Saturday, April 20, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाISI एजेंट गुलाम फई भारत के खिलाफ लॉबिंग में फिर सक्रिय: अर्बन नक्सल और...

ISI एजेंट गुलाम फई भारत के खिलाफ लॉबिंग में फिर सक्रिय: अर्बन नक्सल और मीडिया गिरोह भी साथ

पाकिस्तान के लिए फई की महत्ता अक्टूबर 2016 की एक रिपोर्ट से पता चलती है, जिसे पाकिस्तानी सेनेट की 13 सदस्यीय कमिटी ने तैयार किया था। इसमें एक मीडिया कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की सिफारिश की थी जिसमें...

अमेरिका में आईएसआई के लिए काम करने के अपराध में जेल काट चुका कुख़्यात गुलाम नबी फई आजकल पाकिस्तान के कश्मीरी एजेंडे के लिए अमेरिकी सांसदों को अपने पक्ष में करने में फिर से सक्रिय हो गया है। फई कश्मीर की आजादी के लिए आईएसआई की तरफ से काम करने के जुर्म में जेल जा चुका है।

मीडिया खबरों के अनुसार अमेरिका में भारतीय हितों के प्रति सद्भावना रखने वालों का मानना है कि पिछले दिनों अमेरिकी मीडिया और खासकर कैपिटल हिल में चले विरोधी प्रोपेगेंडा के पीछे फई द्वारा की गई बेहद इंटेंस लॉबिंग जिम्मेदार है। फई को आईएसआई के लिए काम करने के जुर्म में वर्जीनिया से 2011 की जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। तब उसको मिली 2 साल की सजा पूरी होने के पहले ही अधिकारियों के साथ “सहयोगी रवैये” के कारण उसे छोड़ दिया गया था।

गुलाम नबी फई अमरीका में भारत विरोधी कश्मीरी लॉबी का जाना-पहचाना चेहरा है। ये भारत सरकार के खिलाफ कश्मीर मुद्दे पर काफी बड़े स्तर पर इवेंट्स आयोजित कर चुका है। कश्मीर में पैदा हुए फई पर आरोप था कि इसने पाकिस्तान से मिले लगभग 4 मिलियन डॉलर का उपयोग कश्मीर के संदर्भ में अमेरिकी पक्ष को प्रभावित करने के लिए किया था।

आईएसआई एजेंट फई के संबंध ‘अर्बन नक्सल’ गौतम नौलखा से भी हैं, जिस पर पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। फई द्वारा आयोजित कई इवेंट्स में गौतम नवलखा भाग भी लेता रहता है, जहाँ अमेरिकी नीतियों को कश्मीर पर भारत विरोधी रुख अपनाने के लिए प्रभावित किया जाता था।

जेल से छूटने के बाद कुछ साल तक निष्क्रिय रहा फ़ई आजकल फिर से उन्हीं गंदे तौर-तरीकों पर उतर आया है, जिनके जरिए वो अमेरिका में भारत विरोधी एजेंडे के लिए लॉबिंग करता था। रिपोर्ट के अनुसार भारत में नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद फई दुबारा से अमेरिकी सीनेट सदस्यों और मीडिया के साथ अपने संवाद में तेजी लाया है।

संडे गार्जियन से एक इंटेलिजेंस के सूत्र ने बताया कि आजकल फई ऑडियो-वीडियो समेत सभी माध्यमों का उपयोग कर अमेरिका में कश्मीर और मुस्लिमों के खिलाफ हो रहे भारतीय अत्याचार पर लगातार लॉबिंग में व्यस्त है।

फई फ़िलहाल वॉशिंगटन बेस्ड ‘वर्ल्ड कश्मीर अवेयरनेस फोरम’ का सेक्रेटरी जनरल है, जिसकी अध्यक्षता गुलाम नबी मीर करता है। यह फोरम अमेरिका में भारत विरोधी कश्मीरी प्रोपेगेंडा फैलाने में सबसे आक्रामक है, जो खुले तौर पर कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करता है।

