हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल भारत बॉर्डर पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया। हमने जो कुछ देखा, वह सिलसिलेवार तरीके से आपको बता रहे हैं। इस कड़ी की 19वीं रिपोर्ट:
इस बार हमने भारत और नेपाल की सीमाओं पर पदस्थापित करते उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों से संपर्क साध कर ये समझने का प्रयास किया कि वहाँ उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसी क्रम में हमने महराजगंज जिले के तत्कालीन डिप्टी एसपी निचलौल (अब क्षेत्राधिकारी, पुलिस लाइंस) सुनील दत्त दुबे से बात की। उन्होंने हमें नेपाल सीमा पर तैनात पुलिस बल की चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया।
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खुली सीमा और फ़ोर्स सीमित
ऑपइंडिया से बात करते हुए नेपाल बॉर्डर पर तैनात रहे तत्कालीन DSP सुनील दत्त ने हमें बताया कि सबसे बड़ी दिक्कत सीमाओं का खुला होना है। उन्होंने बताया कि पुलिस बल और पैरामिलिट्री SSB लगातार गश्त करती है, लेकिन फिर भी कई बार असामाजिक तत्व या तस्कर गाँव के रास्तों से चल कर एक देश से दूसरे देश में दाखिल हो ही जाते हैं। सुनील दत्त ने हमें बताया कि सीमित संख्या में फ़ोर्स की उपलब्धता से पूरे बॉर्डर पर एक साथ नजर रखने में थोड़ी परेशानी जरूर होती है।
हमने चलाया ‘पगडंडी अभियान’
DSP सुनील दत्त ने हमें बताया कि महराजगंज जिले की लगभग 65 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगती है। उनके मुताबिक, सीमाओं की रक्षा के साथ पुलिस के पास लॉ एंड आर्डर से जुड़े कार्यभार भी होते हैं, अर्थात कानून-व्यवस्था सँभालने के साथ ही सीमा पर भी नजर रखनी होती है। सुनील दत्त के मुताबिक, नेपाल सीमा से भारत में किसी असामाजिक तत्व की एंट्री रोकने के लिए उन्होंने ‘पगडंडी अभियान’ शुरू किया था, जिसके तहत हाइवे और मुख्य मार्गों के साथ-साथ गाँव के छोटे- छोटे रास्तों पर भी नजर रखी जाने लगी।
DSP ने जानकारी दी कि इस अभियान से सीमा पर अवैध आवाजाही पर काफी हद तक अंकुश लगा है।
तस्करी का कोई भी ख़ास पैटर्न नहीं
सुनील दत्त दुबे ने सीमा पार तस्करी का कोई खास रूप होने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती देशों में जो भी चीज एक तरफ महंगी हो जाती है, उसे बॉर्डर पार से अवैध तौर पर खरीद कर दूसरे देश में बेचना ही तस्करी है। DSP सुनील दत्त के मुताबिक यह तस्करी चीनी से ले कर यूरिया खाद तक की होती है। उन्होंने कहा कि इन चीजों को सीमा पार करवाने के लिए तस्करों को वाहनों की जरूरत भी नहीं पड़ती, बल्कि वो कई इलाकों से बाइक, पैदल और साइकिल से इसे अंजाम देते रहते हैं। सुनील दत्त ने जानकारी देते हुए बताया कि चीनी जैसी वस्तुएँ केवल कस्टम चोरी के ही अंतर्गत आती हैं।
सीमा पार खड़े अपने ही मुल्जिम को हम केवल देख सकते हैं, पकड़ नहीं
