हिन्दू विरोधी और वामपंथी विचारधारा ने मुख्यधारा की मीडिया ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपना प्रभुत्व कितनी गहराई से स्थापित किया है इसका उदाहरण हम कई बार देख चुके हैं। इस बार इसका शिकार ऑपइंडिया को बनना पड़ा है। दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की सच्चाई को सामने लाने का जो प्रयास ऑपइंडिया ने अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए किया, उसे एक ओर जहाँ बड़े वर्ग का स्नेह और सहानुभूति मिली, वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी था जिसे दंगों के इस पहलू के सामने आने से परेशानी भी हुई।
जिस खबर से ट्विटर को आपत्ति है, उसका शीर्षक है- “महीनों से हिंदुओं पर हमले की योजना बना रही मुस्लिम भीड़ आख़िर पीड़ित कैसे? – 10 कहानियों से साफ होती तस्वीर“
इस रिपोर्ट में उन 10 पीड़ितों की कहानी बताई गई थी, जो दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगों की योजना और अपने ऊपर होने वाले हमलों से बिल्कुल अनजान थे। इस रिपोर्ट में दंगों की सच्चाई को स्पष्ट तरीके से सामने रखते हुए बताया गया है कि दिल्ली में हुए दंगे कोई अकस्मात घटना नहीं बल्कि एक विशेष वर्ग की ओर से सुनियोजित प्रक्रिया के अंतर्गत अंजाम दिया गया। जैसे, महीनों पहले से ही पत्थर इकठ्ठा करना, पेट्रोल बम बनाना, दंगों के समय समुदाय विशेष के द्वारा पहले अपनी मोटरसाइकिल की दुकान को खाली कर खुद को पीड़ित दिखाने के लिए उसे आग के हवाले करना, आदि शामिल है।
ऑपइंडिया ने ऐसी ही एक रिपोर्ट अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए ट्वीट की थी, जिसके लिए ऑपइंडिया के अकाउंट को बारह घंटों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही ऑपइंडिया के सम्पादक अजीत भारती (Ajeet Bharti) के व्यक्तिगत अकाउंट पर भी हमला किया गया और उनके अकाउंट को सबा नक़वी के होली पर किए ट्वीट का जवाब देने के कारण 12 घंटे के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। हालाँकि, ट्विटर का गैर-वामपंथियों की अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कोई नई बात नहीं है। नीचे की तस्वीर में आप देख सकते हैं कि दिल्ली पुलिस और मेडिकल टीम द्वारा कही गई बातों को, जो पब्लिक में उपलब्ध हैं, उसे ही लिखने पर, और सबा नक़वी द्वारा जबरन हिन्दुओं को अपराधबोध में डालने पर अजीत भारती ने एक तथ्य लिखा था।
ऑपइंडिया सीईओ राहुल रौशन (Rahul Roushan) ने ट्विटर पर ऑपइंडिया के अकाउंट को अस्थाई रूप से प्रतिबंधित किए जाने का संदेश शेयर करते हुए लिखा है कि ट्विटर के अनुसार पीड़ित हिन्दुओं से बात करना घृणा और नफरत फैलाना है।
Twitter thinks talking to Hindu victims is hateful https://t.co/K0FdcZr2aB pic.twitter.com/WzJJA4VjEE
— Rahul Roushan (@rahulroushan) March 13, 2020
वास्तव में, ऑपइंडिया द्वारा की गई हिन्दू विरोधी दंगों की ग्राउंड रिपोर्टिंग से नारज होने वालों में ट्विटर अकेला प्लेटफॉर्म नहीं है। हाल ही में ख़बरों की धुलाई करने का दावा करने वाले न्यूज़लॉन्ड्री ने भी ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्टिंग को झूठ साबित करने का विफल प्रयास किया था। लेकिन जिन तथ्यों को वह ‘खंडन’ साबित करने का प्रयास कर रहे थे, वह ऑपइंडिया द्वारा कही गई बातों से किसी भी तरह से अलग साबित नहीं हो पाईं।