अफगानिस्तान में तालिबान ने अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सरकार शरिया के हिसाब से चलेगी। तालिबान की वापसी के बाद से ही लगातार जिस तरह की खबरें सामने आ रही है उससे कट्टरपंथ के हावी होने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी। ऐसे में अब भारत तालिबान के खिलाफ वैश्विक रणनीति का केंद्र बनता नजर आ रहा है। खासकर, तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के खिलाफ घर में ही विरोध के स्वर लगातार तेज होते जा रहे हैं।
रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के चीफ और ब्रिटिश एजेंसी एमआईए-6 के मुखिया के भारत दौरे को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। रूसी एनएसए निकोले पेत्रुशेव दो दिन के भारत दौरे पर हैं। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ चर्चा की है। इससे पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के चीफ बिल बर्न्स की डोभाल के साथ बैठक हुई थी। रिपोर्टों की माने तो बर्न्स और डोभाल के बीच बातचीत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अफगानिस्तान के हालात पर केंद्रित थी। बर्न्स की यात्रा क्षेत्रीय और वैश्विक संदर्भों में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद भारत और अमेरिका के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को उजागर करती है।
#RussiaIndia consultations on security issues have started in #NewDelhi. #Russia‘s Security Council Secretary Nikolai Patrushev is meeting with #India‘s National Security Advisor Ajit Doval. pic.twitter.com/mg7WeH0eBr
— Russia in India 🇷🇺 (@RusEmbIndia) September 8, 2021
पंजशीर पर फतह के तालिबानी दावे के बाद ही काबुल, मजार-ए-शरीफ और जरांज में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। पाकिस्तान का भी अफगानी नागरिक विरोध कर रहे हैं। माना जाता है कि पंजशीर में भी पाकिस्तानी सेना ने तालिबान की मदद की थी। साथ ही तालिबानी सरकार के गठन में भी उसकी भूमिका बताई जाती है। अंतरिम सरकार के ऐलान से पहले पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया फैज हमीद ने काबुल का दौरा भी किया था।
रक्षा विश्लेषक नितिन गोखले ने सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के दौरे को लेकर ट्वीट कर कहा है कि सीआईए प्रमुख और रूस के ताकतवर सुरक्षा प्रमुख का एक ही समय में दौरा करना इस क्षेत्र में भारत की भूमिका को लेकर काफी कुछ कहता है। इन दोनों के दौरे से पहले एमआई-6 के मुखिया रिचर्ड मूर भारत आए थे। गोखले ने लिखा है कि पिछले सप्ताह हुए इस दौरे पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन कोई भी अनुमान लगा सकता है कि बदले हालात में वे भारत से क्या चाहते होंगे।
What does it say about New Delhi’s role in the region that both the CIA Chief and Russia’s powerful security czar are in India at the same time. Discuss
— Nitin A. Gokhale (@nitingokhale) September 8, 2021
यह आशंका जताई जा रही है कि तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कर सकता है। यही कारण है कि रूसी एनएसए के भारत दौरे से पहले 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात की थी।
ब्रिक्स वर्चुअल सम्मेलन से पहले भी अफगानिस्तान पर चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगले सप्ताह होने वाला एससीओ शिखर सम्मेलन भी इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित हो सकता है। जिस तरह तालिबान की अंतरिम सरकार में वैश्विक आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को गृहमंत्री बनाया गया है, उसने पूरी दुनिया की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। हक्कानी अमेरिका की हिट लिस्ट में भी शामिल है।