेरवानी ने पश्चिम बंगाल की जनता को ही नासमझ करार दिया। भाजपा के पास गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश के उदाहरण हैं, जहाँ की बातें कर के वो बंगाल जैसे राज्यों में अपने काम के बारे में बता सकती है। अजोय ने कहा कि लोग दो मोर्चों से तंग आकर भाजपा की ‘ऊपरी बातों’ पर विश्वास कर रहे हैं और ऐसे में आँकड़े वगैरह उन्हें समझ नहीं आते। आरफा ने भी इसकी हाँ में हाँ मिलाई।
यहाँ पहली बड़ी बात ये है कि वामपंथी पोर्टलों के पत्रकार पश्चिम बंगाल में तृणमूल के लिए कैम्पेन कर रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि दिल्ली में चीजें बहुत बुरी हैं और मोदी सरकार फेल हो गई है। इन उलटी-सीधी बातों के अलावा भी वो बंगाल की जनता को मूर्ख कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल की नजर में ‘बाहर से’ भाजपा अच्छी लग रही है। फिर आरफा ने CAA का राग अलापना शुरू कर दिया और दावा कर दिया कि गरीबों और ग्रामीणों तक प्रोपेगेंडा और झूठ पहुँच रहा है।
यहाँ वो कौन से प्रोपेगेंडा की बात कर रही हैं? फरहान अख्तर का प्रोपेगेंडा, जिसमें उन्होंने कहा था कि CAA लागू होने के बाद महिलाएँ, SC/ST और मुस्लिम देश से निकाल बाहर किए जाएँगे? वो झूठ, जिसके हिसाब से योगेंद्र यादव ने दावा किया था कि NPR में नागरिकों के नाम के आगे लाल निशान लगाया जा रहा है? या फिर वो प्रोपेगेंडा, जो ‘The Wire’ के अमेरिकी संस्थापक CAA विरोधियों के साथ मिल कर चला रहे हैं?
क्या आज तक ‘The Wire’ एक ऐसे मुस्लिम नागरिक का नाम बता सकता है, जिसकी नागरिकता CAA की वजह से गई? इस वीडियो में भी पत्रकार ने माना कि बंगाल में शरणार्थियों की अच्छी-खासी संख्या है और साथ ही दावा किया कि भाजपा ने ये भाँप लिया था कि दीदी के खिलाफ कैम्पेन चला कर चुनाव नहीं जीता जा सकता।
अजोय ने इस दौरान गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा की बात की, जहाँ के इंफ्रास्ट्रक्चर की बातें भाजपा कर रही हैं। उन्होंने आरफा की ही बात को काट दी, जिन्होंने कहा था कि भाजपा के पास उपलब्धि के रूप में बताने को कुछ है ही नहीं। ‘The Wire’ के ग्राउंड रिपोर्टर ने TMC नेताओं के भ्रष्टाचार की बात कबूली। साथ ही ‘माइनोरिटी अपीजमेंट’ को ‘भाजपा की थ्योरी’ करार दिया। उन्होंने ये भी कबूला कि दिल्ली और कोलकाता में बैठ कर जो समझ रहे थे कि भाजपा का जमीनी स्तर पर संगठन नहीं है, वो गलत हैं।
Arfa Khanum is looking very disappointed and depressed after listening to Bengal BJP is having upper hand pic.twitter.com/yAoYYA1ZfF
— Farrago Abdullah (@abdullah_0mar) March 28, 2021
उन्होंने कहा कि बूथ स्तर पर बंगाल में भाजपा के अधिक लोग हैं, लेकिन साथ ही ये कहना नहीं भूले कि CPM वाले ही अब भाजपाई हो गए हैं। अंत में ‘The Wire’ वालों ने भाजपा की माइक्रो-स्ट्रेटेजी की दाद दे दी। बंगाल में अगर भाजपा जीतती है तो इसका श्रेय विकास और मोदी-शाह को कम और ‘जनता की नासमझी’ को ज्यादा दिया जाएगा, इसकी तैयारी हो चुकी है। बाकी EVM वाला राग अलापने के लिए नेता तो हैं ही।
सवाल ये है कि मोदी सरकार में कहाँ भूखमरी है? क्या नौकरियों का मतलब सिर्फ केंद्रीय नौकरियाँ ही होती हैं? वो तो सालों से कम हैं। ये आरफा जैसों की झल्लाहट ही है, जो कल को ये भी कह सकते हैं कि भाजपा शासित राज्यों में जनता के दिमाग में चिप फिट कर दी गई गई। चुनाव के रुझान को देख कर जब बंगाल की जनता आरफा और ‘The Wire’ लिए ‘मूर्ख’ हो गई है तो चुनाव के बाद तो ये खुलेआम पब्लिक को ही गाली देते फिरेंगे।
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पूरे वीडियो में कहीं भी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं के पीछे TMC के रोल को लेकर चर्चा नहीं की गई। किस तरह से भाजपा के 150 के करीब कार्यकर्ताओं को मार डाला गया, इस पर बात नहीं की गई। कैसे CPM और TMC की शुरू से राजनीतिक हिंसा का कारोबार रहा है, इस पर चुप्पी साध ली गई। लेकिन फिर भी आरफा और ‘The Wire’ जैसों को बंगाल की हवा का अंदाज़ा तो हो ही गया है।