Wednesday, April 24, 2024
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हर सप्ताह घटिया गोला-बारूद के कारण होता है एक हादसा: आयुध कारखानों से परेशान देश की सेना!

आयुध कारखानों ने 2017-18 में केवल 49% उत्पादन लक्ष्य प्राप्त किया। उत्पादन और आपूर्ति में कमी के कारण सेना के स्टॉक में...

देश के आयुध कारखानें (ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड, OFB) सेना की अहम गोला-बारूद की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे सेना की परिचालन संबंधी तैयारियाँ प्रभावित हो रही हैं। इसके साथ ही सामग्रियों की कमी और गुणवत्ता की समस्या के चलते कई खाली और दोषपूर्ण फ्यूज की आपूर्ति की वजह से कई बड़े हादसे भी हुए हैं। संसद में पेश रक्षा सेवाओं पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने 14 मई को बताया था कि OFB द्वारा टैंक, तोपखाने, वायु रक्षा और अन्य तोपों की आपूर्ति की जा रही गोला-बारूद की खराब गुणवत्ता के कारण सेना ने अधिक संख्या में होने वाले हादसों पर आवाज उठाया था। इनमें 41 आयुध कारखानें ऐसे हैं, जिनके वार्षिक बजट 15,000 करोड़ रुपए से अधिक हैं। सेना ने रक्षा मंत्रालय को बताया कि औसतन हर सप्ताह गोला-बारूद से जुड़े एक हादसे हो रहे हैं, जो नियमित रूप से घातक चोट के साथ ही उपकरण को नुकसान पहुँचा रहे। इसके लिए ओएफबी द्वारा निर्मित किए जा रहे अधिकांश गोला-बारूद जिम्मेदार हैं। ये सेना के विश्वास को भी कमजोर करते हैं।

शुक्रवार (दिसंबर 6, 2019) को संसद में पेश की गई 2017-2018 के लिए ओएफबी के प्रदर्शन पर कैग की रिपोर्ट ने समान रूप से चिंताजनक तस्वीर को प्रदर्शित किया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि 31 मार्च, 2018 तक आयुध फैक्ट्रियाँ सेना की प्रमुख माँगों को पूरा नहीं कर सकी थीं। 

सेना और नौसेना ने 2013-14 से 2017-18 के बीच 9 प्रकार के गोला-बारूद में फ्यूज-संबंधित दोष / समस्याओं के कारण कम से कम 36 दुर्घटनाओं के बारे में बताया। इसमें 81 एमएम हाई-विस्फोटक (एचई) मोर्टार बम, एल -70 एयर डिफेंस गन के लिए 40 एमएम एचई राउंड, रॉकेट लॉन्चर के लिए 84 एमएम 84 रोशन ’मून और टी -72 टैंकों के लिए 125 एमएम एचई गोले शामिल हैं।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि फ्यूज वांछित समय और स्थान पर सुरक्षित और विश्वसनीय विस्फोट प्रदान करने के लिए गोला-बारूद का एक आवश्यक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोषपूर्ण फ्यूज से बैरल फटने के साथ-साथ आकस्मिक और समय से पहले विस्फोट हो सकता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि फ्यूज की गुणवत्ता जाँचने के लिए अत्यधिक देरी की गई, जिसका कोई औचित्य नहीं था। इसलिए संबंधित कारखानों द्वारा दोष जाँचने के लिए लिए बताए जा रहे उपचारात्मक उपाय निराधार है।

इसके अलावा इसमें कहा गया है कि कुछ प्रमुख गोला-बारूद वस्तुओं के लिए सेना की माँगों की एक बड़ी मात्रा 31 मार्च 2018 तक बकाया रही। इस प्रकार इसकी परिचालन तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आयुध कारखानों ने 2017-18 में केवल 49% वस्तुओं के लिए उत्पादन लक्ष्य प्राप्त किया। इसमें कहा गया कि उत्पादन और आपूर्ति में ओएफबी की कमी के कारण सेना के स्टॉक में सात प्रकार के गोला-बारूद (32% से 74% तक) और पाँच प्रकार के अतिरिक्त फ़्यूज़ (41% से 94%) की गंभीर कमी हुई। सेना OFB की सबसे बड़ी ग्राहक है, जिसका कुल उत्पादन का लगभग 80% हिस्सा हर साल 14,000 करोड़ रुपए से अधिक का है।

कैग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओएफबी द्वारा किए गए काफी कम निर्यात आगे चलकर 2016-17 में 22.6 करोड़ रुपए से घटकर 2017-18 में 13.9 करोड़ रुपए हो गया। संयोगवश रिपोर्ट ऐसे समय में आती है जब सरकार ने ओएफबी के निगमीकरण के लिए सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के लिए एक मसौदा नोट तैयार किया है, जिसमें लगभग 1.45 लाख कर्मचारी हैं, जो कार्यात्मक स्वायत्तता, दक्षता और नई विकास क्षमता को बढ़ाने के लिए हैं।

वहीं सीसीएस नोट का का कहना है कि यह कदम 2024-25 तक ओएफबी के कारोबार को 30,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इसके निर्यात में 25% तक बढ़ोतरी होगी और साथ ही 2028-29 तक मौजूदा 20% से लेकर 75% तक प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के बढ़ने की संभावना है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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