DSP सुनील दत्त्त के अनुसार, भारत-नेपाल के बीच प्रत्यर्पण संधि न होने से पुलिस बल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने अपने ही निचलौल सर्किल क्षेत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि वाहनों की चोरी में शामिल अपराधी मूल रूप से नेपाल के हैं, लेकिन भारत का पुलिस बल उनकी लोकेशन जानते हुए भी उन्हें पकड़ नहीं पाता। उन्होंने कहा कि न तो हम नेपाल में वर्दी में जा सकते हैं और न ही अपने हथियार ले कर।
उनके मुताबिक, अगर हमारा बड़ा से बड़ा अपराधी भी सीमा के उस पार खड़ा हो कर हमें ललकारे तो भी हमें उसे पकड़ने के लिए माफ़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए कोर्ट से उसका इंटरपोल वॉरंट आदि जारी करवाना पड़ता है, जिसके बाद नेपाल के प्रशासन से निवेदन कर के उस पर कार्रवाई का अधिकार मिलता है। उन्होंने बताया कि नेपाल से अपराधी लाना ठीक उतना ही कठिन है, जितना पाकिस्तान या अरब देशों से।
भारत का प्रशासन सहयोगी पर नेपाल का नहीं
निचलौल बॉर्डर पर तैनात तत्कालीन DSP सुनील दत्त ने हमें बताया कि भारत से अपराध कर के नेपाल और नेपाल से अपराध कर के भारत में घुसने वाले अपराधियों की अच्छी-खासी संख्या है। उन्होंने ये भी बताया कि भारत का पुलिस बल नेपाल से आए अपराधियों पर काफी सख्त रहता है और सीमा पार से सहयोग माँगे जाने पर तत्काल कार्रवाई करता है। हालाँकि, DSP दुबे के अनुसार, यह सक्रियता और सहयोग नेपाल के प्रशासन द्वारा भारत से वहाँ गए अपराधियों के मामले में नहीं दिखता।
सुनील दत्त के मुताबिक, नेपाल पुलिस की SAF बटालियन की सशस्त्र होती है, जबकि बाकी पुलिस बल डंडे और खुकरी ले कर चलता है।
मानव तस्करी में लड़कियों का बड़ा हिस्सा
डिप्टी एसपी रहे सुनील दत्त ने नेपाल बॉर्डर से मानव तस्करी के खिलाफ पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में भी बताया। उन्होंने जानकारी दी कि मानव तस्करी का ज्यादातर शिकार नेपाली लड़कियाँ होतीं हैं। उनके मुताबिक, उन लड़कियों को बॉर्डर पार करवा कर कभी शादी, कभी डांस बार, तो कभी पार्लर में प्रयोग किया जाता है।
सीमा पर CCTV आदि का आभाव
एक माँग और सलाह के तौर पर DSP सुनील ने बॉर्डर इलाकों को CCTV से कवर करवाते हुए सीमावर्ती पुलिस थानों को सर्विलान्स सिस्टम से लैस करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि दोनों देशों की बॉर्डर रखवाली करने वाली फ़ोर्स का संयुक्त गश्ती दल बनाया जाए तो संभवतः और बेहतर परिणाम सामने आएँगे।
कोरेक्स जैसी दवाओं के जरिए नशे का कारोबार
डिप्टी एस पी सुनील दत्त दुबे के मुताबिक, भारत और नेपाल के बीच नशे के कारोबार में खाँसी की दवा कोरेक्स भी शामिल है। उनके मुताबिक, दवा आदि मामलों में पुलिस के अधिकार सीमित होते हैं, लेकिन ड्रग्स इंस्पेक्टर को हम इस बात की हिदायत जरूर देते रहते हैं कि सीमावर्ती इलाकों में दवा के दुकानदारों को उनकी खपत के हिसाब से स्टॉक रखने के लिए कहा जाए। हालाँकि, उन्होंने बताया कि अभी तक इस मात्रा का कोई नियत पैमाना सामने नहीं आया है।
कई लोग उठा रहे दोहरी नागरिकता का लाभ
DSP सुनील दत्त दुबे ने हमें ये भी बताया कि कई लोग ऐसे भी हैं जो भारत और नेपाल दोनों देशों में वोट डालते हैं। उन्होंने कहा कि इस सिस्टम से प्रशासन को नागरिकता निर्धारित में दिक्कत आती है।
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