फई के अनुसार आईएसआई तीन बिंदुओं पर काम करता है। पहला, अमेरिकी प्रशासन को इस बात के लिए कन्विंस करना कि कश्मीर को अगर आत्म निर्णय का अधिकार मिले, तो अमेरिकी हितों के लिए फायदेमंद है। दूसरा, अमेरिकी कॉन्ग्रेस को हाउस इंटरनेशनल रिलेशंस और सीनेट फॉरेन रिलेशंस आदि कमिटियों के मार्फत से प्रभावित करना। और तीसरा, मीडिया को कश्मीर विषय पर आयोजित इवेंट्स के जरिए प्रभावित कर कश्मीरी मुद्दे पर विचार-विमर्श को खुद के अनुकूल मोड़ना।

अप्रैल 2012 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने आईएसआई और फई के लिए काम करने वाले संगठनों और व्यक्तियों का पता लगाने के लिए एक एसआईटी का गठन भी किया था। यह एसआईटी 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी उत्तम चंद की अध्यक्षता में बनाया गया था, जो उस समय बतौर एसएसपी बडगाम तैनात थे। इस एसआईटी की जाँच कहाँ तक बढ़ी, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि किसी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ फई और आईएसआई से संबंध रखने के कारण कोई एक्शन नहीं लिया गया है। फिलहाल उत्तम चंद सेंट्रल डेपुटेशन पर कैबिनेट सेक्रेटेरिएट में नियुक्त हैं।

बडगाम के जिला अधिकारी ने 1980 में फई के खिलाफ जन सुरक्षा कानून के तहत राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप के चलते एक वॉरंट भी जारी किया था, जो उसके खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में अभी तक पेंडिंग है। इस वॉरंट के जारी होने के बाद फ़ई कश्मीर से भागकर सऊदी अरब चला गया था, जहाँ से किंग फैसल फाउंडेशन के जरिए वो अमेरिका चला गया था। इसी फाउंडेशन ने पेंसिल्वेनिया के टेम्पल यूनिवर्सिटी में फई की पढ़ाई और दूसरे खर्चे उठाए थे।

पाकिस्तान के लिए फई की महत्ता अक्टूबर 2016 की एक रिपोर्ट से पता चलती है, जिसे पाकिस्तानी सेनेट की 13 सदस्यीय कमिटी ने तैयार किया था। इसमें एक मीडिया कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की सिफारिश की थी जिसमें पत्रकार, विदेश कार्यालय के प्रतिनिधि, सूचना मंत्रालय, संसद और इंटेलिजेंस के सदस्यों को शामिल करने की बात भी थी, जिसका काम भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाना और कश्मीर पर होती बहसों को खुद के अनुकूल प्रभावित करना निर्धारित किया गया था।

इस कमिटी का काम जम्मू कश्मीर मुद्दे पर लगातार विदेशी जर्नलिस्ट्स को ब्रीफ करना और भारत में उन सभी को अपने साथ एंगेज करना था, जो मोदी सरकार की पाकिस्तानी विरोधी तथा कथित अतिवादी नीतियों के खिलाफ विचार रखते हैं, जिसमें राजनीतिक दल, मीडिया, सिविल सोसाइटी ग्रुप्स और ह्यूमन राइट संगठन शामिल हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ईंट-पत्थर, लाठी-डंडे, ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे… नेपाल में रामनवमी की शोभा यात्रा पर मुस्लिम भीड़ का हमला, मंदिर में घुस कर बच्चे के सिर पर...

मजहर आलम दर्जनों मुस्लिमों को ले कर खड़ा था। उसने हिन्दू संगठनों की रैली को रोक दिया और आगे न ले जाने की चेतावनी दी। पुलिस ने भी दिया उसका ही साथ।

‘भारत बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है, नई चुनौतियों के लिए तैयार’: मोदी सरकार के लाए कानूनों पर खुश हुए CJI चंद्रचूड़, कहा...

CJI ने कहा कि इन तीनों कानूनों का संसद के माध्यम से अस्तित्व में आना इसका स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है, हमारा देश आगे बढ़ रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe