Sunday, October 13, 2024
Homeराजनीतिराहुल-चिदंबरम के आँकड़े में लोचा, ₹7 लाख करोड़ से भी ज्यादा का वित्तीय भार...

राहुल-चिदंबरम के आँकड़े में लोचा, ₹7 लाख करोड़ से भी ज्यादा का वित्तीय भार पड़ेगा सरकार पर

सरकार के इस शुरुआती अनुमान में न्यूनतम वेतन भुगतान ₹321 प्रतिदिन के आधार पर लगाया गया है। इसमें सरकार द्वारा अकुशल मज़दूरों को महीने में ₹9,630 का वेतन भुगतान निश्चित किया जाएगा।

राहुल गाँधी ने सोमवार (जनवरी 28, 2019) को देश की जनता से वादा किया कि अगर कॉन्ग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव जीतती है तो देश के हर ग़रीब को न्यूनतम आय प्रदान करने का प्रावधान करेगी। अपने इस वादे की मौखिक रूप से घोषणा के बाद राहुल ने प्रस्ताव के बारे में खुलकर कुछ नहीं बताया।

इस घोषणा पर पी चिदंबरम के गणित के अनुसार अगर देश के 18-20% ग़रीबों को इसमें टारगेट किया जाता है तो इस योजना का लागत अनुमान 5 लाख करोड़ रुपए होगा।

केंद्र सरकार के अनुमान के अनुसार देश के 25 प्रतिशत गरीबों को न्यूनतम आय प्रदान कराने के लिए 7 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक का खर्चा आएगा। सरकार के इस शुरुआती अनुमान में न्यूनतम वेतन भुगतान ₹321 प्रतिदिन के आधार पर लगाया गया है। इसमें सरकार द्वारा अकुशल मज़दूरों को महीने में ₹9,630 का वेतन भुगतान निश्चित किया जाएगा।

बता दें कि गरीबों को न्यूनतम आय देने वाली यह योजना अगर अस्तित्व में आती है तो सरकार पर वित्तीय भार बढ़ जाएगा। क्योंकि पहले से ही सरकार गरीबों को सब्सिडी दे रही है और कई राज्यों ने किसान कर्ज़माफ़ी भी शुरू कर दी है।

दो साल पहले हुए इकोनॉमिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक आय पर जो सुझाव दिया गया था, उसे अमल में नहीं लाया जा सका। ऐसा इसलिए क्योंकि तेंदुलकर कमिटी द्वारा परिभाषित ग़रीबी रेखा से हर एक को ऊपर उठाने के लिए देश में 75% परिवारों को सालाना 7,620 रुपए देने पड़ते। यह इसलिए भी मुमकिन नहीं था क्योंकि सरकार मध्य वर्ग के लोगों और ग़रीबों को दी जाने वाली सब्सिडी वापस लेने में असमर्थ थी।

इस सर्वेक्षण का यह भी अनुमान था कि जीडीपी का 4.9 प्रतिशत यानि सालाना 2.4-2.5 लाख करोड़ का खर्चा करके 25 प्रतिशत गरीबों को न्यूनतम आय दी जा सकती है। इसके अलावा अगर गरीब परिवार के पाँच सदस्यों को ₹3,180/महीने दिए जाएँ तो सरकार को इसमें 1.75 लाख करोड़ का खर्चा आएगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में तनाव: दशहरा के मौके पर RSS का निकला ‘पथ संचालन’, इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ की भड़काऊ नारेबाजी पर FIR दर्ज

रत्नागिरी में इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ को नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है, जबकि आरएसएस के कार्यकर्ता शांति से अपना मार्च निकाल रहे थे।

ठप कर देंगे सारी मेडिकल सेवा… RG Kar रेप-मर्डर मामले में न्याय माँग रहे डॉक्टर आमरण अनशन पर, 1 प्रदर्शनकारी की तबीयत बिगड़ने पर...

आरजी कर मेडिकल रेप-मर्डर को लेकर आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों में एक की तबीयत बिगड़ने पर मेडिकल एसोसिएशन ने सीएम ममता को चेतावनी दी है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -